Loading AI tools
विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
रक्षासूत्र या राखी को रक्षाबंधन[1] के अवसर पर भाई की कलाई में बाँधा जाता है। इसे रेशमी धागे और कुछ सजावट की वस्तुओं को मिलाकर बनाया जाता है। इन राखियों का मूल्य भारतीय बाज़ार में ५ रु. से लेकर १,५०० रु. या उससे अधिक भी हो सकता है। आज कल तो बहने सोने और चाँदी की भी राखी अपने भाइयों को बांधने लगे हैं| ऐसा माना गया है कि श्रवण नक्षत्र में बांधा गया रक्षासूत्र अमरता, निडरता, स्वाभिमान, कीर्ति, उत्साह एवं स्फूर्ति प्रदान करने वाला होता है।[2]
प्राचीनकाल में रक्षाबंधन मुख्यत: हिन्दुओ का त्यौहार है। प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन ब्राह्मण अपने यजमानों के दाहिने हाथ पर एक सूत्र बांधते थे, जिसे रक्षासूत्र कहा जाता था। इसे ही आगे चलकर राखी जाने लगा। यह भी कहा जाता है कि यज्ञ में जो यज्ञसूत्र बांधा जाता था उसे आगे चलकर रक्षासूत्र कहा जाने लगा।[3] रक्षाबंधन की सामाजिक लोकप्रियता कब प्रारंभ हुई, यह कहना कठिन है। कुछ पौराणिक कथाओं में इसका जिक्र है जिसके अनुसार भगवान विष्णु के वामनावतार ने भी राजा बलि के रक्षासूत्र बांधा था और उसके बाद ही उन्हें पाताल जाने का आदेश दिया था। आज भी रक्षासूत्र बांधते समय एक मंत्र बोला जाता है उसमें इसी घटना का जिक्र होता है। परंपरागत मान्यता के अनुसार रक्षाबंधन का संबंध एक पौराणिक कथा से माना जाता है, जो कृष्ण व युधिष्ठिर के संवाद के रूप में भविष्योत्तर पुराण में वर्णित बताई जाती है।[4] इसमें राक्षसों से इंद्रलोक को बचाने के लिए गुरु बृहस्पति ने इंद्राणी को एक उपाय बतलाया था जिसमें श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को इंद्राणी ने इंद्र के तिलक लगाकर उसके रक्षासूत्र बांधा था जिससे इंद्र विजयी हुए।[5] वर्तमानकाल में परिवार में किसी या सभी पूज्य और आदरणीय लोगों को रक्षासूत्र बाँधने की परंपरा भी है। वृक्षों की रक्षा के लिए वृक्षों को रक्षासूत्र तथा परिवार की रक्षा के लिए माँ को रक्षासूत्र बाँधने के दृष्टांत भी मिलते हैं।
रक्षासूत्र का मंत्र है- 'येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।
इस मंत्र का सामान्यत: यह अर्थ लिया जाता है कि दानवीर महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता हूं। हे रक्षे!(रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो। धर्मशास्त्र के विद्वानों के अनुसार इसका अर्थ यह है कि रक्षा सूत्र बांधते समय ब्राह्मण या पुरोहत अपने यजमान को कहता है कि जिस रक्षासूत्र से दानवों के महापराक्रमी राजा बलि धर्म के बंधन में बांधे गए थे अर्थात् धर्म में प्रयुक्त किए गये थे, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं, यानी धर्म के लिए प्रतिबद्ध करता हूं। इसके बाद पुरोहित रक्षा सूत्र से कहता है कि हे रक्षे तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना। इस प्रकार रक्षा सूत्र का उद्देश्य ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को धर्म के लिए प्रेरित एवं प्रयुक्त करना है।
शास्त्रों में कहा गया है - इस दिन अपरान्ह में रक्षासूत्र का पूजन करे और उसके उपरांत रक्षाबंधन का विधान है। यह रक्षाबंधन राजा को पुरोहित द्वारा यजमान के ब्राह्मण द्वारा, भाई के बहिन द्वारा और पति के पत्नी द्वारा दाहिनी कलाई पर किया जाता है। संस्कृत की उक्ति के अनुसार
