Loading AI tools
एक से जादा मांसपेशियो समाहओ कि कमी विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
पक्षाघात या लकवा मारना (Paralysis) एक या एकाधिक मांसपेशी समूह की मांसपेशियों के कार्य करने में पूर्णतः असमर्थ होने की स्थिति को कहते हैं। पक्षाघात से प्रभावी क्षेत्र की संवेदन-शक्ति समाप्त हो सकती है या उस भाग को चलना-फिरना या घुमाना असम्भव हो जाता है। यदि दुर्बलता आंशिक है तो उसे आंशिक पक्षाघात कहते हैं।[1]
पक्षाघात तब लगता है जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त आपूर्ति रुक जाती है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस-पास की जगह में खून भर जाता है। जिस तरह किसी व्यक्ति के हृदय में जब रक्त आपूर्ति का आभाव होता तो कहा जाता है कि उसे दिल का दौरा पड़ गया है उसी तरह जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम हो जाता है या मस्तिष्क में अचानक रक्तस्राव होने लगता है तो कहा जाता है कि आदमी को मस्तिष्क का दौरा पड़ गया है।
शरीर की सभी पेशियों का नियंत्रण केंद्रीय तंत्रिकाकेंद्र (मस्तिष्क और मेरुरज्जु) की प्रेरक तंत्रिकाओं से, जो पेशियों तक जाकर उनमें प्रविष्ट होती हैं, होता है। अत: स्पष्ट है कि मस्तिष्क से पेशी तक के नियंत्रणकारी अक्ष के किसी भाग में, या पेशी में हो, रोग हो जाने से पक्षाघात हो सकता है। सामान्य रूप में चोट, अबुद की दाब और नियंत्रणकारी अक्ष के किसी भाग के अपकर्ष आदि, किसी भी कारण से उत्पन्न प्रदाह का परिणाम आंशिक या पूर्ण पक्षाघात होता है।
शरीर के ऊतकों को कार्य करने के लिए रक्त की आवश्यकता पड़ती है और यदि किसी रक्तवाहिका में रुधिर स्रवण (bleeding) या रुधिर का थक्का (घनास्रता/thrombosis) बनने के कारण खून की पूर्ति बंद हो जाय, अथवा धमनी के अंदर रकस्रोतरोधन हो तो पक्षाघात हो जाता है। प्रमस्तिष्कीय (cerebral) थ्रॉम्बोसिस अर्थात् मस्तिष्क की किसी धमनी में रुधिर का थक्का बनना अर्धपक्षाधात (hemiplegia) का एक साधारण कारण है। इसमें शरीर के जिस भाग में थ्रांबोसिस होता है उसके विपरीत पाश्र्व में पक्षाधात हो जाता है। धमनियों के रोगक्रांत होने पर रुधिर का थक्का बनता है। धमनी रोगों में सबसे सामान्य करंभार्बुद (atheroma) है, जो बुढ़ापे के कारण अपकर्षी परिवर्तन के रूप में होता है। सिफिलिस या मधुमेह के प्रारंभिक संक्रमण काल के आठ दस वर्षों के बाद, 40-50 वर्ष के अधेड़ व्यक्तियों की रुग्ण धमनियों में भी, उपर्युक्त अर्बुद हो जाता है। निर्बल तरुणियों पर प्रसूति के तुरंत बाद पक्षाघात का आक्रमण होते प्राय: देखा गया है। रुधिर के थक्का बनाने की शक्ति कम करने की दवाएँ अब प्राप्य हैं और उचित चिकित्सा होने पर रोगी की स्थिति में शीघ्र सुधार हो सकता है, यहां तक कि वह पूर्णत: नीरोग हो सकता है, लेकिन कुछ ही घंटों के विलंब से रुधिर की पूर्ति के अभाव में मस्तिष्क का क्षेत्र पूर्णतया नष्ट हो सकता है, जिसे फिर से क्रियाशील नहीं किया जा सकता और इसके फलस्वरूप स्थायी पक्षाघात हो जाता है। पक्षाधात का आक्रमण बहुधा बार बार हुआ करता है।
