नंदीग्राम
पश्चिम बंगाल का एक नगर विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
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नंदीग्राम (Nandigram) भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के पूर्व मेदिनीपुर ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2]
नंदीग्राम Nandigram নন্দীগ্রাম | |
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सीतानन्द कॉलेज, नन्दीग्राम | |
निर्देशांक: 22.148°N 88.096°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | पश्चिम बंगाल |
ज़िला | पूर्व मेदिनीपुर ज़िला |
क्षेत्रफल | |
• कुल | 2.5577 किमी2 (0.9875 वर्गमील) |
ऊँचाई | 6 मी (20 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 5,803 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | बंगाली |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र | तामलुक |
विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र | नंदीग्राम विधानसभा |
वेबसाइट | purbamedinipur |
नन्दीग्राम कोलकाता से दक्षिणपश्चिम दिशा में 70 किमी दूर, औद्योगिक शहर हल्दिया के सामने और हल्दी नदी के दक्षिण किनारे पर स्थित है। यह क्षेत्र हल्दिया डेवलपमेंट अथॉरिटी के तहत आता है। सन् 2007 में, पश्चिम बंगाल की सरकार ने सलीम ग्रुप को "स्पेशल इकनॉमिक ज़ोन" नीति के तहत, नन्दीग्राम में एक 'रसायन केन्द्र' (केमिकल हब) की स्थापना करने की अनुमति प्रदान करने का निर्णय किया।[3]
ग्रामीणों ने इस निर्णय का प्रतिरोध किया जिसके परिणामस्वरूप पुलिस के साथ उनकी मुठभेड़ हुई जिसमें 14 ग्रामीण मारे गए और पुलिस पर बर्बरता का आरोप लगा।
ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की सुश्री फिरोज़ा बीबी, नन्दीग्राम निर्वाचन क्षेत्र से, 5 जनवरी 2009 को हुए उप-चुनाव में विधान सभा की नवनिर्वाचित सदस्या चुनी गईं।
हालाँकि अंग्रेजों के जमाने के भारतीय इतिहास में, बंगाल के इस क्षेत्र का कोई सक्रिय या विशेष उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन यह क्षेत्र ब्रिटिश युग से ही सक्रिय राजनीति का हिस्सा रहा है। 1947 में, भारत के वास्तविक स्वतन्त्रता प्राप्त करने से पहले, "तमलुक" को अजॉय मुखर्जी, सुशील कुमार धारा, सतीश चन्द्र सामंत और उनके मित्रों ने, नन्दीग्राम के निवासियों की सहायता से, अंग्रेजों से कुछ दिनों के लिए मुक्त कराया था (आधुनिक भारत का यही एकमात्र क्षेत्र है जिसे दो बार मुक्ति मिली)।
भारत के स्वतन्त्र होने के बाद, नन्दीग्राम एक शिक्षण-केन्द्र रहा था और इसने कलकत्ता (कोलकाता) के उपग्रह नगर हल्दिया के विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाई। हल्दिया के लिए ताजी सब्जियाँ, चावल और मछली की आपूर्ति नन्दीग्राम से की जाती है। हल्दिया की ही तरह, नन्दीग्राम भी, व्यापार और कृषि के लिए भौगोलिक तौर पर, प्राकृतिक और अनुकूल भूमि है। नन्दीग्राम की किनारों पर, गंगा (भागीरथी) और हल्दी (कंशाबती के अनुप्रवाह) नदियाँ फैली हुईं हैं और इस तरह ये दोनों नदियाँ यहाँ की भूमि को उपजाऊ बनातीं हैं।
हालाँकि इस क्षेत्र की आबादी में 60% लोग मुसलमान हैं।
नन्दीग्राम पिछले 35 वर्षों से, (लाल दुर्गो: किला/भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीआई (एम) (CPI(M) के दबदबे में) लाल किले की तरह था और मौजूदा सांसद लक्ष्मण सेठ अपने सकारात्मक वोट बैंक के रूप में इसी क्षेत्र पर भरोसा करते थे, परन्तु हाल ही में, राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित SEZ (स्पेशल इकनॉमिक ज़ोन) के लिए भूमि अधिग्रहण पर विद्रोह हुआ।
