Loading AI tools
विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) वाराणसी भारत का विज्ञान एवं अभियान्त्रिकी में शोध तथा स्नातक शिक्षा पर केंद्रित संस्थान है। संक्षिप्त में, यह 'आई.आई.टी. - बी.एच.यू.' के नाम से भी जाना जाता है। इसकी स्थापना सन् १९१९ में उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में हुई।
ध्येय | संस्कार ही शिक्षा |
---|---|
Motto in English | Education is Character |
प्रकार | शैक्षणिक और शोध संस्थान |
स्थापित | १९१९ |
सभापति | लालजी सिंह |
निदेशक | राजीव संगल[1] |
स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत |
परिसर | 1,300 acre |
जालस्थल | www |
यह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के तत्वावधान में एक इंजीनियरिंग संस्थान है। यह 13 विभागों और 3 अंतर-अनुशासनात्मक स्कूलो मे॓ तकनीकी शिक्षा प्रदान करता है। 1919 में स्थापित, यह भारत के सबसे पुराने इंजीनियरिंग संस्थानों में से एक है। इसे नियमित रूप से भारत के सबसे अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेजों मे॓ से एक गिना गया है।
आई.आई.टी. - बी.एच.यू. परिसर वाराणसी के दक्षिणी छोर पर लगभग 1,300 एकड़ (5.3 km2) मे॓ गंगा नदी के तट पर फैला हुआ है। 1971 में, अस्तित्व में आया था। प्रौद्योगिकी संस्थान (अधिनियम) 2012 के तहत 30 अप्रैल 2012 को यह एक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मे॓ संशोधित हुआ।
स्नातक छात्रों के लिए प्रवेश भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा आयोजित आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा के माध्यम से और बाद स्नातकों के लिए इंजीनियरिंग में स्नातक योग्यता टेस्ट (गेट) के माध्यम से होता है।
आई.आई.टी. - बी.एच.यू. वाराणसी को पहले बनारस इंजीनियरिंग कॉलेज (BENCO), खनन और धातुकर्म (MINMET), प्रौद्योगिकी कॉलेज (TECHNO) और प्रौद्योगिकी संस्थान, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (आईटी बीएचयू) के नाम से जाना जाता था। इसकी स्थापना काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के साथ हुई थी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का प्रथम दीक्षांत समारोह १९ जनवरी १९१९ को आयोजित किया गया था। इस समारोह के मुख्य अतिथि महाराज कृष्णराज वोडेयार चतुर्थ थे जिन्होने इस पावन अवसर पर बनारस इंजिनियरिंग कॉलेज की कार्यशाला की इमारतों का उद्घाटन किया था|११ फ़रवरी १९१९ को कारीगरी के एक कोर्स की शुरुआत की गयी| बी.एच.यू. को वैद्युत अभियांत्रिकी, यांत्रिक अभियांत्रिकी, धातुकर्म अभियांत्रिकी एवं भैषजीकी में सर्वप्रथम डिग्री कक्षायों की शुरुआत करने का श्रेय जाता है। ये महामना मालवीय जी की दूरदृष्टि का परिणाम था।
भूविज्ञान विभाग 1920 में बनारस इंजिनियरिंग कॉलेज के तहत शुरू किया गया था|खनन और धातुकर्म के पाठ्यक्रम की शूरूआत भूविज्ञान विभाग द्वारा की गयी। जुलाई १९२१ में औद्योगिक रसायन विज्ञान विभाग शुरू हुआ। १९२३ में खनन और धातुकर्म को एक विभाग के रूप में इस्थापित किया गया, १९४४ में इसको कॉलेज का दर्जा दिया गया और इसका नाम बदल कर MINMET हो गया।
बी.एच.यू. ने भारत में सर्वप्रथम रसायनिक भैषजीकी में पाठ्यक्रम की शुरुआत की। १९३२ में विज्ञान के स्नातक पाठ्यक्रम में तीन नये विषयों के एक वर्ग को सम्मिलित किया गया। यह तीन विषय थे - रसायन विज्ञान, भैशजिकी और पादप फार्माकोग्नॉसी. १९३५ में त्री-वर्षीय भेषजी स्नातक नामक पाठ्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। इस समय विज्ञान विभाग सेंट्रल हिन्दू स्कूल के अन्तर्गत आता था। सितम्बर १९३५ में एक नये विज्ञान कॉलेज की नींव डाली गयी। इस कॉलेज में भौतिकी, रसायन विज्ञान, पादपविज्ञान, जीवविज्ञान, भूविज्ञान, औद्योगिक रसायनिकी और सिरेमिक्स एत्यादी विभाग थे। १९३७ में काँच प्रौद्योगिकी को इस कॉलेज में सम्मिलित किया गया। १९३९ में औद्योगिक रसायनिकी, सिरेमिक्स, काँच प्रौद्योगिकी और भैषजीकी विघाग को मिलाकर एक अलग प्रोद्यौगिकी कॉलेज की स्थापना की गयी।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित समितियों (प्रोफेसर जोशी और आनंद कृष्णन समितियों) ने संस्थान को एक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में रुपानतरित करने की सिफारिश की। इससे यह देश की आईआईटी प्रणाली के साथ एकीकृत हुआ। नया संस्थान आईआईटी बीएचयू, वाराणसी कहा गया और यह बीएचयू के लिए शैक्षणिक और प्रशासनिक संबंधों जारी रखता है। प्रौद्योगिकी संस्थान संशोधन विधेयक, 2012 आईटी-बीएचयू को आई.आई.टी. (बी.एच.यू.) वाराणसी घोषित करता है। 24 मार्च 2011 को लोकसभा ने तथा 30 अप्रैल 2012 को राज्य सभा ने इस विधेयक को पारित कर दिया। अगले कदम विधेयक की राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृति है।
स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में मास्टर ऑफ टैक्नोलॉजी (एम. टेक) और पीएच.डी. की डिग्री प्रदान की जाती है। एमटेक प्रोग्राम के लिए प्रवेश अभियान्त्रिकी स्नातक योग्यता टेस्ट (गेट) के माध्यम से किया जाता है।
आई.आई.टी. - बी.एच.यू. चार वर्ष बैचलर ऑफ टैक्नोलॉजी (बीटेक) और बैचलर ऑफ फार्मेसी (B.Pharm) की डिग्री के लिए शिक्षण कार्यक्रम प्रदान करता है। पांच साल के कार्यक्रम को एकीकृत दोहरी डिग्री कार्यक्रम और एकीकृत मास्टर डिग्री कार्यक्रम (आईएमडी) में वर्गीकृत किया गया है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) वाराणसी में निम्नलिखित शैक्षणिक विभाग है -
सन्स्थान में १२ छात्रावास हैं।
१ लिम्बडी
२ डे
३ राजपुताना
४ मोर्वी
५ धनराजगिरी
६ विवेकानन्द
७ विश्वकर्मा
८ सी वी रमन
९ विश्वेशवरय्या
१० गाँधी स्मृति महिला छात्रावास
११ गाँधी स्मृति महिला छात्रावास विंग २
१२ सलूजा
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Every time you click a link to Wikipedia, Wiktionary or Wikiquote in your browser's search results, it will show the modern Wikiwand interface.
Wikiwand extension is a five stars, simple, with minimum permission required to keep your browsing private, safe and transparent.