दोनों पैरों का पक्षाघात, जिसे सक्थि संस्तंभ (paraplegia) कहते हैं, व्यापक रोग है। यह किसी एक पैर में क्रमश: बढ़ती हुई कमजोरी के रूप में प्रांरभ होता है। प्रारंभिक अवस्था में ध्यान न देने और उपेक्षा करने पर दोनों पैरों में पूर्ण पक्षाघात हो सकता है और रोगी का अपने मल मूत्र पर नियंत्रण नहीं रह जाता। यह बहुधा मेरुरज्जु में छोटे अर्बुद की तरह के रोग से, जो धीरे धीरे वर्षों से बढ़ता रहता है या सिफिलिस जैसे रोग के प्रदाह से, होता है। प्रारंभिक अवस्था में पहचान और उपचार होने से दोनों ही ठीक हो सकते हैं। भारत में खेसारी सदृश कुछ निकृष्ट अनाज उपजते हैं, जिन्हें दाल या फली के साथ खाने पर मेरुज्जु का चटरी मटरी रोग (lathyrism) हो जाता है, जिसके कारण सक्थि संस्तंभ हो जाता है। लैंड्रो (Landry's) का पक्षाधात तेजी से बढ़नेवाला पक्षाधात है, जिसमें ज्वर पांव से चढ़ता है और सारे शरीर को आक्रांत कर लेता है। यह विषाणुओं से होता है। इसमें श्वसन का पक्षाधात होकर रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। मेरुरज्जु का प्रदाह समाप्त होने तक रोगी को लोहे के फेफड़े में रखकर बचाया जा सकता है।
बाल संस्तंभ या पोलियो (poliomyelitis) सारी दुनिया में फैला हुआ कुख्यात रोग है। प्राय: बच्चों पर ही आक्रमण करनेवाले एक विषाणु से यह फैलता है। यह विषाणु रोगियों से निकलकर स्वस्थ बच्चे में उसके मुखमार्ग से प्रविष्ट होता है। दो तीन दिनों तक ज्वर रहता है और इसके बाद शरीर के किसी या कई भागों में पक्षाघात प्रारंभ हो जाता है। रोग से अत्यंत सतोषप्रद या आंशिक मुक्ति, अथवा रोग की असाध्यता, पक्षाधात के प्रसार और तीव्रता पर निर्भर है। इसमें बच्चे का एक पैर सदा के लिए छोटा और कमजोर हो जा सकता है और चलने की त्रुटि तथा अन्य शारीरिक विरूपताओं से बचने के लिए उसे ऊँची एड़ी का जूता पहनना पड़ सकता है। दुनिया भर में करोड़ों लोग बचपन से पंगु होते हैं। रोग को जड़े से दूर करने का कोई उपाय नहीं हैं, लेकिन बच्चों में इसका संक्रमण रोकने के लिए टीके अवश्य तैयार किए जा रहे हैं। प्रांरभ से ही चिकित्सा संबंधी सतर्कता से काम लेने पर और चलना प्रारंभ करते समय बच्चे के लिए मेरुदंडीय अवलंब की व्यवस्था करने से विकृतियाँ दूर होत हैं और अशक्तता कम हो जाती है।
चेहरे का पक्षाघात भी अत्यंत व्यापक रोग है और हर आयु में हो सकता हैं, जिसमें आधा चेहरा किसी दिन सबेरे या नहाने के बाद पक्षाधातपीड़ित पाया जाता है। यह प्राय: आधे चेहरे पर व्याप्त मुखतंत्रिकाओं के चारों ओर ठंढ लगने से होता है। अविलंब चिकित्सा से रोगमुक्ति संभव है।
भावुक, अस्थिरचित्त तथा किसी प्रकार के तनाव से पीड़ित, अप्रौढ़ व्यक्तियों को हाथ, बाँह या पैरों में हिस्टीरिया पक्षाघात हो जाता है, जैसे यद्ध के मोर्चे पर सैनिकों को पैर में और अतिशय श्रम करनेवाली गृहिणी को हाथ में।
पक्षाघात की अनेक अवस्थाओं और कारणों पर विचार करने से ज्ञात होता है कि कुछ पक्षाघात रोगी पूर्णत: स्वस्थ हो सकते हैं, कुछ उपर्युक्त चिकित्सा या शल्य चिकित्सा से अंशत: स्वस्थ हो सकते हैं और कुछ पक्षाघात असाध्य हो सकते है। असाध्य पक्षाघात से पीड़ित अंगों से यथासंभव काम लेने के लिए ग्राभ (), हाथ पैडिल से चलनेवाली कारों तथा हाथ तथा पैर की टेकों का निर्माण हुआ है। हाथ पैर की टेकों को सहायता से टाइप करने, रसोई बनाने और खाने आदि काम भी रोगी कर लेते हैं।
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Every time you click a link to Wikipedia, Wiktionary or Wikiquote in your browser's search results, it will show the modern Wikiwand interface.
Wikiwand extension is a five stars, simple, with minimum permission required to keep your browsing private, safe and transparent.