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मही नदी
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माही नदी पश्चिमी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। माही का उद्गम मध्यप्रदेश के धार जिला के समीप मिन्डा ग्राम की विंध्याचल पर्वत श्रेणी से हुआ है। यह दक्षिणी मध्य प्रदेश के धार, झाबुआ और रतलाम जिलों तथा गुजरात राजस्थान राज्य से होती हुई खंभात की खाड़ी द्वारा अरब सागर में गिरती है।[1][2] माही/महि नदी के उपनाम:- 1. वागड़ व कंठाल की गंगा। 2. दक्षिण राजस्थान की सवर्ण रेखा। इसकी दक्षिणी-पूर्वी शाखा बांसवाड़ा जिले से विपरीत दिशा में आकर मिलती है। इस पर माही बजाज सागर एवं कडाणा बाँध बनाये गए हैं। यह खम्भात की खाड़ी में गिरती है। इसकी कुल लम्बाई लगभग 576 किलोमीटर है। माही नदी का राजस्थान में लम्बाई 171 किमी है |माही भारत की एकमात्र ऐसी नदी है जो कर्क रेखा को दो बार काटती है। यह भारत की पवित्र नदियो मे से एक है। मही पर एक जलविद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने का एक बाँध है जो गुजरात के महीसागर ज़िले में स्थित है और कदाणा बाँध कहलाता है। सोम, जाखम, चाप, अनास, मोरेन, इरू माही नदी की सहायक नदियां हैं।राजस्थान में माही नदी के आसपास प्रतापगढ़ के क्षेत्र को कांठल कहते हैं। [3]
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सन्दर्भ
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