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मध्य एशिया मे स्थित एक देश विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
ताजिकिस्तान (ताजिक: Тоҷикистон, تاجیکستان, तोजिकिस्तोन) मध्य एशिया मे स्थित एक देश है जो चारों ओर से ज़मीन से घिरा (स्थलवेष्ठित) है। यह पहले सोवियत संघ का हिस्सा था और उस देश के विघटन के बाद सन् १९९१ में एक स्वतंत्र देश बना। १९९२-९७ के काल में गृहयुद्धों की मार झेल चुके इस देश की कूटनीतिक-भौगोलिक स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है। यह उज़बेकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, किर्गिज़स्तान तथा चीन के मध्य स्थित है। इसके अलावा पाकिस्तान के उत्तरी इलाके से इसे केवल अफ़ग़ानिस्तान के बदख़्शान प्रान्त का पतला-सा वाख़ान गलियारा ही अलग करता है।
Ҷумҳурии Тоҷикистон जम्हूरिये ताजिकिस्तान ताजिकिस्तान गणराज्य |
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राष्ट्रगान: सुरुदी मिल्ली | ||||||
राजधानी और सबसे बड़ा नगर | दुशान्बे 38°33′N 68°48′E | |||||
राजभाषा(एँ) | फ़ारसी (ताजिक भाषा) | |||||
सरकार | एकल राज्य | |||||
- | राष्ट्रपति | इमोमली रहमान | ||||
- | प्रधानमंत्री | ओकिल ओकिलोव | ||||
स्वतंत्र | ||||||
- | सामानी साम्राज्य की स्थापना | 875 | ||||
- | पूर्ण | 25 दिसम्बर 1991 | ||||
क्षेत्रफल | ||||||
- | कुल | 1,43,000 km2 | ||||
- | जल (%) | 0.3 | ||||
जनसंख्या | ||||||
- | जुलाई 2007 जनगणना | 73,20,000১1 (100वाँ1) | ||||
- | 2000 जनगणना | 61,27,000 | ||||
सकल घरेलू उत्पाद (पीपीपी) | 2023 प्राक्कलन | |||||
- | कुल | $53.679 अरब [1] (119 वाँ) | ||||
- | प्रति व्यक्ति | $5,361[1] (153 वाँ) | ||||
मानव विकास सूचकांक (2021) | 0.685medium (2021)[2][3] त्रुटि: मानव विकास सूचकांक का मान गलत है। · 113वाँ |
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मुद्रा | सोमोनी (TJS) | |||||
समय मण्डल | TJT (यू॰टी॰सी॰+5) | |||||
दूरभाष कूट | 992 | |||||
इंटरनेट टीएलडी | .tj | |||||
1. | Rank based on UN figures for 2005; estimate based on CIA figures for 2006. |
ताजिकिस्तान की राजधानी दुशानबे शहर है और यहाँ की भाषा को ताजिक कहा जाता है जो फ़ारसी भाषा का एक रूप माना जाता है। इस भाषा को सीरीलिक अक्षरों में लिखा जाता है जिसमें रूसी तथा कुछ अन्य भाषाएँ भी लिखी जाती हैं।
ताजिकिस्तान का मतलब है "ताजिकों का वतन", जैसा कि इस क्षेत्र के बहुत अन्य देशों के नामों के साथ "स्तान" लगता है, मसलन किर्गिज़स्तान, हिन्दुस्तान, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान वग़ैरा। माना जाता है कि 'ताजिकिस्तान' में 'ताज' शब्द पामीर की गाँठ को 'ताज' के रूप मे देखकर रखा गया है, जिस तरह कभी-कभी हिमालय को भारत का 'हिमकिरीट' ('बर्फ़ का ताज') कहा जाता है। 'ताज' में समय के साथ 'क' शब्द को सुन्दर बनाने के लिए पुराने काल से जोड़ा जाता रहा है।
