जगदीशपुर पर आक्रमण कर दिया। बाबू कुंवर सिंह और अमर सिंह को जन्म भूमि छोड़नी पड़ी। अमर सिंह अंग्रेजों से छापामार लड़ाई लड़ते रहे और बाबू कुंवर सिंह रामगढ़ के
बैरगाछी क़स्बे को कथाभूमि बनाते हैं। इस क़स्बे की नियति पल्टू बाबू जैसे काइयाँ, धूर्त, कामुक बूढ़े के हाथ में है। उसने क़स्बे के लिए ऐसी राह निर्मित की है जिस
होने से होता है। आज इस कथा का अन्त हुआ। कलयुग का अन्त शीघ्र आने वाला है। बूढ़ेबाबा की सभी मुश्किलों का अन्त हो गया। अंत भला तो सब भला। अन्त अन्तिम, अन्तकाल
दौरान हजारों भक्त प्रार्थना करते हैं। उनका मकबरा "बूढ़ेबाबा की मजार" के रूप में जाना जाता है। "बूढ़ेबाबा का पांच दिवसीय वार्षिक उर्स 17 से". दैनिक जागरण
बुढा थेह (Budha Theh) भारत के पंजाब राज्य के अमृतसर ज़िले की बाबा बकाला तहसील में स्थित एक नगर है। यह ब्यास नदी के किनारे बसा हुआ है। ब्यास नदी बाबा बकाला