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यह पूजा वसंत ऋतु के आगमन के समय मनाई जाती है। विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
माघ महीने (January 21-february19) की शुक्ल पंचमी को बसन्त पंचमी के नाम से जाना जाता है। बसंत की शुरुआत इस दिन से होती है। इसको बुद्धि, ज्ञान और कला की देवी सरस्वती की पूजा-आराधना के दिन के रूप में मनाया जाता है। मौसमी फूलों और फलों और चंदन से सरस्वती पूजा की जाती है। सरस्वती को अच्छे व्यवहार, बुद्धिमत्ता, आकर्षक व्यक्तित्व, संगीत का प्रतीक भी माना जाता है।
जय सरस्वती माता,मैया जय सरस्वती माता।
सदागुण वैभव शालिनी,त्रिभुवन विख्यात॥
जय सरस्वती माता॥
चंद्रवदानी पद्मसिनी,द्युति मंगलकारी।
सोहे शुभा हंसा सवारी,अतुल तेजधारी॥
जय सरस्वती माता॥
बयान कारा में वीणा,दयान कारा माला।
शीश मुकुट मणि सोहे,गाला मोतियाना मल
जय सरस्वती माता॥
देवी शरणा जो ऐ,उनाका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी,रावण समारा किया॥
जय सरस्वती माता॥
विद्या ज्ञान प्रदयिनी,ज्ञान प्रकाश भारो।
मोह अग्याना और तिमिरा का,जग से नशा करो जय सरस्वती माता॥
धूप दीपा फला मेवा,माँ स्विकारा करो।
ज्ञानचक्षु दे माता,जग निस्तारा करो जय सरस्वती माता॥
मां सरस्वती की आरती,जो कोई जाना दिया।
हितकारी सुखाकारीज्ञान भक्ति पावे जय सरस्वती माता॥
जय सरस्वती माता,जय जय सरस्वती माता।
सदागुण वैभव शालिनी,त्रिभुवन विख्यात॥
जय सरस्वती माता॥
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