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गैलापागोस द्वीप समूह (आधिकारिक नाम: Archipiélago de Colón; अन्य स्पेनिश नाम: Islas de Colón या Islas Galápagos) प्रशांत महासागर में भूमध्य रेखा के आसपास फैले ज्वालामुखी द्वीपों का एक द्वीपसमूह है, जो महाद्वीपीय ईक्वाडोर के 972 किमी पश्चिम में स्थित है। यह एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है: वन्यजीवन इसकी सबसे प्रमुख विशेषता है।
गैलापागोस द्वीपसमूह | |
---|---|
विश्व धरोहर सूची में अंकित नाम | |
देश | ईक्वाडोर |
प्रकार | प्राकृतिक |
मानदंड | vii, viii, ix, x |
सन्दर्भ | 1 |
युनेस्को क्षेत्र | दक्षिण अमेरिका और कैरेबियन |
शिलालेखित इतिहास | |
शिलालेख | 1978 (2 रा सत्र) |
विस्तार | 2001 and 2003 |
संकटग्रस्त | 2007- |
गैलापागोस द्वीप समूह ईक्वाडोर के गैलापागोस प्रांत का निर्माण करते हैं साथ ही यह देश की राष्ट्रीय उद्यान प्रणाली का हिस्सा हैं। इस द्वीप की प्रमुख भाषा स्पेनिश है। इस द्वीपों की जनसंख्या 40000 के आसपास है, जिसमें पिछले 50 वर्षों में 40 गुना वृद्धि हुई है।
भौगोलिक रूप से यह द्वीपसमूह नये हैं और स्थानीय प्रजातियों की अपनी विशाल संख्या के लिए प्रसिद्ध है, जिनका चार्ल्स डार्विन ने अपने बीगल के खोजी अभियान के दौरान अध्ययन किया था। उनकी टिप्पणियों और संग्रह ने डार्विन के प्राकृतिक चयन द्वारा क्रम-विकास (एवोल्यूशन) के सिद्धांत के प्रतिपादन में योगदान दिया।
विश्व के नये सात आश्चर्य फाउंडेशन द्वारा गैलापागोस द्वीपसमूह को प्रकृति के सात नए आश्चर्यों में से एक के लिए एक उम्मीदवार के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। फ़रवरी 2009 तक द्वीप की श्रेणी, समूह बी में द्वीपसमूह की वरीयता प्रथम थी।
गैलापागो "Galápago" पुरानी स्पेनिश का एक शब्द है, जिसका अर्थ 'काठी' होता है। गैलापागोस के कुछ द्वीपों पर बड़ा गैलापागोस कछुआ पाया जाता है जिसका कवच एक पुरानी स्पेनिश काठी जैसा लगता था इसीलिए इन द्वीपोँ का नाम गैलापागोस पड़ गया। यह कछुआ एक अद्वितीय जानवर है और सिर्फ गैलापागोस द्वीप समूह में ही मिलता है, इतना होने पर भी सभी 13 प्रमुख द्वीपों पर इनकी कुल संख्या लगभग 200 ही है।
इन द्वीपों का पहला कच्चा नौवहन (नेविगेशन) चार्ट जलदस्यु एम्ब्रोस काउली द्वारा 1684 में तैयार किया गया था। उसने ज्यादातर द्वीपों के नाम अपने साथी समुद्री डाकुओं और उन कुछ अंग्रेज सज्ज्नों के नाम पर रखे थे जिन्होनें निजी पोतों के कप्तानों के हित के लिए काम किया था। अभी हाल ही में ईक्वाडोर सरकार ने अधिकतर द्वीपों को स्पेनिश नाम दिए हैं। जबकि स्पेनिश नाम आधिकारिक हैं, फिर भी कई प्रयोक्ता (विशेषकर पारिस्थितिक शोधकर्ता) पुराने अंग्रेजी नामों का ही प्रयोग करते हैं यह वह नाम हैं जिन्हें चार्ल्स डार्विन की यात्रा के दौरान उपयोग किया गया था।
यह द्वीप दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट से 973 किमी (604 मील) की दूरी पर पूर्वी प्रशांत महासागर में स्थित हैं। इनके सबसे निकट का भूप्रदेश ईक्वाडोर है, जिसका यह द्वीप एक हिस्सा भी हैं। यह ईक्वाडोर के पूर्व, कोकोस द्वीप के उत्तर 720 किमी (447 मील) और ईस्टर द्वीप और सैन फेलिक्स द्वीप के दक्षिण में 3200 किमी (1990 मील) पर स्थित हैं।