नन्दीग्राम निर्वाचन क्षेत्र में 5 जनवरी 2009 को हुए उप-चुनाव के परिणामस्वरूप, जिलाधिकारी (डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट) ने 9 जनवरी 2009 के दिन ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की सुश्री फिरोज़ा बीबी को निर्वाचित घोषित किया। सुश्री फिरोज़ा बीबी ने एक बहुमुखी स्पर्धा में जहाँ 80% से भी अधिक मतदान हुआ था, सीपीआई (CPI) से नामांकित भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार परमानन्द भारती को हराया। 14 मई 2007 को पुलिस फायरिंग में मारे गए इन्दादुल की माँ सुश्री फिरोज़ा बीबी को 93,022 वोट मिले जबकि परमानन्द भारती को 53,473 वोट मिले।[4]
सुश्री फिरोज़ा बीबी ने, जिन्होंने अपने निकटतम प्रतिस्पर्धी भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (सीपीआई (CPI)) के उम्मीदवार से 39,500 से भी अधिक वोटों से जीत हासिल की, अपनी जीत को उन लोगों के नाम समर्पित किया जो भूमि के मुद्दे को लेकर भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के कार्यकर्ताओं के साथ हुई लगभग एक साल तक की लम्बी लड़ाई में मारे गए थे। सुश्री फिरोज़ा बीबी तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व वाली 'भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमिटी' की सक्रिय कार्यकर्ता है और इसी कमिटी ने 2008 में राज्य सरकार को औद्योगिक विकास के लिए कृषिभूमि को अधिग्रहण करने की अपनी योजना को रद्द करने पर मजबूर किया था।
उप-चुनाव करवाना ज़रूरी हो गया था चूंकि एक 'स्टिंग ऑपरेशन' के दौरान, पदस्थ विधान सभा सदस्य- सीपीआई (CPI) के श्री इलियास महम्मद शेख के भ्रष्ट कारनामों का भाण्डा फूट चुका था और उन्हें पद से त्याग देना पड़ा।[5] इससे पहले वे 2006 और 2001, दोनों वर्षों के राज्य चुनाव जीत चुके थे।
1991 और 1987 में, सीपीआई (CPI) के शक्तिप्रसाद पाल ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। 1982 में सीपीआई (CPI) के उम्मीदवार भूपाल पाण्डा इस निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। जनता पार्टी के प्रबीर जाना ने 1977 में यह सीट जीती थी। नन्दीग्राम विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, "तामलुक" (जो लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है) का ही हिस्सा है।
नन्दीग्राम में रसायन केन्द्र (केमिकल हब) बनाने की राज्य सरकार की योजना को लेकर उठे विवाद के कारण विपक्ष की पार्टियों ने भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आवाज उठाई। तृणमूल कांग्रेस, सोश्यलिस्ट यूनिटी सेन्टर ऑफ़ इंडिया ((एसयूसीआई)(SUCI)), जमात उलेमा-ए-हिंद और इंडियन नैशनल कांग्रेस के सहयोग से भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमिटी (बीयूपीसी (BUPC) - भूमि-निष्काशन के ख़िलाफ़ लड़ने वाली समिति) की स्थापना की गई। सत्तारूढ़ सीपीआई (एम) (CPI(M)) पार्टी के अनेक समर्थक भी इसमें जुड़ गए। कारखानों को स्थापित करने के लिए भूमि अधिग्रहण को रोकना बीयूपीसी (BUPC) का लक्ष्य था। सत्तारूढ़ पार्टी के वरिष्ट नेताओं ने इस आन्दोलन को 'औद्योगीकरण के विरुद्ध' घोषित किया। सरकार-समर्थक माध्यमों ने पश्चिम बंगाल के बेरोजगार युवाओं के लिए बहुत बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध कराने की बात कही और इस क्षेत्र के विकास में तेजी लाने का दावा किया। इस विचार के अनुसार, इस तरह यह क्षेत्र एक औद्योगिक क्षेत्र बन जाता जिससे राज्य में और अधिक निवेश तथा नौकरियों के द्वार खुल जाते. हालाँकि प्रमुख विपक्षी पार्टी - तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी (TMC)) का कहना था कि असल में वह औद्योगीकरण के विरुद्ध नहीं है, बल्कि वह अमानवीय तरीकों से जारी किये जा रहे थे।