'ताजिक' शब्द का प्रयोग ईरानियों को तुर्कों से विभक्त करने के लिए प्रयोग होता आ रहा है। सबों को सम्बोधित करने के लिए 'ताज़िक-ओ-तुर्क' पद का इस्तेमाल होता था। इतिहास में ताजिकिस्तान के लोगों को 'ताजिक' ही कहा जाता रहा है, लेकिन अब इस संबोधन पर विवाद है, क्योंकि यहाँ ताजिक लोगों के अलावा उज़बेक लोग और रूसी लोग भी बसते हैं। उनका मत है कि ताजिकिस्तान के लोगों को ताजिक कहने का मतलब है कि यह केवल 'ताज़िक मूल के लोगों का देश' है जो उनके लिए स्वीकार्य नहीं है और इस देश के सब लोगों को 'ताजिकिस्तानी' बुलाया जाना चाहिए।
यहाँ पर मानव बसाव ईसा के 4000 साल पहले से रहा है। महाभारत तथा अन्य भारतीय ग्रंथों में वर्णित महाजनपद कम्बोज तथा परम कम्बोज का स्थल यहीं माना जाता है। ईरान के हख़ामनी शासन में सम्मिलित किए जाने के समय यहाँ बौद्ध धर्म भी आया था। इसी समय बेबीलोनिया से कुछ यहूदी भी यहाँ आकर बसे थे। सिकन्दर के आक्रमण के समय यह प्रदेश बचा रहा। चीन के हान वंश से भी इनके कूटनीतिक सम्बन्ध थे।
सातवीं सदी में अरबों ने यहाँ पर इस्लाम की नींव डाली। ईरान के सामानी साम्राज्य ने अरबों को भगा दिया और समरकन्द तथा बुख़ारा की स्थापना की। ये दोनों शहर अब उज्बेकिस्तान में हैं। तेरहवीं सदी में मंगोलों के मध्य एशिया पर अधिकार होने में ताजिक क्षेत्र सबसे पहले समर्पण करने वालों में से एक था। अठारहवीं सदी में रूसी साम्राज्य का विस्तार हो रहा था और फ़ारसी साम्राज्य को पीछे दक्षिण की ओर खिसकना पड़ा।
1991 में सोवियत रूस से स्वायत्तता मिलते ही इसे गृहयुद्धों के दौर से गुज़रना पड़ा। 1992-97 तक यहाँ फ़ितने (गृहयुद्ध) की वज़ह से देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई। 2008 में आई भयंकर सर्दी ने भी देश को बहुत नुकसान पहुँचाया।
ताजिकिस्तान चारों तरफ़ से खुश्की में घिरा हुआ है और रकबे़ के लिहाज़ से मध्य एशिया का सब से छोटा मुल्क है। सिलसिला कोह पामीर इस मुल्क के बेशतर हिस्से पर फैला हुआ है और मुल्क का पच्चास फ़ीसद से ज़ायद इलाका समुंद्र-सतह से 3 हज़ार मीटर (तक़रीबन 10 हज़ार फुट) से अधिक ऊंचा है। कम बुलंद ज़मीन का वाहिद इलाका शुमाल में फरगाना वादी और जनूबी कअफ़रन्गइन और ओ-खश की वादीयां हैं जो आमू दरिया को तशकील देती हैं और यहां बारिशें भी ज़्यादा होती हैं। राजधानी दुशान्बे जनूबी ढलानों पर वादी कअफ़रन्गइन के ऊपर वाक़िअ है। आमू दरिया और पंज दरिया अफ़ग़ानिस्तान के साथ सरहद तशकील देते हैं। कोह इस्माईल सामानी (7495 मीटर), कोह आज़ादी (7174 मीटर) और कोह इबन सेना (6974 मीटर) मुल्क की तीन बड़ी चोटियां हैं।
मुल्क अलग-अलग सुबों में तक़सीम है जिन्हें 'विलायत' या 'विलोयत' (ताजिकी: вилоят, ولایت) कहा जाता है - ध्यान दें कि 'विलायत' बहुत से मध्य एशियाई देशों में 'प्रान्त' के लिए शब्द है।
1। सुग़्द विलोयत (खोक़ंद)
2। गणतंत्र-अधीन ज़िले, दुशान्बे की कौमी हुकूमत द्वारा शासित इलाका
4। कूहिस्तोनी-बदख़्शान मुख़्तोर विलोयत उर्फ़ गोर्नो-बदख़्शान मुख़्तोर विलोयत
ताजिकिस्तान के तीन बैरूनी इलाके (exclave) भी हैं जो वादी फरगाना में वाक़िअ हैं जहां किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान और उज़बेकिस्तान आपस में मिलते हैं। इन बैरूनी इलाक़ों में सब से बड़ा वरओ-ख है जिस की आबादी 23 से 29 हज़ार है जिस में से 95 फ़ीसद ताजिक लोग और 5 फ़ीसद किर्गिज़ लोग हैं। ये इलाका किर्गिज़ इलाके में असफ़ारअ से 45 किलोमीटर जनूब में दरयाऐ करफिशीं के किनारे वाक़िअ है। दोनों बैरूनी इलाका किर्गिज़स्तान में का रअगच के रेलवे स्टेशन के क़रीब एक छोटी सी आबादी है जबकि आख़री सरवान का कावं है जो एक ज़मीन का एक छोटा सा अंश है (15 किलोमीटर तवील और एक किलोमीटर एरीज़) जो अनगरीन से खोक़ंद के दरम्यानी रास्ते पर वाक़िअ है। ताजिकिस्तान में किसी और देश का कोई अंदरूनी इलाका (enclave) नहीं।
