Loading AI tools
विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
व्याख्याप्रज्ञप्ति (प्राकृत में : 'विहायापण्णति' या 'विवाहापण्णति' ; "Exposition of Explanations") पाँचवाँ जैन आगम है जिसे भगवतीसूत्र भी कहते हैं। कुल ४५ जैन आगम हैं जो महावीर स्वामी द्वारा प्रख्यापित माने जाते हैं। व्याख्याप्रज्ञप्ति की रचना सुधर्मस्वामी द्वारा प्राकृत में की गयी है। यह सभी आगमों में बससे बड़ा ग्रन्थ है। कहते हैं कि इसमें ६० हजार प्रश्नों का संग्रह था जिनका उत्तर महावीर स्वामी ने दिया था।
सभी उपलब्ध जैन आगमों में भगवतीसूत्र सबसे विशाल है। इसमें १३८ 'शतक' (अध्याय) हैं, जो कुल १९२३ उद्देशक (उप-अध्याय) में विभक्त है। इसके कुल श्लोकों की संख्या १५७५१ है। भगवतीसूत्र पर कोई भाष्य या निर्युक्ति नहीं मिलती किन्तु एक छोटी 'चूर्णी' और वृत्ति (अभयदेवसूरि कृत) मिलती है। इसके कुछ हिन्दी एवं गुजराती अनुवाद भी मिलते हैं।
भगवतीसूत्र की भाषा अर्धमागधी है। इसकी प्रश्नोत्तर शैली में मनुष्य की गुप्त बौद्धिक जिज्ञासा के दर्शन होते हैं। श्री अमरमुनि ने भगवतीसूत्र की सामग्री को दस भागों में बाँटा है-[1]
जैन ऋषियों में क्रमचय-संचय (Permutations and combinations) काफी लोकप्रिय था। भगवतीसूत्र में क्रमचय-संचय के सरल प्रश्न चर्चा में आये हैं। जैसे, दिये गये मौलिक दार्शनिक वर्गों को एक, दो, तीन या अधिक एक साथ लेने पर कितने समुच्चय बन सकते हैं। [2] इस ग्रन्थ में १-१ लेकर बने समुच्चयों (कम्बिनेशन्स) को 'अलक संयोग' कहा गया है, २-२ लेकर बने समुच्चयों को 'द्विक संयोग' कहा गया है और द्विक संयोग की संख्या n(n-1)/2 बतायी गयी है।[3]
भगवतीसूत्र में दीर्घवृत्त के लिये 'परिमण्डल' शब्द प्रयोग किया गया है और इसके दो भेद बताये गये हैं-[3]
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Every time you click a link to Wikipedia, Wiktionary or Wikiquote in your browser's search results, it will show the modern Wikiwand interface.
Wikiwand extension is a five stars, simple, with minimum permission required to keep your browsing private, safe and transparent.