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2001 की शंकर की फ़िल्म विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
नायक 2001 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। यह शंकर द्वारा सह-लिखित और निर्देशित है। फिल्म में अनिल कपूर के साथ रानी मुखर्जी, अमरीश पुरी, परेश रावल और जॉनी लीवर विभिन्न चरित्र निभाएं हैं।[1] यह शंकर की 1999 की तमिल भाषा की फिल्म मुधलवन की रीमेक है।[2] नायक की घोषणा जून 2000 में की गई थी और यह शंकर की पहली हिन्दी भाषा की फिल्म है। संगीत ए॰ आर॰ रहमान द्वारा दिया गया और बोल आनंद बख्शी द्वारा लिखे गए हैं।
नायक | |
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फ़िल्म का पोस्टर | |
निर्देशक | शंकर |
लेखक | अनुराग कश्यप (संवाद) |
पटकथा | शंकर |
कहानी | शंकर |
निर्माता | ए॰ एम॰ रतनाम |
अभिनेता |
अनिल कपूर, रानी मुखर्जी, अमरीश पुरी, जॉनी लीवर, परेश रावल |
संगीतकार | ए॰ आर॰ रहमान |
प्रदर्शन तिथियाँ |
7 सितंबर, 2001 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
शिवाजी राव गायकवाड़ (अनिल कपूर) महत्वाकांक्षी टेलीविजन कैमरामैन है जो अपने दोस्त टोपी (जॉनी लीवर) के साथ क्यूटीवी चैनल के लिए काम करता है। अपनी नौकरी के दौरान, शिवजी को कॉलेज के छात्रों और बस चालकों के बीच लड़ाई के कारण हुए दंगों को रिकॉर्ड करने का काम सौंपा जाता है। उसी बीच गलती से एक बातचीत रिकॉर्ड हो जाती है जिसमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बलराज चौहान (अमरीश पुरी) पुलिस को कुछ भी करने से मना कर देते हैं। दंगों के दौरान शिवाजी कॉलेज के एक छात्र की जान बचाता है और इसे टोपी द्वारा रिकॉर्ड किया जाता है। अपने इन अच्छे कार्यों के कारण हुई प्रसिद्धि की वजह से शिवाजी को वरिष्ठ टेलीविजन प्रस्तोता के रूप में पदोन्नत कर दिया जाता है। इसी बीच पुलिस की निष्क्रियता के कारण जान-माल की क्षति हो चुकी होती है। अपने फैसलों को समझाने के लिए बलराज चौहान शिवाजी के साथ एक लाइव साक्षात्कार करने के लिए सहमत हो जाते हैं। इस दौरान शिवाजी इन मुद्दों को उठाता है और उनके द्वारा रिकॉर्ड की गई बातचीत को प्रसारित करता है। अपनी सरकार के कुप्रबंधन के आरोपों के जवाब में बलराज यह कहता है कि उन लोगों का काम आसान नहीं है। वह शिवाजी को एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनकर उन समस्याओं का स्वयं अनुभव करने की चुनौती देता है। शिवाजी अनिच्छा से चुनौती स्वीकार करता है।
बंसल (परेश रावल) की सहायता से शिवाजी उन मुद्दों को संभालता है जो हर दिन जनता को प्रभावित करते हैं। वह जरूरतमंदों के लिए किफायती आवास और रोजगार का प्रबंधन करता है और वह अक्षम और भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को निलंबित कर देता है। इस एक दिन के अंतिम कार्य में शिवाजी बलराज को ही गिरफ्तार कर लेता है। क्योंकि वह ही सारे भ्रष्टाचार का मूल कारण है। बाद में, वह जमानत लेता है और जेल से छूट जाता है। वह शिवाजी द्वारा पारित सभी आदेशों को रद्द करने के लिए एक अध्यादेश पारित करता है। शिवाजी की सफलता से