एक प्रकार का (ताड़) वृक्ष विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
नारियल एक बहुवर्षी एवं एकबीजपत्री पौधा है। इसका तना लंबा तथा शाखा रहित होता है। मुख्य तने के ऊपरी सिरे पर लंबी पत्तियों का मुकुट होता है। ये वृक्ष समुद्र के किनारे या नमकीन जगह पर पाये जाते हैं। इसके फल हिन्दु | हिन्दुओं के धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयुक्त होता है। बांग्ला में इसे नारिकेल कहते हैं। नारियल के वृक्ष भारत में प्रमुख रूप से केरल,पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में खूब उगते हैं। महाराष्ट्र में मुंबई तथा तटीय क्षेत्रों व गोआ में भी इसकी उपज होती है। नारियल एक बेहद उपयोगी फल है। नारियलArchived 2023-04-11 at the वेबैक मशीन देर से पचने वाला, मूत्राशय शोधक, ग्राही, पुष्टिकारक, बलवर्धक, रक्तविकार नाशक, दाहशामक तथा वात-पित्त नाशक है। नारियल के पत्तो का उपयोग हम छाते के लिए कर सकते है ꫰
संस्कृत में इसको नालिकेरः कहते हैं। "नल्यते केन वायुना ईर्यते इति नालिकेर:"। वर्णभ्रंश के कारण, सामान्य भाषण में यह नारिकेल बन गया। इससे बंगला शब्द नारिकेल तथा हिन्दी शब्द नारियल निकले हैं |
नारियल की तासीर ठंडी होती है। नारियल का पानी हल्का, प्यास बुझाने वाला, अग्निप्रदीपक, वीर्यवर्धक तथा मूत्र संस्थान के लिए बहुत उपयोगी होता है।
सूखे नारियल से तेल निकाला जाता है। इस तेल की मालिश त्वचा तथा बालों के लिए बहुत अच्छी होती है। नारियल तेल की मालिश से मस्तिष्क भी ठंडा रहता है। गर्मी में लगने वाले दस्तों में एक कप नारियल पानी में पिसा जीरा मिलाकर पिलाने से दस्तों में तुरंत आराम मिलता है।
त्वचा की देखभाल: नारियल पानी को त्वचा पर लगाने के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि यह त्वचा को मोइस्चर और स्वस्थ रखने में मदद कर है।
बुखार के कारण बार-बार लगने वाली प्यास के इलाज के लिए नारियल की जटा को जलाकर गर्म पानी में डालकर रख दें। जब यह पानी ठंडा हो जाए तो छानकर इसे रोगी को पीने दें। इससे प्यास मिटती है।
आँतों में कृमि की समस्या से निपटने के लिए हरा नारियल पीसकर उसकी एक-एक चम्मच मात्रा का सुबह-शाम नियमित रूप से सेवन करना चाहिए। नारियल के पानी की दो-दो बूँद सुबह-शाम कुछ दिनों तक नाक में टपकाने से आधा सीसी के दर्द में बहुत आराम मिलता है।
सभी प्रकार की चोट-मोच की पीड़ा तथा सूजन दूर करने के लिए नारियल का बुरादा बनाकर उसमें हल्दी मिलाकर प्रभावित स्थान पर पट्टी बाँधें और सेंकें। विभिन्न त्वचा रोगों जैसे खाज-खुजली में नारियल के तेल में नीबू का रस और कपूर मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाने से लाभ मिलता है।
हृदय के विकारो के जोखिम कम करने के लिए सूखा नारियल का सेवन करना चाहिए। सूखा नारियल में अधिक फाइबर होता है। जो हृदय को स्वस्थ बनाये रखने में मदद करता है।
सूखे नारियल का सेवन करने से पाचन सम्बंधित सभी समस्याओं से बचने में मदद करता है।
पित्तजन्य विकारों के निदान में नारियल विशेष रूप से लाभकारी है। इसके लिए कच्चे नारियल की गिरी, रस तथा सफेद चंदन का बुरादा मिला लें। इस मिश्रण की 10 ग्राम मात्रा को रात को पानी में भिगो दें। सुबह छानकर इसे खाली पेट पिएँ।
स्वस्थ सुंदर संतान प्राप्ति के लिए गर्भवती महिला को 3-4 टुकड़े नारियल प्रतिदिन चबा-चबाकर खाने चाहिए। इसके साथ एक चम्मच मक्खन, मिसरी तथा थोड़ी सी पिसी कालीमिर्च मिलाकर चाटें। बाद में थोड़ी सी सौंफ चबाएँ। इसके आधे घंटे बाद तक कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए। पुराने सूजाक और मूत्रकृच्छ में भी इससे आश्चर्यजनक लाभ होता है।
नारियल क्रोहन्स डिजीज के इलाज के लिए एक रामबाण औषधि है। इस बीमारी में रोगी की आँतों में जलन, डायरिया, मल में रक्त आना, वजन कम होना आदि लक्षण होते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार क्रोहन्स डिजीज के उपचार में प्रयोग किए जाने वाले कॉर्टिकोस्टेराइड्स के समकक्ष नारियल में फाइटोस्टेराल्स नामक समूह तत्व होता है जो क्रोहन्स डिजीज में मुकाबला करता है।
नारियल हमें मोटापे से भी बचाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार एक स्वस्थ वयस्क के भोजन में प्रतिदिन 15 मिग्रा जिंक होना जरूरी है जिससे मोटापे से बचा जा सके। ताजा नारियल में जिंक भरपूर मात्रा में होता है।
हैजे में यदि उल्टियाँ बंद न हो पा रही हों तो रोगी को तुरंत नारियल पानी पिलाना चाहिए। इससे उल्टियाँ बंद हो जाती हैं