गोला गोकर्णनाथ
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गोला गोकर्णनाथ (Gola Gokaran Nath), जिसे गोला भी कहा जाता है, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के लखीमपुर खीरी ज़िले में स्थित एक पौराणिक नगर है। यह एक तीर्थस्थल है, जिसे "छोटी काशी" भी कहा जाता है। [1]
गोला गोकर्णनाथ | |
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Gola Gokaran Nath | |
गोला के शिव मंदिर का तीर्थकुण्ड | |
निर्देशांक: 28.08°N 80.47°E | |
देश | भारत |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | लखीमपुर खीरी |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 60,172 |
गोला गोकर्णनाथ एक नगर पालिका परिषद व तहसील है। गोला गोकर्णनाथ में रेलवे स्टेशन है, जो मैलानी से लखीमपुर, सीता पुर, लखनऊ होते हुए गोरखपुर जाती है।यह भगवान शिव के मंदिर और बजाज हिन्दुस्तान लिमिटेड के चीनी मिल के लिए जाना जाता है। जनश्रुतियों के अनुसार गोला गांव पहले शिव मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित था।फिर लंका के राजा रावण ने भगवान शिव को अपनी लंकापुरी में ले जाने के लिए प्रार्थना की तो भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर उसके साथ चलने को कहा लेकिन भोलेनाथ ने रावण से एक शर्त रखी कि कैलाश से लंका तक बीच में कहीं भी तुम शिवलिंग को धरती पर नहीं रखोगे अगर तुमने शिवलिंग को धरती पर रख दिया तो हम वहीं पर स्थापित हो जायेंगे तो रावण ने उनकी शर्त को स्वीकार कर लिया और शिवलिंग को लेकर आकाश मार्ग से लंका के लिए पलायन किया यह देख कर सभी देवता भयभीत हो गए क्यूंकि रावण बहुत ही अत्याचार करता था यह सोचकर सभी देवता विष्णु भगवान के पास पहुंचे तो भगवान विष्णु ने शंकर जी से प्रार्थना की तब भगवान शंकर ने रावण को लघु शंका
जनसांख्यिकीय
भारत की 2001 की जनगणना के अनुसार गोला गोकर्णनाथ की जनसंख्या 53,832 है जिसमें 53% पुरुष व 47% महिलाएं हैं। यहाँ की औसत साक्षरता 68% है जो कि राष्ट्रीय दर 59.5% से अधिक है इसमें पुरुषों व महिलाओं की साक्षरता क्रमश: 73 % व 62 % है। 14% जनसंख्या 6 वर्ष आयु से कम वालों की है।
त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के समय रावण ने अपनी तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया ताकि वह युद्ध जीत सके। शिवजी ने शिवलिंग का आकार लेकर रावण को लंका में शिवलिंग स्थापित करने का निर्देश दिया। इसके लिए भगवान शिव ने एक शर्त रखी कि शिवलिंग को बीच में कहीं पर भी नीचे नहीं रखना है। लेकिन रास्ते में रावण को लघुशंका लगी तो उसने एक गड़रिये को शिवलिंग पकड़ने को कहा। गड़रिया का रूप धारण करके स्वयं भगवान विष्णु आये थे,कहते हैं कि भगवान शिव ने अपना वजन बढ़ा दिया और गड़रिये को शिवलिंग नीचे रखना पड़ा। रावण को भगवान शिव की चालाकी समझ में आ गयी और वह बहुत क्रोधित हुआ। रावण समझ गया कि शिवजी लंका नहीं जाना चाहते ताकि राम युद्ध जीत सकें। क्रोधित रावण ने अपने अंगूठे से शिवलिंग को दबा दिया जिससे उसमें गाय के कान (गौ-कर्ण) जैसा निशान बन गया। गड़रिये को मारने के लिए रावण ने उसका पीछा किया। अपनी जान बचाने के लिए भागते समय वह एक कुएं में गिर कर मर गया। वह जगह आज भूतनाथ के नाम से प्रसिद्ध है,आज भी हर साल वहाँ पर मेला लगता है।