आज़ादी के फ़ौरन बाद ताजिकिस्तान मुख़तलिफ़ फ़िरकों के दरम्यान लड़ाई के कारण ख़ाना जंगी (गृहयुद्ध) का शिकार बन गया, जिन्हें ईरान और रूस की हमायत हासिल थी। ख़ाना जंगी के दौरान तमाम 4 लाख रूसी बाशिंदे, सिवाए 25 हज़ार के, इस इलाके से रूस चले गए। 1997 में ख़ाना जंगी ख़ात्म हुई और 1999 में पर इंतख़ाबात के ज़रीये मरकज़ी हुकूमत कायम हुई। ताजिकिस्तान एक जमहूरीया है जहां सदर और संसद मुंतख़ब करने के लिए इंतख़ाबात होते हैं। आख़री इंतख़ाबात 2005 में हुऐ और गुज़शता तमाम इंतख़ाबात की तरह इन इंतख़ाबात को भी अंतर्राष्ट्रीय समीक्षकों ने ग़ैर मुनसिफ़ाना क़रार दिया।
हिज़्ब इखतिलाफ़ (विपक्ष) की कई अहम जमातों ने 6 नवम्बर 2006 को होने वाले इंतख़ाबात में हिस्सा लिया, जिन में 23 हज़ार अराकीन पर मुशतमिल इस्लामी नशात सानिया पार्टी भी शामिल थी। ताजिकिस्तान इस वक्त तक मध्य एशिया का वाहिद मुल्क है जहां मुतहरिक हिज़्ब इखतिलाफ़ मौजूद है। संसद में हिज़्ब इखतिलाफ़ के अराकीन का बसा औक़ात हुकूमती अराकीन से तसादम होता रहता है ताहम इस से बड़े पैमाने पर कोई अदम इसतिहकाम पैदा नहीं हुआ।
ताजिकिस्तान इशतराकी एद ही से दीगर रियासतों के मुक़ाबलऐ में एक गरीब रियासत थी और आज़ादी के फ़ौरी बाद ख़ाना जंगी ने इस की मईशत को लब गुरू पहुंचा दिया। 2000 में बहाली के मंसूबों की मदद के का सब से अहम ज़रीया बेन एलअक़वामी इमदाद ही थी। बेन एलअक़वामी इमदाद ने ख़ित्ते में ग़िज़ाई पैदावार की मुसलसल कमी और कहत की सूरतहाल से निमटने के लिए अहम किरदार अदा क्या। 21 अगस्त 2001 को सलीब अहमर ने ऐलान क्या कि कहत ताजिकिस्तान को निशाना बिना रहा है और ताजिकिस्तान और अज़बकसतान के लिए बेन एलअक़वामी इमदाद का मुतालबा क्या। ख़ाना-जंगी के बाद ताजिकिस्तान मईशत तेज़ी से तरक़्की कर रही है। आलमी बैंक के आदाद ओ- शुमार के मुताबिक 2000 से 2004 के दरम्यान ताजिकिस्तान के जी डी पी में 9.6 फ़ीसद सालाना के हिसाब से इज़ाफ़ा हो रहा है।
ताजिकिस्तान की आबादी जुलाई 2006 के अंदाज़ों के मुताबिक 7,320,815 है। सब से बड़ा नस्ली गिरोह ताजिक है, जबकि अज़बक बाशनदों की बड़ी तादाद भी ताजिकिस्तान में रिहाइश पज़ीर है। रूसियों की थोड़ी सी आबादी भी यहां रहती है जो हिजरत के बाइस कम होती जा रही है। मुल्क की बाज़ाबता ज़बान ताजिक फ़ारसी है जबकि कारोबारी-ओ-हुकूमती मामलों में रूसी ज़बान भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होती है। ग़रीबी के बावजूद ताजिकिस्तान में साक्षरता बहुत ज़्यादा है और तक़रीबन 98 फ़ीसद आबादी लिखने ओर पढ़ने की सलाहीयत रखती है। मुल्क की अक्सर आबादी इस्लाम की पैरवी करती है जिन में सुन्नी बहुत बड़ी अक्सरीयत में हैं जबकि शिया अल्पसंख्यक हैं। बुख़ारा के कुछ यहूदी दूसरी सदी ईसा-पूर्व से इस इलाके में रहते हैं ताहम आज इन की तादाद चंद सौ ही है।
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