हालात तब बिगड़े जब समीप के हल्दिया के सांसद ने योजना में सक्रिय भूमिका निभाने की कोशिश की। इस सांसद के अधिकार के तहत आने वाले 'हल्दिया डेवलपमेंट अथॉरिटी' (हल्दिया विकास प्राधिकरण) ने भूमि अधिग्रहण के लिए नोटिस जारी किये। यह आरोप लगा कि विरोधियों ने सीपीआई (एम) और बीयूपीसी के समर्थकों और उनके घरों पर हमले किये। दोनों पक्षों ने हथियार जमा किये और कई संघर्ष हुए जिसके परिणामस्वरूप कई घर जल गए और साथ ही हत्या व बलात्कार की घटनाएँ घटीं। आखिरकार, माओवादियों के समर्थन के कारण बीयूपीसी (BUPC) का पलड़ा भारी रहा और उसने सीपीआई (एम) (CPI(M)) के कार्यकर्ताओं और पुलिस को 3 महीनों से अधिक समय तक के लिए सड़कों की खुदाई करके इस क्षेत्र में प्रवेश करने से रोका। फिर सरकार ने नाकेबन्दी को हटाने और परिस्थिति को सामान्य बनाने के बहाने का प्रयास किया। 14 मार्च 2007 की रात को राज्य पुलिस ने 'जॉइण्ट ऑपरेशन' किया, जिसमें अन्य लोगों के सम्मिलित होने का भी आरोप लगाया गया। इस कार्यवाई में 14 लोगों की हत्या हुई।
बंगाल के बुद्धिजीवियों में इस मसले को लेकर कुछ मतभेद रहा है। एक तरफ महाश्वेता देवी, अपर्णा सेन, सांवली मित्रा, सुवप्रसन्ना, जॉय गोस्वामी, कबीर सुमन, ब्रत्या बासु और मेधा पाटकर ने सरकार की आलोचना की, और दूसरी तरफ सौमित्र चटर्जी, नीरेन्द्रनाथ चक्रबर्ती और तरुण मजुमदार ने विकास के मुद्दे को लेकर मुख्य मन्त्री का समर्थन किया। 14 मार्च को सरकार=समर्थी बुद्धिजीवियों ने मुख्य मंत्री का पक्ष लिया, जिनमें उपन्यासकार बुद्धदेब गुहा व देबेश रॉय, साहित्यकार अमितावा चौधरी, कवियित्री मल्लिका सेनगुप्ता, अभिनेता दिलीप रॉय व सब्यसाची चक्रबर्ती, व अभिनेत्री उषा गांगुली, गायक अमर पाल, शुवेन्दु माइती, उत्पलेंदु चौधरी, व इन्द्राणी सेन, सरोद वादक बुद्धदेव दासगुप्ता, इतिहासकार अनिरुद्ध रॉय, फुटबॉल-विद्वान पी के बैनर्जी, प्रसिद्ध आर्किटेक्ट सैलापति गुहा, वैज्ञानिक सरोज घोष और कोलकाता के सायंस सिटी ऑडिटोरियम में आयोजित एक सभा की अध्यक्षता करने वाले नीरेन्द्रनाथ चक्रबर्ती शामिल थे। लेकिन वामपन्थी सुमित व तनिका सरकार, प्रफुल्ल बिदवाई व संखा घोष ने सरकार सरकार की आलोचना की। पश्चिम बंगाल सरकार की 'स्पेशल इकनॉमिक ज़ोन' नीति का सीधा असर पड़ा मई 2008 में हुए पंचायत चुनावों पर. तृणमूल कांग्रेस-एसयूसीआई (SUCI) गठबन्धन ने नन्दीग्राम और आस-पास के क्षेत्रों में सीपीआई (एम) (CPI(M)) और उसके वामपन्थी सहयोगियों को हराया। तृणमूल कांग्रेस-एसयूसीआई (SUCI) गठबन्धन और कांग्रेस ने, लगभग 30 वर्षों बाद, पश्चिम बंगाल के 16 जनपदों में से 3 जनपदों के जनपद परिषदों को सीपीआई (एम) (CPI(M)) से छीन लिया।[6]
मार्च 2001 में, मेदिनीपुर जनपद के नन्दीग्राम II (द्वितीय) ब्लॉक ने दावा किया कि पूरे ब्लॉक में शौचालय की व्यवस्था उपलब्ध कराई जा चुकी है।
यहाँ का सबसे निकटतम रेल्वे स्टेशन है - मोगराजपुर जो तामलुक-दीघा से जुड़ा है। और सबसे निकटतम बस स्टॉप है - चाँदीपुर (मठ). हावड़ा स्टेशन से चलने वाली 5-7 सीधी बसें हैं। साथ ही दीघा, हल्दिया, जिओन्खलि और मेचेड़ा से भी सीधी बसें चलती हैं। इसके अलावा, हर आधे घण्टे पर चाँदीपुर (मठ) से ट्रैकर भी उपलब्ध होते हैं।
हल्दिया से नौका लेकर भी नन्दीग्राम पहुँचा जा सकता है (हालाँकि वर्तमान में यह सुविधा हल्दिया नगरपालिका द्वारा स्थगित की गई है)। यह नौका सेवा नन्दीग्राम के किसानों और छोटे व्यापारियों के लिए अति महत्त्वपूर्ण यातायात साधन है क्योंकि इसी के जरिये वे हल्दिया बाजार पहुँच कर वहाँ अपना माल बेचते हैं। यह नौका सेवा हल्दिया नगरपालिका चलाती है।
गाँव के अन्दर, घर पास-पास नहीं होते और चूँकि वैन-रिक्शा कच्ची सड़कों पर चलने के लायक नहीं होते, इसलिए लोगों को मीलों की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है।
इस क्षेत्र में केवल एक कॉलेज है - नन्दीग्राम कॉलेज जो विद्यासागर विश्वविद्यालय से सम्बद्ध है। इसके अलावा, यहाँ कई स्कूल हैं, जैसे - नन्दीग्राम बीएमटी (BMT) शिक्षा निकेतन, नन्दीग्राम गर्ल्स हाई स्कूल, असद्तला बानामली शिक्षा निकेतन, रायपारा गर्ल्स हाई स्कूल, खोदम बारी हायर सेकेण्डरी स्कूल, हंसचारा हाई स्कूल और मर्दापुर शिक्षा निकेतन।
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