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1961 की एस॰ एस॰ वासन की फ़िल्म विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
घराना 1961 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसमें राजेन्द्र कुमार, राज कुमार और आशा पारेख मुख्य सितारें हैं। इसका निर्देशन एस॰ एस॰ वासन ने किया है और निर्माण जेमिनी स्टूडियो के तहत उन्हीं ने किया है। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट हुई थी। फिल्म 1960 की तेलुगू फिल्म शांति निवासम् की रीमेक है।
ये कहानी एक बहुत बड़े घराने की है, जिसे एक अत्याचारी माँ, शांता (ललिता पवार) चलाते रहती है। उसका पति, रामदास (बिपिन गुप्ता) काफी धार्मिक और नम्र स्वभाव का इंसान है, जो अपने घर में सभी का कहना मानते रहता है। उस घर की सबसे बड़ी बहू, गौरी एक विधवा है, जिसके दो बच्चे हैं। शांता का दूसरा बेटा, कैलाश (राज कुमार) की शादी सीता (देविका) से होती है। सबसे छोटा बेटा, कमल (राजेन्द्र कुमार) अभी कॉलेज में पढ़ाई कर रहा है, और उषा (आशा पारेख) नाम की एक लड़की के पीछे लट्टू है। शांता की एक बेटी, भैरवी (शुभा खोटे) है, जो अपने पति और ससुर के साथ रहती थी, लेकिन ससुर के गाने से परेशान हो कर वो अपने मायके में आ जाती है और अपनी पत्नी को वापस घर ले जाने के लिए उसका पति, सारंग भी उसके पास आ जाता है।
एक दिन कैलाश के मन में भैरवी उसकी पत्नी के खिलाफ शक डालती है कि उसका चक्कर कमल के साथ चल रहा है। कमल की उषा के साथ शादी होने के बाद भी कैलाश का शक दूर नहीं होता है। वो अपनी पत्नी को छोड़ देता है और ख़ुदकुशी करने की कोशिश करता है। उसकी दोस्त, रागिनी (मीनू मुमताज़) उसे रोक लेती है और एक दोस्त के रूप में वो उसकी मदद करती है।
एक दिन कमल देखता है कि उसकी माँ, उषा को मारने वाली है और वो उसे मारने से रोक देता है। वो अपने पिता, रामदास को भी घर की ज़िम्मेदारी उठाने और चलाने को कहता है। अंत में रामदास उसकी बात मान कर घर की सारी ज़िम्मेदारी ले लेता है और भैरवी को भी अपने पति के साथ ससुराल जाने को कहता है। कैलाश को पता चलता है कि उसकी पत्नी माँ बनने वाली है, पर वो उस बच्चे का पिता होने से इंकार कर देता है और कहता है कि इस बच्चे का बाप कमल है। सीता इन आरोपों को बेबुनियाद बताती है और इससे साफ इंकार कर देती है। इन आरोपों से उसका दिल टूट जाता है और वो ख़ुदकुशी करने की कोशिश करती है। परिवार के बाकी लोग उसे रोक लेते हैं और भैरवी सारी सच्चाई बता देती है कि उसने कमल और सीता के बारे में झूठी कहानी बनाई थी। सारी सच्चाई पता चलने के बाद कैलाश उससे माफी मांगता है और सीता उसे माफ कर देती है। इस तरह अंत में सारा परिवार एक हो जाता है और खुशियों के साथ जीवन बिताने लगता है।
सभी गीत शकील बदायूँनी द्वारा लिखित; सारा संगीत रवि द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
---|---|---|---|
1. | "हुस्न वाले तेरा जवाब नहीं" | मोहम्मद रफ़ी | 4:47 |
2. | "जय रघुनंदन जय सियाराम" | मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | 3:21 |
3. | "दादी अम्मा दादी अम्मा" | आशा भोंसले, कमल बरोट | 3:16 |
4. | "ये दुनिया उसी की जो प्यार" | आशा भोंसले | 4:21 |
5. | "ये जिंदगी की उलझनें" | आशा भोंसले | 3:09 |
6. | "जब से तुम्हें देखा है" | मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | 4:20 |
7. | "ना देखों हमें घूर के" | मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | 4:04 |
8. | "हो गई रे हो गई रे" | मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | 3:08 |
9. | "मेरे बन्ने की बात ना" | आशा भोंसले, शमशाद बेगम | 7:01 |
वर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
---|---|---|---|
1962 | शुभा खोटे | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री पुरस्कार | नामित |
रवि | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार | जीत | |
मोहम्मद रफ़ी ("हुस्न वाले तेरा जवाब नहीं") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार | नामित | |
शकील बदायूँनी ("हुस्न वाले तेरा जवाब नहीं") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार | जीत |
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