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याना
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याना कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में स्थित एक खूबसूरत हिल स्टेशन और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक शानदार पर्यटन स्थल है। यह जगह अपनी विशालकाय काली चट्टानों (Limestone Rock Formations), गुफाओं और हरियाली के लिए मशहूर है।
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याना कटगल रेंज के जंगल में स्थित एक पर्यटन स्थल है, जो भारत के कर्नाटक राज्य के उत्तर कन्नड़ जिले के मालेनाडु क्षेत्र का एक हिस्सा है। याना दुनिया में सबसे ज्यादा नमी वाले गाँवों में से एक है। यह कर्नाटक का सबसे स्वच्छ गाँव और भारत का दूसरा सबसे स्वच्छ गाँव है।[1][2]
याना भैरवेश्वर शिखर और मोहिनी शिखर के रूप में जाने जाने वाले दो विशाल चट्टानों के लिए प्रसिद्ध है। विशाल चट्टानें ठोस काले, कार्स्ट चूना पत्थर से बनी हैं। भैरवेश्वर शिखर की ऊंचाई 120 मीटर (390 फीट) है, जबकि मोहिनी शिखर, जो छोटा है, उसकी ऊंचाई 90 मीटर (300 फीट) है।
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धार्मिक स्थल
भैरवेश्वर शिखर के नीचे गुफा में मंदिर के कारण याना को एक तीर्थस्थल केंद्र के रूप में भी जाना जाता है, जहां एक स्वयंभू ("स्वयं प्रकट", या "जो अपने स्वयं के द्वारा बनाया गया है") लिंग की उपस्तिथि है। लिंग के ऊपर छत से पानी टपकता है, जिससे जगह की पवित्रता और बढ़ जाती है। [3]
शिवरात्रि के दौरान यहां अन्य उत्सवों के साथ-साथ रथ यात्रा का भी आयोजन किया जाता है। यह स्थान और इसके आस-पास की पहाड़ियाँ अपने सदाबहार प्राकृतिक जंगलों के लिए भी जानी जाती हैं। [4][5] याना की गुफाओ के पास विभूति जलप्रपात भी स्थित है।[6][7]
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पौराणिक मान्यता
याना की चट्टानों के नाम हिंदू पौराणिक कथाओं के एक दिलचस्प खंड से जुड़े हुए हैं। भस्मासुर नाम का एक राक्षस एक अनोखा उपहार पाने में कामयाब हो जाता है कि वह जिस भी चीज पर अपनी हथेली रखेगा वह भस्म हो जाएगी। इस अद्वितीय कौशल के साथ भस्मासुर विनाश करता है और अपना कौशल भगवान शिव पर ही आज़माने का प्रयास करता है जिससे उसे यह उपहार प्राप्त हुआ था।
इस विषय पर भगवान शिव भगवान विष्णु से मदद मांगते हैं, जो मोहिनी नामक एक सुंदर महिला का रूप लेते हैं और भस्मासुर के सामने प्रकट होते हैं। मोहिनी की सुन्दरता पर मोहित होकर उसपर जीत हासिल करने की कोशिश में, भस्मासुर ने उसके साथ नृत्य करने और उसके जैसे ही कदम उठाने की चुनौती स्वीकार कर ली। जैसे-जैसे नृत्य आगे बढ़ता है, मोहिनी अपना हाथ अपने सिर पर रख लेती है। भस्मासुर भी वही कार्य करता है और भस्म हो जाता है।[8]
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त्योहार
महाशिवरात्रि के दौरान, यहां 10 दिनों तक वार्षिक उत्सव आयोजित किया जाता है। इस स्थान (जिसे 'भैरव क्षेत्र' कहा जाता है) की तीर्थयात्रा पर भक्त अपने स्नान करने के बाद, गुफा के झरने से पवित्र जल लेकर नजदीकी शहर गोकर्ण में ले जाते है, तथा महाबलेश्वर का महा मस्तक अभिषेक (पूजा किए जाने वाले देवता की मूर्ति पर जल चढ़ाना) करते है ।

सन्दर्भ
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