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हिन्दी भाषा में प्रदर्शित चलवित्र विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
प्रोफेसर 1962 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है जिसके निर्माता एफ. सी. मेहरा और निर्देशक लेख टंडन हैं। फिल्म में मुख्य भूमिकायें शम्मी कपूर, कल्पना और ललिता पवार ने निभाई हैं। फिल्म बॉक्स ऑफ़िस पर एक सफल फिल्म साबित हुई थी।[1] इस फिल्म को तमिल में नदिगन और कन्नड़ में गोपीकृष्ण नाम से बनाया गया था।
प्रोफ़ेसर | |
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निर्देशक | लेख टंडन |
लेखक | अबरार अल्वी |
निर्माता | एफ. सी. मेहरा |
अभिनेता |
शम्मी कपूर कल्पना ललिता पवार |
छायाकार | द्वारक दिवेचा |
संपादक | प्राण मेहरा |
संगीतकार | शंकर जयकिशन |
प्रदर्शन तिथि |
1962 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
शम्मी कपूर प्रीतम नाम का एक युवक है जिसे अपनी मां के तपेदिक के उपचार के लिए एक नौकरी की सख्त ज़रूरत है। उसे एक युवती और दो स्कूली बच्चों को पढ़ाने का काम मिल सकता है पर उनकी अविभावक सीता देवी वर्मा की यह शर्त है कि शिक्षक कोई बुजुर्ग ही हो। प्रीतम बुजुर्ग का भेष धर कर नौकरी पा जाता है। युवती और सीता देवी वर्मा के बीच संबंध सामान्य नहीं हैं, क्योंकि युवती के माता पिता की मृत्यु हाल ही में हुई है और सीता देवी पर उसकी और दोनो बच्चों की जिम्मेवारी आ गयी है। प्रीतम युवक के रूप में युवती से प्यार करता है जबकि बुजुर्ग के रूप में सीता देवी से ठिठोली करता है।
निर्माता एफसी मेहरा, निर्देशक लेख टंडन, अभिनेता शम्मी कपूर और संगीत निर्देशक जोड़ी शंकर जयकिशन ने बाद में 1969 की फिल्म प्रिंस में एक साथ काम किया है
गीत | गायक | गीतकार | टिप्पणी |
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"कोई आयेगा" | आशा भोंसले और लता मंगेशकर | कल्पना और परवीन चौधरी पर फिल्माया गया। | |
"ये उमर है" | आशा भोसले, उषा मंगेशकर और मन्ना डे | हसरत जयपुरी | शम्मी कपूर, कल्पना और परवीन चौधरी पर फिल्माया गया। |
"मैं चली मैं चली" | मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर | शैलेन्द्र | |
"ऐ गुलबदन" | मोहम्मद रफी | हसरत जयपुरी | |
"खुली पलक में झूठा गुस्सा" | मोहम्मद रफी | शैलेन्द्र | |
"आवाज दे कर हमें तुम बुलाओ" | मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर | हसरत जयपुरी |
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