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भारतीय अभिनेत्री विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
तृषा कृष्णन (जन्म 4 मई 1983), खाली तृषा नाम से जानी जाती हैं, भारतीय अभिनेत्री और मॉडल हैं, जो मुख्यत दक्षिण भारत के सिनेमा में काम करती हैं जहाँ इन्होंने एक सफल करियर गढ़ा हैं। चेन्नई में जन्मी तृषा, मिस चेन्नई और इस जैसी सुंदरता प्रतियोगिता जीतने के बाद सुर्खियों में आई।[4][5][6] तमिल फ़िल्म सामी, गिल्ली और तेलुगू फ़िल्म वर्षम से उन्हें सफलता मिली। तृषा ने प्रियदर्शन की फ़िल्म खट्टा मीठा से हिंदी फ़िल्मों में आगाज़ किया था।[7] तृषा पशुओं के साथ नैतिक व्यवहार के पक्षधर लोग संस्था की समर्थक हैं और वो जानवरों के साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ़ हैं।[8]
तृषा 1983 में चेन्नई के तमिल अय्यर परिवार में जन्मी अपनी माता-पिता की अकेली संतान हैं।[4][5] इन्होंने अपनी पढ़ाई सेक्रेड हार्ट मैट्रिकुलेशन स्कूल, चेन्नई से पूरी की थी, बाद में आगे जाकर इन्होंने इतिराज कॉलेज फॉर विमेन से व्यवसाय प्रशासन में स्नातक (BBA) किया।[4][5] 1999 में तृषा ने मिस सलेम और 2000 में मिस चेन्नई सौंदर्य प्रतियोगिता जीती थी जिसके बाद उनको फ़िल्मों और विज्ञापन मिलना शुरू हुए।[5] उन्होनें 2001 मिस इंडिया में "सुंदर मुस्कान" पुरस्कार भी जीता था।
सबसे पहले वो फाल्गुनी पाठक के गाने "मेरी चुनर उड़-उड़ जाए" में दिखी थी, आयशा टाकिया की सहेली के रूप में। सबसे पहली फ़िल्म उनकी जोड़ी नामक तमिल फ़िल्म थी जिसमें उनका किरदार श्रेयरहित था।[5] बाद में प्रियदर्शन ने अपनी तमिल फिल्म लेसा लेसा में एक अभिनय भूमिका के लिए तृषा से संपर्क किया था।[9] तथापि यह फ़िल्म गंभीर रूप से लम्बी खिच गई, इसलिए 2002 की तमिल फ़िल्म मौनम पेसीयाडे उनकी मुख्य भूमिका वाली पहली फ़िल्म थी। 2003 की फ़िल्म सामी, विक्रम के विपरीत जिसमें उन्होनें तमिल ब्राह्मण लड़की का किरदार निभाया था, तृषा की सबसे पहली सफल फ़िल्म थी।[5]
2004 में उन्होनें तेलुगू सिनेमा में कदम रखा, वर्षम् से जिसने उन्हें रातोंरात सनसनी बना दिया। उनके द्वारा निभाया गया किरदार, एक मध्यवर्गीय लड़की जो अपने पिता के आग्रह पर एक फिल्म स्टार बन जाती हैं को काफ़ी सराहा गया।[10] तृषा को अपने प्रदर्शन के लिए दूसरों के अलावा फिल्मफेयर पुरस्कार दक्षिण में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (तेलुगू) का पुरस्कार मिला।[5] उनकी अगली फ़िल्म गिल्ली नाम की तमिल फ़िल्म थी जिसमें वो विजय के विपरीत थी। फ़िल्म 2004 की सबसे बड़ी हिट साबित हुई।[5]
आगे के वर्षों में तृषा की कई फ़िल्में आई पर उनमें उनके द्वारा निभाए गए किरदार उनके पुरुष सहकर्मियों के आगे दब गए और उनका काम सीमित था। 2005 फ़िल्म नुव्वोस्टनन्टे नेनोड्ड्न्टन उनकी दूसरी तेलुगू फ़िल्म थी। फ़िल्म प्रभु देवा के द्वारा निर्देशित करी पहली फ़िल्म थी जिसमें सिद्धार्थ मुख्य अभिनेता थे। तृषा द्वारा निभाई गई गाँव की लड़की की भूमिका के लिए उन्हें लगातार दूसरा सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (तेलुगू) का फिल्म फेयर अवार्ड मिला और सबसे पहला नंदी पुरस्कार।[5] फिल्म ने अंततः आठ दक्षिणी फिल्मफेयर पुरस्कार सुरक्षित किए, किसी तेलुगु फिल्म द्वारा सबसे ज़्यादा, जबकि फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर भी बेहद सफल बनकर उभरी। तृषा ने इसके तमिल रीमेक में भी अपनी भूमिका दोहरा ही।
उनकी अगली फ़िल्में जी और आदि जिसमें क्रमशः, वो अजित कुमार और विजय के साथ जोड़ी में थी, आलोचनात्मक और आर्थिक विफलताएँ थी। वर्षम् और नुव्वोस्टनन्टे नेनोड्ड्न्टन की सफलताओं ने उन्हें एम एस राजू की तीसरी तेलुगू फ़िल्म मिली, पूर्णिनामी। तृषा की नामधारी भूमिका वाली ये फ़िल्म बहुत बड़ी असफलता बनी। 2006 की तृषा की आखिरी तमिल फ़िल्म उनाक्कम इनाक्कम, नुव्वोस्टनन्टे नेनोड्ड्न्टन की रीमेक, टिकड़ खिड़की पर काफ़ी सफल रही। उनकी अगली तेलुगू फ़िल्म स्टालिन थी जिसमें वो चिरंजीवी के विपरीत थी और फिर वो सैनिकुडु में दिखी महेश बाबू के साथ।
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