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हिन्दी भाषा में प्रदर्शित चलवित्र विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
छुपा रुस्तम 1973 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।
छुपा रुस्तम | |
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छुपा रुस्तम का पोस्टर | |
निर्देशक | विजय आनन्द |
लेखक |
विजय आनंद, कौशल भारती, सूरज सनिम |
निर्माता | विजय आनन्द |
अभिनेता |
देव आनन्द, विजय आनन्द, बिन्दू, अजीत, प्रेम चोपड़ा, ए के हंगल, रशीद ख़ान, हेमामालिनी, प्रेमनाथ, साजन, सुधीर, वीना |
छायाकार | वी रात्र |
संपादक | विजय आनन्द |
संगीतकार | सचिन देव बर्मन |
वितरक |
नवकेतन इंटरनेशनल फिल्म्स शेमारू विडियो प्रा. ली. |
प्रदर्शन तिथियाँ |
7 मई, 1973 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
भारत सरकार नंगला परियोजना अन्तर्गत भारत-तिब्बत सीमा पर स्थित पहाड़ियों में अध्ययन के लिए प्रोफ़ेसर हरबंसलाल (ए के हंगल) को रु 50,000 देती है| प्रोफ़ेसर का विश्वास है इन पहाड़ियों में एक स्वर्ण मन्दिर छुपा है| जब विक्रम सिंह (अजीत) व उसका बेटा बहादुर सिंह (प्रेम चोपड़ा) को नंगला परियोजना का पता चलता है तो वे प्रोफ़ेसर का अपहरण कर मन्दिर का पता पूछते है जिसमे प्रोफ़ेसर मारा जाता है| इसके बाद वे करोड़पति राजेंद्र जैन (सज्जन) की पत्नी का अपहरण कर उसकी बेटी ऋतू (हेमा मालिनी) की शादी बहादुर से करने की मांग करते है| राजेंद्र ऋतू से इस बारे में बात कर कुछ संकोच करता है तो अपहरणकर्ता द्वारा भेजा उसकी पत्नी का अंगूठा मिलता है| शादी की तिथि तयकिये अपहरणकर्ताओं को सूचित करते है| इसी बीच नटवरलाल (देव आनंद) ऋतू का अपहरण कर अपना अड्डा लिए जाता है| बीच में उनकी कार खराब होने पर वे जिम्मी फ़र्नांडिस (विजय आनंद) की सहायता लेते है जो उन्हें एक सूनी जगह छोड़ जाता है| नटवरलाल ऋतू के साथ अड्डा पहुँच राजेंद्र को फिरौती के लिए फोन करता है| इस बीच जिम्मी ऋतू का अपहरण करता है| राजेन्द्र इस असमंजस में है पत्नी और बेटी में किसे पहले छुडाएं? इन अपहरणों का नंगला परियोजना क्या संबंध है? बंधक अपहरणकर्ताओं से कैसे छूटते है?
गीत | गायक | गीतकार | समय |
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"धीरेसे जाना बगियन में" | किशोर कुमार | नीरज | 4:16 |
"हम छुपे रुस्तम हैं" | मन्ना डे | नीरज | 6:11 |
"बोलो क्या हमको दोगे" | किशोर कुमार, आशा भोसले | विजय आनंद | 4:27 |
"जलूँ मैं जले मेरा दिल" | आशा भोसले | नीरज | 3:45 |
"जो मैं होता" | किशोर कुमार, आशा भोसले | विजय आनंद | 5:11 |
"मैं हूँ छुई मुई" | आशा भोसले | विजय आनंद | 3:24 |
"सुनो सुनो मेरी दुखभरी दास्ताँ" | लता मंगेशकर | नीरज | 3:55 |
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