धातु (आयुर्वेद)
विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
Remove ads
आयुर्वेद के मौलिक सिद्धान्तों में सप्त धातुओं का बहुत महत्व है। इनसे शरीर का धारण होता है, इसी कारण से इन्हें 'धातु' कहा जाता है (धा = धारण करना)। ये संख्या में सात हैं -
- 1- रस
- 2- रक्त
- 3- मांस
- 4- मेद
- 5- अस्थि
- 6- मज्जा
- 7- शुक्र
सप्त धातुयें वातादि दोषों से कुपित होंतीं हैं। जिस दोष की कमी या अधिकता होती है, सप्त धातुयें तदनुसार रोग अथवा शारीरिक विकृति उत्पन्न करती हैं।
आधुनिक आयुर्वेदज्ञ सप्त धातुओं को 'पैथोलांजिकल बेसिस आंफ डिसीजेज' के समतुल्य मानते हैं।
सुश्रुत के अनुसार मनुष्य जो पदार्थ खाता है, उससे पहले द्रव स्वरूप एक सूक्ष्म सार बनता है, जो रस कहलाता है। इसका स्थान ह्वदय कहा गया है। यहाँ से यह धमनियों द्वारा सारे शरीर में फैलता है। यही रस तेज के साथ मिलकर पहले रक्त का रूप धारण करता है और तब उससे मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, शुक्र आदि शेष धातुएँ बनती है।
Remove ads
Wikiwand in your browser!
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Every time you click a link to Wikipedia, Wiktionary or Wikiquote in your browser's search results, it will show the modern Wikiwand interface.
Wikiwand extension is a five stars, simple, with minimum permission required to keep your browsing private, safe and transparent.
Remove ads