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नवानगर, सौराष्ट्र के ऐतिहासिक हालार क्षेत्र में अवस्थित एक देसी राज्य था। यह कच्छ की खाड़ी के दक्षिणी तट पर स्थित था जिसके केन्द्र में वर्त्तमान जामनगर था। इसकी स्थापना सन १५४० ईस्वी में हुई थी, और यह राज्य भारत के स्वतन्त्र होने तक विद्यमान था। वर्ष १९४८ में, आधिकारिक रूप से भारतीय संघ में अधिग्रहित कर लिया गया। इसकी राजधानी नवानगर थी, जिसे वर्तमान समय में जामनगर के नाम से जाना जाता है।
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नवानगर रियासत के कुल भूभाग का क्षेत्रफल 3,791 वर्ग मील (9,820 कि॰मी2) था और १९०१ की जनगणना के अनुसार इसकी कुल जनसंख्या ३,३६,७७९ थी। नवानगर राज्य पर, जडेजा गोत्र के हिन्दू राजपूत वंश का राज था, जिन्हें "जाम साहब" की उपाधि से संबोधित किया जाता था। नवानगर और कच्छ राज्य के राजकुटुंब एक ही वंश के थे। ब्रिटिश संरक्षणाधीन काल में नवानगर के जाम साहब को १५ तोपों की सलामी का सम्मान प्राप्त था। ब्रिटिश राज में नवानगर, बॉम्बे प्रेसिडेंसी के काठियावाड़ एजेंसी का हिस्सा था।[1]
नवानगर में एक मुक्ता मात्स्यकालय (मोती समुपयोजनागार) थी, जो नवानगर की धन का सबसे बड़ा स्रोत था। इसके अलावा, नवानगर राज्य ने भारत में क्रिकेट को प्रसिद्ध करने में अहन भूमिका थी, जिसका श्रेय जाम साहब रणजीतसिंहजी जडेजा को जाता है, जो स्वयं भी एक प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी थे। रणजीतसिंहजी नवानगर के तमाम जाम साहबों में सबसे प्रसिद्ध थे, उन्हें विशेष तौर पर, भारत में क्रिकेट के विकास में उनके योगदान के लिए जाना जाता है।
नवानगर रियासत की स्थापना सन १५४० में, कच्छ राज्य के जडेजा राजवंश के वंशज- जाम श्री रावलजी द्वारा हुई थी। स्थापना के बाद से, नवानगर, अपने पडोसी जडेजा राज्यों के संग, मुग़ल साम्राज्य के विरुद्ध, लगभग निरंतर युद्ध की स्थिति में रहा करता था। इन युद्धों में मिठोई की लड़ाई और भूचर मोरी की लड़ाई प्रमुख है। भूचर मोरी की लड़ाई में नवानगर ने, मुग़लों के विरुद्ध, तमाम काठियावाड़ी राज्यों की संयुक्त सेना का नेतृत्व किया था। यह युद्ध ध्रोल के निकट भूचर मोरी नमक जगह पर लड़ी गयी थी। इस युद्ध में मुग़लों की निर्णायक जीत हुई थी, जिसके कारणवश गुजरात सल्तनत,जिसके अंतिम सुल्तान मुज़फ़्फ़र शाह (तृतीय), नवानगर के जाम के शरण में थे, का हमेशा हमेशा के लिए अंत हो गया था। भूचर मोरी की लड़ाई, सौराष्ट्र में लड़ी गयी सबसे बड़ी लड़ाई थी। मुग़लों के अलावा, काठियावाड़ी रियासतें, आपस में भी अक्सर लड़ा करती थीं। कई पुश्तों से चल रही यह काठियावाड़ी राजनैतिक संघर्ष, ब्रिटिश मध्यस्तता में की गयी १८०७ की वॉकर संधि के आने के बाद शांत हुई और सैकड़ों वर्षों में काठियावाड़ में पहली बार शांति आयी।
२२ फ़रवरी १८१२ में नवानगर ब्रिटिश संरक्षण के अधीन आ गया। ब्रिटिश शासन द्वारा, नवानगर को १५-तोपी सलामी रियासत का दर्जा हासिल था। स्वतंत्रत के बाद, नवानगर, विलय के उपकरणों पर हस्ताक्षर करने वाले पहले राज्यों में से एक था। तत्पश्चात, नवानगर के तत्कालीन जाम साहब, दिग्विजयसिंघजी, संयुक्त काठियावाड़ राज्य के सर्वप्रथम राजप्रमुख बने, एवं अपने देश का प्रतिनिधित्व संयुक्त राष्ट्र में भी किया।