अपमानित होकर बलराज उसके पीछे हत्यारों को भेजता है। लेकिन वह बच जाता है। इसी बीच शिवाजी को एक भोली और लापरवाह ग्रामीण मंजरी (रानी मुखर्जी) से प्यार हो जाता है। उससे उसकी मुलाकात तब हुई थी जब वह एक कैमरामैन था। वह उसके पिता (शिवाजी साटम) से उससे शादी करने के लिए कहता है। लेकिन उसके पिता इनकार कर देते हैं क्योंकि शिवाजी के पास सरकारी नौकरी नहीं है। परिणामस्वरूप, शिवाजी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर देता है। हालाँकि, बंसल उसके पास आता है और उसको बताता है कि उसकी लोकप्रियता आसमान छू रही है और लोग चाहते हैं कि वह अगला मुख्यमंत्री बनें। पहले तो वह ऐसा नहीं करना चाहता है। लेकिन बलराज चौहान के गुर्गे उसे डराने के लिए क्यूटीवी परिसर में तोड़फोड़ करते हैं और लोग भारी संख्या में उसके घर पर एकत्रित होकर अपना समर्थन दिखाते हैं। इसलिए वो अब मान जाता है।
आगामी राज्य चुनावों में, शिवाजी भारी बहुमत से जीतता है। बलराज के राजनीतिक सहयोगी उसका साथ छोड़ देते हैं। मंजरी के पिता, शिवाजी के फैसले से क्रोधित हो जाते हैं और अपनी बेटी की शादी उनसे करने से इंकार कर देते हैं। मुख्यमंत्री बनने पर शिवाजी कई सुधार करता है और शीघ्र ही लोगों की नज़रों में आदर्श बन जाता है। हालाँकि, उसकी बढ़ती लोकप्रियता को बलराज द्वारा लगातार खतरा रहता है। वह अपने गुर्गों का उपयोग करके उसे मारने या नायक के रूप में उसकी छवि खराब करने की कोशिश करता है। वह उसके घर पर एक बम विस्फोट करता है जिसमें उसके माता-पिता मर जाते हैं। अंतिम प्रयास के रूप में, बलराज पांडुरंग (सौरभ शुक्ला) को शहर के विभिन्न हिस्सों में बम विस्फोट करने का आदेश देता है। शिवाजी पांडुरंग को गिरफ्तार कर करवा लेता है उससे चार बमों के स्थान का खुलासा करवाता है। एक दस्ता तीन बमों को निष्क्रिय करने में सफल होता है, लेकिन चौथा बम फट जाता है लेकिन किसी को कोई हानि नहीं होती। कोई रास्ता न देखकर शिवाजी चौहान को सचिवालय में बुलाता है और ऐसी स्थिति पैदा कर कर देता है कि मानो उसने शिवाजी को गोली मार दी है। वहां सुरक्षा गार्ड आते हैं और बलराज को मार डाला जाता है। मंजरी के पिता को यह भी एहसास होता है कि शिवाजी एक महान व्यक्ति है जो हर चीज से पहले अपना कर्तव्य देखता है और मंजरी को उससे शादी करने की अनुमति दे देता है। फिल्म शिवाजी के शासन में राज्य के विकास के साथ समाप्त होती है।
सभी गीत आनंद बख्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत ए॰ आर॰ रहमान द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "चलो चले मितवा" | उदित नारायण, कविता कृष्णमूर्ति | 6:41 |
2. | "शकालाका बेबी" | वसुंधरा दास, शिराज़ उप्पल, प्रवीण मणि | 5:27 |
3. | "रूखी सूखी रोटी" | शंकर महादेवन, अलका यागनिक | 5:39 |
4. | "सइयां" | सुनिधि चौहान, हंस राज हंस | 6:13 |
5. | "चिड़िया तू होती तो" | अभिजीत, संजीवनी | 5:49 |
6. | "तू अच्छा लगता है" | हरिहरन, कविता कृष्णमूर्ति | 5:37 |
7. | "चलो चले पूर्वा" | उदित नारायण, कविता कृष्णमूर्ति | 3:06 |
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