यह द्वीप 1°40'N-1°36'S, 89°16'-92°01'W निर्देशांक में मध्य पाए जाते हैं। द्वीपसमूह भूमध्य रेखा के दोनो ओर यानि उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में फैले हुए हैं और ईसाबेला द्वीप ठीक भूमध्य रेखा पर स्थित है। एस्पानॉला सबसे दक्षिण में और डार्विन सबसे उत्तरी में एक दूसरे से लगभग 220 किलोमीटर (137 मील)। की दूरी पर स्थित है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय जल सर्वेक्षण संगठन (IHO) के अनुसार यह द्वीपसमूह पूर्णतया दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित है। गैलापागोस द्वीपसमूह 7880 वर्ग किमी (3042 वर्ग मील) के भूमि का प्रसार के साथ समुद्र के 45000 वर्ग किमी (28000 मील) से अधिक में फैले हैं।[1] सबसे बड़ा द्वीप ईसाबेला है, जिसका क्षेत्रफल 4640 वर्ग किमी है और यह द्वीप समूह के कुल भूमि क्षेत्र का लगभग आधा है। वोल्कन वुल्फ जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से लगभग 1707 मीटर (5600 फुट) है, ईसाबेला द्वीप पर स्थित द्वीपसमूह की सबसे ऊँची चोटी है।
द्वीपसमूह में 13 मुख्य द्वीप, 6 लघु द्वीप और 107 चट्टानें और टापू शामिल है। द्वीप गैलापागोस ट्रिपल जंक्शन पर स्थित हैं। माना जाता है कि सबसे पुराना द्वीप 5 और 10 लाख साल पहले बना था। सबसे नये द्वीप, ईसाबेला और फर्नान्दिना का निर्माण अभी तक चल रहा है, जिसमे अप्रैल 2009 का सबसे हाल का ज्वालामुखी विस्फोट शामिल है जब ज्वालामुखीय द्वीप फर्नान्दिना से लावा द्वीप की तटरेखा और केन्द्रीय ज्वालामुख-कुण्ड की दिशा में बहने लगा था।
संख्या | द्वीप का आधिकारिक नाम | अन्य नाम | क्षेत्रफल | कैण्टन | जनसंख्या |
---|---|---|---|---|---|
1 | ईसाबेला | एल्बेमार्ले | 4588 किमी² | ईसाबेला | 2200 |
2 | सांताक्रूज़ | इंडिफैटिगेबल | 986 किमी² | सांताक्रूज़ | 15000 |
3 | फर्नान्दिना | नारबोरॉह | 642 किमी² | ईसाबेला | - |
4 | सैंटियागो /सैन साल्वाडोर | जेम्स | 585 किमी² | सांताक्रूज़ | - |
5 | सैन क्रिस्टोबाल | चैथम | 558 किमी² | सैन क्रिस्टोबाल | - |
6 | फ्लोरियाना/सांता मारिया | चार्ल्स | 172 किमी² | सैन क्रिस्टोबाल | 100 |
7 | मार्शेना | बिंडलॉ | 130 किमी² | सांताक्रूज़ | |
8 | एस्पानॉला | हुड | 60 किमी² | सैन क्रिस्टोबाल | - |
9 | पिंटा | अबिंगडन | 59 किमी² | सांताक्रूज़ | - |
10 | बाल्ट्रा | दक्षिणी सेयमोर | 27 किमी² | सांताक्रूज़ | - |
11 | सांता फे | बैरिंगटन | 24 किमी² | सैन क्रिस्टोबाल | - |
12 | पिंज़ोन | डंकन | 18 किमी² | सांताक्रूज़ | - |
13 | जेनोवेसा | टॉवर | 14 किमी² | सैन क्रिस्टोबाल | - |
14 | राबिदा | जर्विस | 4.9 किमी² | सांताक्रूज़ | - |
संख्या | द्वीप का आधिकारिक नाम | अन्य नाम | क्षेत्रफल | कैण्टन | जनसंख्या |
---|---|---|---|---|---|
15 | उत्तरी सेयमोर | 1.9 किमी² | सांताक्रूज़ | - | |
16 | टॉर्टुगा | ब्रैटल | 1.3 किमी² | ईसाबेला | - |
17 | वुल्फ | वेनमैन | 1.3 किमी² | ईसाबेला | - |