जनेन विधिना यस्तु रक्षाबंधनमाचरेत। स सर्वदोष रहित, सुखी संवतसरे भवेत्।।
अर्थात् इस प्रकार विधिपूर्वक जिसके रक्षाबंधन किया जाता है वह संपूर्ण दोषों से दूर रहकर संपूर्ण वर्ष सुखी रहता है। रक्षाबंधन में मूलत: दो भावनाएं काम करती रही हैं। प्रथम जिस व्यक्ति के रक्षाबंधन किया जाता है उसकी कल्याण कामना और दूसरे रक्षाबंधन करने वाले के प्रति स्नेह भावना। इस प्रकार रक्षाबंधन वास्तव में स्नेह, शांति और रक्षा का बंधन है। इसमें सबके सुख और कल्याण की भावना निहित है।[3] सूत्र का अर्थ धागा भी होता है और सिद्धांत या मंत्र भी। पुराणों में देवताओं या ऋषियों द्वारा जिस रक्षासूत्र बांधने की बात की गई हैं वह धागे की बजाय कोई मंत्र या गुप्त सूत्र भी हो सकता है। धागा केवल उसका प्रतीक है।[6] रक्षासूत्र बाँधते समय एक श्लोक और पढ़ा जाता है जो इस प्रकार है-
ओम यदाबध्नन्दाक्षायणा हिरण्यं, शतानीकाय सुमनस्यमाना:। तन्मSआबध्नामि शतशारदाय, आयुष्मांजरदृष्टिर्यथासम्।। [7]
साधारण मौली की राखियाँ भी बाज़ार में मिलती हैं। छोटे बच्चों के लिए उपहार युक्त राखियां, जिसमें रौशनी वाले खिलौने, टेडी बियर, इलेक्ट्रानिक उपकरण व चाकलेट लगी राखियाँ भी बाज़ार में मिलती हैं। बड़ों के लिए चंदन, कीमती नगों, सिंदूर, चावल तथा सोन व चाँदी के ब्रेसलेट लोगों में खूब लोकप्रिय हैं। इसके अतिरिक्त रंगीन धागे, मोती व चंदन जड़ित धागे डाक से भेजे जाने के लिए अधिक पसंद किए जाते हैं। अनेक रक्षासूत्रों पर भगवान के भी दर्शन होते हैं। राखियों पर संप्रदाय के अनुरूप देवी-देवताओं की प्रतिमा उकेरी और चित्र चिपकाए जाते हैं। दूर-दराज व विदेशों में भेजने के अभिनंदन पत्रों के साथ भी राखियां भी मिलती हैं। इसमें भाइयों के लिए राखी के साथ शुभकामना संदेश भी होते है। इसके अलावा सुनार और आभूषणों की दूकानों पर चाँदी, डायमंड, अमरीकन ज़रीकन, रुद्राक्ष से मंडित राखियाँ विभिन्न डिज़ाइनों एवं रंगों में उपलब्ध हैं।[8]
भारत में विदेशी राखियाँ भी काफ़ी लोकप्रिय हैं। आमतौर पर इलेक्ट्रॉनिक सामान की नकल करने में मशहूर चीन अब राखी कारोबार में भी फल-फूल रहा है। इन राखियों में साटन के धागों में छोटे-छोटे खिलौने, गाड़ियाँ, फुटबॉल, टेडिबियर, गुड्डे-गुड़िया, सुपरमैन और रंग-बिरंगे फूल बँधे हुए हैं। यहाँ तक कि बच्चों के लिए धागों पर चूहे को भी विराजमान कर दिया गया है।
बहनों की व्यस्तता को देखते हुए भारत का डाक विभाग ऐसे लिफ़ाफ़े बिक्री के लिए जारी करता है, जिन पर बहन को केवल भाई का पता भर लिखना होता है। इनमें राखी, रोली व चावल सहित सभी सामग्री पहले से होती है। इसके अलावा वाटर प्रूफ़ लिफ़ाफ़े भी जारी किए जाते हैं। कुछ लिफ़ाफ़े ऐसे भी तैयार कराए जाते हैं जिनमें राखी सहित सभी सामग्री होती है। इनकी बिक्री अनेक मुख्य या प्रधान डाकघरों द्वारा की जाती है। डाक छँटाई के दौरान राखी डाक का विशेष ध्यान रखा जाता है।
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Every time you click a link to Wikipedia, Wiktionary or Wikiquote in your browser's search results, it will show the modern Wikiwand interface.
Wikiwand extension is a five stars, simple, with minimum permission required to keep your browsing private, safe and transparent.