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2003 की हिन्दी फ़िल्म विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
तुझे मेरी कसम 2003 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसमें नवोदित रितेश देशमुख और जेनेलिया डिसूज़ा ने अभिनय किया है।[1] इसका निर्देशन के. विजय भास्कर ने किया और इसका निर्माण रामोजी राव ने किया था। इसके संगीत निर्देशक विजू शाह थे। इस फ़िल्म से श्रिया सरन ने हिन्दी फ़िल्मों में पर्दापण किया था। यह मलयालम फ़िल्म निरम की रीमेक है।[2] इस फ़िल्म ने टिकट खिड़की पर व्यावसायिक सफलता हासिल की और बॉक्स ऑफिस इंडिया द्वारा इसे सेमी हिट का दर्जा दिया गया
तुझे मेरी कसम | |
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तुझे मेरी कसम का पोस्टर | |
निर्देशक | के. विजय भास्कर |
लेखक | नीरज वोरा (संवाद) |
निर्माता |
रामोजी राव ए. वी. राव |
अभिनेता |
रितेश देशमुख, जेनेलिया डिसूज़ा, श्रिया सरन |
छायाकार | कबीर लाल |
संगीतकार | विजू शाह |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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लम्बाई |
155 मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिंदी |
ऋषि और अंजू बचपन के दोस्त हैं। उनका जन्म एक ही दिन, एक ही अस्पताल में हुआ था। यहाँ तक कि उनके माता-पिता भी अपने कॉलेज के दिनों के सबसे अच्छे दोस्त हैं और अब वह पड़ोसी हैं। ऋषि (रितेश देशमुख) और अंजू (जेनेलिया डिसूज़ा) एक ही कॉलेज में एक ही कक्षा में पढ़ते हैं। वहीं आकाश एक बहुत ही प्रतिभाशाली गायक है जो अंजू को पसंद करने लगता है। दोनों कॉलेज के एक समारोह में एक साथ गाते हैं। फिर वह, अंजू और अन्य कुछ छात्र कॉलेज प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए एक सप्ताह के लिए बैंगलोर चले जाते हैं। जब वे अपने जीवन में पहली बार अलग होते हैं, तो ऋषि को अंजू की बहुत याद आती है। लेकिन वह यह भावनाओं को नहीं समझता है। उसकी नौकरानी, सरो (सुप्रिया पिलगांवकर) उसे चिढ़ाने लगती है कि वह उसे इसलिए याद कर रहा है क्योंकि वह उससे प्यार करता है। धीरे-धीरे, नौकरानी की बातों से, ऋषि को एहसास होने लगता है कि वह अंजू को प्यार करता है। अंजू बैंगलोर से लौटती है और ऋषि को बताती है कि आकाश ने उसे प्रपोज किया था। वह उससे कहता है कि अगर वह आकाश को पसंद करती है तो उसे हाँ कह देना चाहिये। वह आकाश के प्रपोजल के लिए सहमत हो जाती है।
बाद में चीजें खराब होने लगती हैं क्योंकि आकाश को ऋषि और अंजू की नज़दीकियाँ पसंद नहीं आती हैं। जब आकाश और अंजू बातचीत कर रहे होते हैं और ऋषि उनके साथ शामिल हो जाता है, तो आकाश उसे जाने के लिए कहता है। इस तरह की हरकतें अंजू को परेशान करती हैं और वह उसे चेतावनी देती है कि वह ऐसा दोबारा न करे। लेकिन ऋषि समझाता है कि आकाश जो कर रहा है वह उचित है। आकाश की दादी (सुषमा सेठ) उनकी शादी की व्यवस्था करने के लिए अंजू के घर आती हैं। उसके माता-पिता सहमत हो जाते हैं और शादी की तैयारियाँ अच्छी तरह से चल रही होती हैं। यह तय होता है कि शादी के बाद अंजू आकाश के साथ यूएसए चली जाएगी जहाँ उसका परिवार बसा हुआ है। तब उसे एहसास होता है कि इस शादी का मतलब है ऋषि के साथ उसका रिश्ता तोड़ना और हमेशा के लिए चले बाहर चले जाना। वह अचानक शादी करना नापसंद करने लगती है और ऋषि से इस बारे में बात करने की कोशिश करती है। अंजू को ऋषि के ऊपर शक होने लगता है और उसे वह उसके कमरे में जाती है और एक कार्ड और उपहार देखकर चौंक जाती है। वह कहती है कि वह आकाश से शादी नहीं करना चाहती और सबको उनके बारे में बता देगी। ऋषि यह कहते हुए मना कर देता है कि अपने माता-पिता का विश्वास तोड़ना बहुत गैर-जिम्मेदाराना होगा। घर पर नौकरानी उनके माता-पिता को सब कुछ बताती है और वे स्टेशन पर जाते हैं जहाँ दोनों गए हुए हैं। वे अंजू और ऋषि को प्लेटफॉर्म की सीढ़ियों पर पाते हैं। वे कहते हैं कि वे शादी रद्द कर देंगे और उन्हें घर आने के लिए कहते हैं।
सभी गीत महबूब कोतवाल द्वारा लिखित; सारा संगीत विजू शाह द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायन | अवधि |
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1. | "आज़ादी है प्यारी" | शान, श्रेया घोषाल | 5:33 |
2. | "कोई तो मेरी फ़रियाद" | उदित नारायण, साधना सरगम | 4:53 |
3. | "छोटी छोटी खुशियाँ" | अलका याज्ञनिक, अभिजीत, निशा उपाध्याय | 5:15 |
4. | "थोड़ी सी दीवानी" | अलका यज्ञनिक | 5:15 |
5. | "पल पल सोच में" | उदित नारायण, साधना सरगम | 5:39 |
6. | "मैं रोकलूँ तेरे" | वैशाली सामंत | 4:18 |
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