१९४९ में, पूर्व सही राज्य, नवानगर, ध्रोल और जलीय दीवान ने विलय कर संयुक्त सौराष्ट्र राज्य(भारत गणराज्य का एक राज्य) बनाया। १९ जून १९५९ में नवानगर ज़िले पास के ओखमंडल के इलाके को जोड़ दिया गया अजर इस ज़िले का नाम बदल कर जामनगर कर दिया गया। तात्पश्चान यह ज़िला नए नवेले राज्य गुजरात, जिसे बॉम्बे राज्य के विभाजन से बनाया गया था, का हिस्सा बन गया।[2]
शाशनकाल | शाशक | जन्म | निधन |
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2 अक्टूबर 1690 - 13 अक्टूबर 1708 | लखाजी तमाची | 1708 | |
13 अक्टूबर 1708 - 13 अगस्त 1711 | रायसिंहजी लखाजी | 1711 | |
13 अगस्त 1711 - 1743 | तमाची रायसिंहजी | 1743 | |
सितंबर 1743 - 2 नवंबर, 1767 | लखजी तमाची | 1743 | 1767 |
2 नवंबर 1767 - 6 अगस्त 1814 | जसाजी लखाजी | 1814 | |
6 अगस्त 1814 - 24 फरवरी 1820 | सताजी (द्वी०) लखजी | 1820 | |
24 फरवरी 1820 - 22 फरवरी 1852 | रणमलजी साताजी (द्वी०) | 1852 | |
22 फरवरी, 1852 - 28 अप्रैल, 1895 | विभाजी (द्वितीय) रणमलजी | 1827 | 1895 |
28 अप्रैल, 1895 - 14 अगस्त, 1906 | जशवंतसिंहजी विभाजी द्वितीय | 1882 | 1906 |
12 मार्च 1907 - 2 अप्रैल 1933 | रणजीतसिंहजी विभाजी (द्वि०) | 1872 | 1933 |
2 अप्रैल 1933 - 15 अगस्त 1947 | दिग्विजयसिंहजी रणजीतसिंहजी | 1895 | 1966 |
3 फरवरी 1966 - 28 दिसंबर 1971 | शत्रुशाल्यसिंहजी दिग्विजयसिंहजी | 1939 | जीवित |
रणजीतसिंहजी विभाजी, नवानगर के सबसे प्रसिद्ध और जनमान्य शाशक है। उन्हें विश्व के महानतम करकेटरों में गिना जाता है। वो स्वयं क्रिकेट के बड़े शौक़ीन खिलाडी थे, और छात्रकाल से ही इस खेल में समर्पित थे। उन्होंने नवानगर और पूरे भारत में क्रिकेट की प्रसिद्धि में अहम् योगदान दिया था। उन्होंने क्रिकेट प्रशिक्षण के लिए "ऑक्टेट सर्कल" का सिद्धांत विकसित किया था, जिसमें एक विशेष आठ सक्षम खिलाडियों को चुना जाता था। उनकी मृत्यु के बाद, बीसीसीआई ने १९३४ में भारत के विभिन्न शहरों और क्षेत्रों के बीच खेली जा रही क्रिकेट सिरीज़ को रणजीतसिंहजी के सम्मान में, रणजी ट्रॉफी के बाम से शुरू किया।[3] उनहोंने कई क्रिकेट अकैडेमियाँ भी खोली थी।
जाम साहब रणजीतसिंहजी, १९३१ से १९३३ तक नरेंद्रमंडल के चांसलर रहे थे। उनके बाद, उनके भतीजे, दिग्विजयसिंघजी चांसलर बने।
नवानगर के महाराज जाम साहब, ब्रिटिश एवं विश्व भर के संभ्रांत समुदाय में अपनी विशेष आभूषणों के संग्रह के लिए जाने जाते थे। विशेष कर, रणजीतसिंहजी, जिनके विशेष मरकतों(एमरल्ड) के संग्रह को मशहूर फ़्रांसीसी आभूषण निर्माता कंपनी कार्टियर के जैक्स कार्टियर ने कहा था कि वह "दुनिया में नाबाराबर है"। उनके निजी संग्रह में, एक मोतियों और हीरों से जड़ा हार, स्वयँ जैक्स कार्टियर द्वारा डिज़ाइन किया, मर्कतों और हीरे से जड़ा एक आर्ट डेको रचना का हार और जैक्स कार्टियर द्वारा तराशा गया मरकत से बना कॉलर [4][5]
इसके अलावा, १९३४ में कार्टियर ने नवानगर के महाराज के लिए, "द आई ऑफ़ द टाइगर"(शेर की आँख) नाम के व्हिस्की के रंग के एक ६१.५० कैरट (१२.३ ग्राम) के हीरे नवानगर के महाराज की पगड़ी में भी जड़ा था।[6]
नवानगर रियासत की मुद्रा कोरी कही जाती थी। येह चांदी का ४ ग्राम ४०० मिल्ली ग्राम का सिक्का था। इसके साथ ही आधि कोरी का भी सिक्का था, जो कि वज़न मे आधा था। नवनगर के अतिरिक्त और कई रियासतों की मुद्रा कोरी ही थी। जैसे की कच्छ, पोरबंदर और जामनगर। [7]
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