गोपाल हरि देशमुख
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गोपाल हरि देशमुख (18 फरवरी 1923) - 9 अक्टूबर 1892) एक भारतीय विचारक, समाज सुधारक और लेखक थे। उन्हें महाराष्ट्र में सामाजिक सुधार आंदोलन का एक महत्वपूर्ण व्यक्ति माना जाता है। उनका मूल उपनाम शिधाये था। 'वतन' (कर संग्रह का अधिकार) के कारण बाद में उनका उपनाम देशमुख कहा गया। [2]उद्देश्य-(1)मानवतावादी विचारों को बढ़ावा देना(2) धार्मिक रुढ़ीवादिता की आलोचना करना(3) धार्मिक और सामाजिक समानता की स्थापना करना
व्यक्तिगत जानकारी | |
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अन्य नाम | लोखितवादी, राव बहादुर |
जन्म | 18 फ़रवरी 1823 पुणे,[1] पुणे जिला, भारत (वर्तमान समय में महाराष्ट्र में) |
मृत्यु | 9 अक्टूबर 1892 65 वर्ष) Pune, British India (present-day Maharashtra,India) | (उम्र
वृत्तिक जानकारी | |
युग | 19वीं शताब्दी का दर्शन |
मुख्य विचार | आचारशास्त्र, धर्म, मानवतावाद |
प्रारंभिक जीवन
गोपाल हरि देशमुख का जन्म 1823 में महाराष्ट्रीय ब्राह्मणों की उपजाति चितपावन परिवार में हुआ था। उनके पिता तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध के दौरान बाजीराव द्वितीय के सेनापति बापू गोखले के कोषाध्यक्ष थे। देशमुख ने पूना इंग्लिश मीडियम स्कूल से पढ़ाई की। [3]
सन्दर्भ
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