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महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय (अंग्रेजी: M. J. P. Rohilkhand University) की स्थापना 1975 में एक सम्बद्ध विश्वविद्यालय के रूप में की गयी थी। यह NAAC A++ मान्यता प्राप्त है, आईएसओ 9001:2015 और 14001:2015 प्रमाणित विश्वविद्यालय है। लगभग दो सौ छ्ह एकड में बना यह आवासीय विश्वविद्यालय बरेली शहर से थोडा हटकर बरेली-पीलीभीत मार्ग पर स्थित है। इस विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालय पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नौ जिलों में फैले हुए हैं, जिनका क्षेत्रफल 31,287 वर्ग किलोमीटर है तथा जिनकी जनसंख्या तीस मिलियन से अधिक है (2011 की जनगणना के अनुसार 2,74,35,583)[1] (बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बिजनौर, अमरोहा)के 500+ महाविद्यालय संबद्धित हैं।
ध्येय | चरैवेति चरैवेति |
---|---|
प्रकार | राजकीय |
स्थापित | 1975 |
संबद्ध | यूजीसी, बीसीआई, नैक |
कुलाधिपति | राज्यपाल, उत्तर प्रदेश |
उपकुलपति | प्रो. के. पी. सिंह |
स्थान | बरेली, उत्तर प्रदेश, भारत |
जालस्थल | mjpru.ac.in |
इसकी स्थापना 1975 में हुई थी, तत्कालीन आगरा विश्वविद्यालय इस क्षेत्र की साक्षरता दर में आवश्यकता के अनुरूप बृद्धि करने की सामर्थ्य नहीं रखता था। अत: राष्ट्रीय साक्षरता दर के स्तर पर लाने की दृष्टि से इस विश्वविद्यालय की नींव रखी गयी। सन् 1985 में जब चार विभाग इसमें और बढाने पडे तब इसे आवासीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया। इसके बाद 1987 में तीन विभाग इसमें और बढ गये। अगस्त 1997 में महात्मा ज्योतिबा फुले के साथ जोडते हुए इसका नाम बदलकर एम०जे०पी० रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय कर दिया गया।
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