वराह पुराण की एक कथा के अनुसार एक बार भगवान शंकर ने तीन सींगों वाले एक मृग का रूप धारण कर लिया| देवतागण विष्णु के नेतृत्व में उन्हें खोजने पृथ्वी पर आये| ब्रह्मा और इंद्र मृगरुपी शिव के दो सींग पकड़ लिए| तभी शंकर अपने तीनों सींग छोड़ कर अदृश्य हो गए| ये सींग लिंगरूप में बदल गए| देवताओं ने शिव के तीन लिंगों में से यहाँ गोकर्णनाथ में स्थापित किया, दूसरा शुंगेश्वर (भागलपुर, बिहार में और तीसरा शिवलिंग इंद्र इन्द्रलोक ले गए| जब रावण ने इंद्र पर विजय हासिल की तो इन्द्रलोक से वह तीसरा सींग (गोकर्ण लिंग) उठा लाया किन्तु लंका के मार्ग पर जाते हुए भूल से उसने इसी गोकर्ण क्षेत्र में भूल से भूमि पर रख दिया| शिव तब यहीं स्थिर हो गए।
यहाँ के बड़े से सरोवर के किनारे श्रीगोकर्णनाथ महादेव का बड़ा मंदिर है। ८ किलोमीटर की परिधि में ५ प्राचीन कुंड हैं, जहाँ हर कुंड के पास शिवालय हैं। गोकर्णनाथ महादेव के अलावा अन्य ४ शिव मंदिर हैं- देवेश्वर महादेव/गदेश्वर महादेव/बटेश्वर महादेव और स्वर्णेश्वर महादेव (स्वर्ण+ईश्वर = स्वर्णेश्वर)मन्दिर लक्ष्मणजती मन्दिर व प्राचीन बाबा भूतनाथ मन्दिर।
गोला गोकर्णनाथ 28.080 उत्तर व 80.470 पूर्व पर स्थित है। ऊष्णकटिबन्धी वनों द्वारा घिरा, लखीमपुर खीरी जिले का दूसरा सबसे बड़ा, तहसील स्तर का यह शहर एक छोटी नदी सरैंया ( सरायन ) के तट पर स्थित है।
यहाँ की जलवायु बहुत गरम है। ग्रीष्म ॠतु (जून-अगस्त) में यहाँ का तापमान 32 डिग्री सेल्सियस – 43 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है पर हिमालय के तराई क्षेत्र में स्थित होने के कारण यहाँ का तापमान उत्तर भारत के अन्य स्थानों की तुलना में कम ही रहता है। शीत ॠतु में यहाँ का तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से 17 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।
यहाँ स्थित बजाज हिन्दुस्तान लिमिटेड चीनी मिल जिले का सबसे बड़ा चीनी मिल है
यहाँ की प्रमुख भाषा हिन्दी और अवधी (हिन्दी की एक उपभाषा) है। ज्यादातर विस्थापित लोग पंजाबी बोलते हैं।
गोला गोकर्णनाथ में बहुत से स्कूल व कॉलेज हैं पर विज्ञान विषयों की उच्च शिक्षा की व्यवस्था की यहाँ पर कमी है। गोला पब्लिक इण्टर कालेज, कृषक समाज इण्टर कॉलेज, पब्लिक इण्टर कॉलेज, लाल बहादुर शास्त्री इण्टर कॉलेज, सेण्ट जॉन कॉलेज, सरस्वती विद्या मंदिर,राम जानकी विद्या मन्दिर इंटर कॉलेज, सरस्वती विद्या निकेतन, गांधी विद्यालय, गुरुनानक बालिका इण्टर कॉलेज, सी जी नेहरू पी जी कॉलेज, गुरु नानक व हरकिशन सिंह परास्नातक विद्यालय यहाँ के प्रमुख शिक्षा संस्थान हैं।
यह नगर गंगा-यमुना तहजीब की अनुपम छटा बिखेरता है। और शहर के आकर्षण का केंद्र शहर में आयोजित होने वाला प्रतिवर्ष ऐतिहासिक चेती मेला है। जोकि नगर पालिका परिषद द्वारा प्रतिवर्ष होलिका दहन के पश्चात चैत माह में (मार्च-अप्रैल महीने में) बड़ी धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता है। गोला गोकर्ण नाथ उत्तर प्रदेश तीर्थ की सूची में वर्तमान में सम्मिलित है। और वर्तमान प्रयास यह है कि इस शहर को पर्यटन नगरी का दर्जा प्राप्त हो सके।
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