18 | बार्टोलोम | बार्थोलोम्यू | 1.2 किमी² | सांताक्रूज़ | - |
19 | डार्विन | कुलपैपर | 1.1 किमी² | ईसाबेला | - |
20 | डेफ्ने द्वीप | 0.34 किमी² | सांताक्रूज़ | - | |
21 | दक्षिण प्लाजा | - | 0.13 किमी² | - | - |
22 | रॉका रेडोन्डा | - | 0.03 किमी² | - | - |
हालांकि यह द्वीप भूमध्य रेखा पर स्थित हैं, फिर भी हम्बोल्ट धारा (Humboldt Current) द्वीपों पर ठंडा पानी लाती है जिसके फलस्वरूप, वर्ष भर लगातार वर्षा होती रहती है। मौसम समय समय पर एल नीनो (El Niño) घटना जो गर्म तापमान और भारी वर्षा लाती है से प्रभावित रहता है।
"गरुया" नामक ऋतु (जून से नवम्बर तक) के दौरान समुद्र के आसपास का तापमान 22 डिग्री सेल्सियस के आसपास स्थिर रहता है, साथ ही दक्षिण और दक्षिण पूर्व से ठंडी हवायें चलती हैं और दिन भर रूक रूक कर बौछारें (गरुया) पड़ती रहती हैं, साथ ही द्वीपों पर छाया घना कोहरा द्वीपों को ढके रहता है। ग्रीष्म ऋतु के दौरान (दिसंबर से मई तक) समुद्र और हवा का औसत तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है, हवा बिल्कुल नहीं चलती सूरज चमकता रहता है और अनायास ही तेज बारिश होती है।
बड़े द्वीपों पर ऊंचाई के साथ मौसम बदलता है। तापमान ऊंचाई के साथ धीरे धीरे कम हो जाता है जबकि ढलानों पर बादलों में आद्रता के संघनन के कारण वर्षा की तीव्रता बढ़ जाती है। ऊंचाई, द्वीप की स्थिति और मौसम के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर वर्षा में बड़े परिवर्तन होते हैं।
आद्र 1969 से संबंधित निम्नलिखित सारणी सांताक्रूज द्वीप के विभिन्न स्थानों पर वर्षा के बदलाव दिखाती है:
स्थान | चार्ल्स डार्विन स्टेशन |
डिवाइन फार्म | मीडिया लुना |
---|---|---|---|
ऊँचाई | 6 मी | 320 मी | 620 मी |
जनवरी | 23.0 मिमी | 78.0 मिमी | 172.6 मिमी |
फरवरी | 16.8 मिमी | 155.2 मिमी | 117.0 मिमी |
मार्च | 249.0 मिमी | 920.8 मिमी | 666.7 मिमी |
अप्रेल | 68.5 मिमी | 79.5 मिमी | 166.4 मिमी |
मई | 31.4 मिमी | 214.6 मिमी | 309.8 मिमी |
जून | 16.8 मिमी | 147.3 मिमी | 271.8 मिमी |
जुलाई | 12.0 मिमी | 42.2 मिमी | 135.6 मिमी |
अगस्त | 3.8 मिमी | 13.7 मिमी | 89.5 मिमी |
सितम्बर | 18.5 मिमी | 90.9 मिमी | 282.6 मिमी |
अक्टूबर | 3.2 मिमी | 22.6 मिमी | 96.5 मिमी |
नवंबर | 11.0 मिमी | 52.8 मिमी | 172.7 मिमी |
दिसम्बर | 15.7 मिमी | 84.1 मिमी | 175.3 मिमी |
योग | 469.7 मिमी | 1901.7 मिमी | 2656.4 मिमी |
वर्षण भौगोलिक स्थिति पर भी निर्भर करता है। मार्च 1969 के दौरान सांताक्रूज़ के दक्षिणी तट पर स्थित चार्ल्स डार्विन स्टेशन पर वर्षण 249.0 मिमी था जबकि बाल्ट्रा द्वीप पर यह केवल 137.6 मिमी था। इसका कारण प्रबल दक्षिण हवाओं के परिपेक्ष्य में बाल्ट्रा का सांताक्रूज़ के पीछे स्थित होना है, इस कारण ज्यादा वर्षा सांताक्रूज के ऊँचे इलाकों में ही हो जाती है।
यहाँ एक वर्ष की तुलना में दूसरे वर्ष के वर्षन में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। चार्ल्स डार्विन स्टेशन पर मार्च 1969 के दौरान वर्षन 249.0 मिमी था, लेकिन मार्च 1970 के दौरान यह केवल 1.2 मिमी था।
