जस्ता
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जस्ता एक रासायनिक तत्व है जो संक्रमण धातु समूह का एक सदस्य है। रासायनिक दृष्टि से इसके गुण मैगनीसियम से मिलते-जुलते हैं। मनुष्य जस्ते का प्रयोग प्राचीनकाल से करते आये हैं। कांसा, जो ताम्बे व टिन की मिश्र धातु है, १०वीं सदी ईसापूर्व से उपयोग होने के चिह्न छोड़ गया है। ९वीं शताब्दी ईपू से राजस्थान में शुद्ध जस्ता बनाये जाने के चिह्न मिलते हैं और ६ ठी शताब्दी ईपू की एक जस्ते की खान भी राजस्थान में मिली है।[1] लोहे पर जस्ता चढ़ाने से लोहा ज़ंग खाने से बचा रहता है और जस्ते उपबैट्रियों में भी बहुत उपयोग होता है।[2][3]हाल ही में, जिंक धातु और इसके मिश्र धातुओं को उनके अनुकूल बायोडिग्रेडेबिलिटी दर के कारण आर्थोपेडिक अनुप्रयोगों में विकसित किया जा रहा है।[4]
जस्ता / Zinc रासायनिक तत्व | |
![]() नमूना | |
रासायनिक चिन्ह: | Zn |
परमाणु संख्या: | 30 |
रासायनिक शृंखला: | संक्रमण धातु |
![]() आवर्त सारणी में स्थिति | |
![]() | |
अन्य भाषाओं में नाम: | Zinc (अंग्रेज़ी), Цинк (रूसी), 亜鉛 (जापानी) |
चित्र
- जस्ते का टुकड़ा
- जस्ते का पाऊडर
- ज़िन्क हाइड्रोक्साइड - Zn(OH)2
- ज़िन्क सिलिकेट - ZnSiO3
- ज़िन्क ओक्साइड - ZnO
- खिड़की पर जस्ते का प्रयोग - लोहे के ढांचे में ज़ंग रोकने के लिये
- छत पर जस्ते का प्रयोग - लोहे में ज़ंग रोकने के लिये
- इन आहारों में जस्ता होता है, जो रोग-अवरोधक है
- शुद्ध जस्ते का बना जर्मन सिक्का
इन्हें भी देखेxx
जस्ता और जिंक एक ही है
संक्रमण धातु
सन्दर्भ
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