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इस लेख में अन्य लेखों की कड़ियाँ कम हैं, अतः यह ज्ञानकोश में उपयुक्त रूप से संबद्ध नहीं है। (जनवरी 2017) |
पाकिस्तान इस्लामी गणराज्य के भूतपूर्व राष्ट्रपति, सरदार फारूक अहमद खान लेगारी का जन्म छोटी ज़ारीन, पंजाब नामक एक ग्राम में २९ मई, १९४० में हुआ था। वह एक राजनीतिक परिवार से थे। यह परिवार आर्थिक और राजनीतिक रूप से समृद्ध था और अपने क्षेत्र में एक बड़ा प्रभाव पड़ा था। उनके पिता सरदार मोहम्मद खान लेगारी और दादा जी नवाब मोहम्मद जमाल खान लेगारी, दोनों मंत्री के पद पर कार्य कर चुके थे। वह एक बहुत होशियार बालक थे और अपने स्कूल के समय कई और गतिविधियों में भी हिस्सा लिया करते थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा एचिसन कॉलेज में हुई थी जहाँ वो 'हेड़बॉय' रह चुके थे। स्कूल छोड़ने समय उनको 'र्स्वश्रेष्ट छात्र' घोषित किया गया था। उन्होंने अपना ग्रेजुएशन पूर्व क्रिश्चियन कॉलेज, लाहौर से पूरा किया और फिर उच्च शिक्षा के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ने गए। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में उन्होंने राजनीति, अर्थशास्त्र और दर्शन शास्त्र जैसे विषयों में शिक्षा हासिल की। सरदार फारूक अहमद खान लेगारी ने पढ़ाई पूरी कर पाकिस्तान वापस आए और १९६३ में सिविल सेवा में शामिल हो गए। अपने पिता के देहांत के बाद वो अपने गाँव वापस आए और वहाँ के बाद वो अपने गाँव वापस आए और वहाँ के लोगों की समस्याओं को दूर किया। अपने पिता की मृत्यु के बाद वे अपने जनजाति के मुख्य हुए। जुल्फिकार अली भुट्टो, पाकिस्तान के उस समय के राषट्रपति के आग्रह पर उन्होंने 'पाकिस्तान पीपल्स पार्टी' में शामिल हुए। वह उस पार्टी में रहकर १३ नवंबर, १९९३ को पाकिस्तान के आठवें राष्ट्रपति घोषित किए गए। लेकिन उन्होंने अपनी ही सरकार को भ्रष्टाचार और अराजकता के आरोप में बरखास्त कर दिया और एक दूसरी पार्टी का आरंभ किया जिसका नाम 'मिल्लट पार्टी' रखा। वह पाकिस्तान के प्रथम राष्ट्रपति थे जिन्होंने अपनी ही सरकार को बरखास्त किया। 'मिल्लट पार्टी' के साथ, सात अन्य पार्टियों का गठबधंन हुआ और इसका नाम 'नेशनल एलायंस' रखा गया। ये उन पार्टियों है जिन्होंने 'मिल्लट पार्टी' के साथ गठबंधन किया है- 'नेशनल पीपल्स पार्टी', 'नेशनल अवामी पार्टी', 'सिंध नेशनल फ्रंट', 'सिंध डेमोक्रेटिक एलायंस', 'निजामी मुस्तफा पार्टी', 'बलूचिस्तान नेशनल पार्टी'। सरदार फारूक अहमद खान लेगारी का निधान २० अक्टूबर, २०१० को रावलपिंडी में हुआ। तब उनकी आयु ७० साल की थी। उनका निधन हृदयघात से हुआ। उनका अंतिम संस्कार छोटी ज़रीन गाँव में किया गया। सरदार फारूक अहमद खान लेगारी की अंतिम विदाई में डेरा गाज़ी के सभी लोग और सभी राजनीतिक वर्ग के लोग शामिल थे। वह एक बहुत महान नेता थे और राजनीति में बहुत सफल रहे। आज भी लोग उन्हें उनकी ईमानदारी, प्रतिबद्धता और सरलता के लिए याद करते है। इतने बड़े और अमीर परिवार से आने के बाद भी वह एक सरल जीवन बिताने में विशवास रखते है।
यह जीवनचरित लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |
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