गैलापागोस द्वीप समूह की खोज संयोग से 10 मार्च 1535, को उस समय हुई थी, जब धार्मिक डोमिनिकन फ्रे टॉमस डी बर्लंगा जो उस समय पनामा के बिशप थे, का जहाज एक समुद्री तूफान में भटक कर इन द्वीपों तक आ पहुँचा था। बिशप उस समय स्पेन के राजा चार्ल्स पंचम के आदेश पर इंका साम्राज्य की विजय के बाद, फ्रांसिस्को पिज़ारो और उसके मातहतों के बाच उपजे एक विवाद के समाधान के लिए पेरु की यात्रा पर जा रहे थे। थॉर हेयरडाह्ल और अर्नि स्कॉल्सवोल्ड के 1952 के अपने एक अध्ययन में द्वीप पर कई वस्तुओं और अवशेषों को इन द्वीपों पर ढूंढ़ा जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि स्पेनिशों के आने से बहुत पहले से ही दक्षिण अमेरिका के मूल निवासी इन द्वीपों पर आते रहते थे।
यह द्वीप सबसे पहले 1570 में अब्राहम ओर्टेलियस और मर्काटॉर द्वारा बनाए गये नक्शों में अवतरित हुये। इन द्वीपों को "Insulae de los Galopegos" (कछुए के द्वीप) का नाम दिया गया।
रिचर्ड हॉकिंस, 1593 में गैलापागोस द्वीप समूह की यात्रा करने वाला पहला अंग्रेजी कप्तान था। शुरुआती 19 वीं शताब्दी तक इस द्वीपसमूह का प्रयोग अंग्रेज जलदस्युओं द्वारा एक ठिकाने के रूप में किया जाता था, जो अक्सर सोने और चांदी से भरे दक्षिण अमेरिका से स्पेन जाने वाले स्पेनिश जहाजों (गैलियन) को लूट लेते थे।
अलेक्जेंडर सेल्कर्क, जिसके जुऑन फर्नांडीस द्वीपसमूह में किए गये साहसिक कारनामों ने डैनियल डेफॉ को रोबिंसन क्रुसो लिखने के लिए प्रेरित किया ने गैलापागोस द्वीपों की यात्रा 1708 में की थी जब उसे रोजर्स वुडस नामक एक जहाजी ने जुऑन फर्नांडीस से उठाया था। रोजर्स, गुआयाकिल को हटाने के बाद द्वीप में अपने जहाज की मरम्मत कर रहा था।
गैलापागोस पर पहला वैज्ञानिक अभियान 1790 में अलेसान्द्रो मालास्पिना के नेतृत्व में आया था। मालास्पिना एक सिसिलियन कप्तान था जिसका अभियान स्पेन के राजा द्वारा प्रायोजित था, हालांकि, अब इस अभियान का कोई लिखित दस्तावेज उपलब्ध नहीं है।
1793 में, जेम्स कॉल्नेट ने गैलापागोस की वनस्पतियों और जीवों का वर्णन किया और सुझाव दिया कि इन द्वीपों को प्रशांत महासागर में व्हेल-शिकारी पोतों के परिचालन के लिए एक आधार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उसने द्वीपों का पहला सटीक नेविगेशन चार्ट भी बनाया। व्हेल-शिकारियों ने हजारों गैलापागोस कछुओं को उनकी वसा निकालने के लिए पकड़ कर मार डाला। व्हेल-शिकारी इन कछुओं को जहाज पर ताजा प्रोटीन प्रदान करने वाले एक के साधन के तौर पर रखते थे, क्योंकि यह जानवर कई महीनों तक बिना खाये पिये जीवित रह सकता था। कछुओं का शिकार इनकी संख्या कम करने और कुछ मामलों में तो कुछ प्रजातियों को नष्ट करने के लिए जिम्मेदार था। व्हेल-शिकारियों के साथ साथ फर-सील शिकारी भी आये जो जिनके सम्मिलित शिकार ने इस प्राणी को विलुप्तप्राय की श्रेणी में डाल दिया।
ईक्वाडोर ने 12 फ़रवरी 1832 में इस द्वीपसमूह पर कब्जा कर लिया और इसका नाम ईक्वाडोर का द्वीपसमूह रखा। गैलापागोस के पहले गवर्नर (राज्यपाल), जनरल जोस डे विल्लामिल ने कुछ सजायाफ्ता लोगों के एक समूह को पहले पहल फ्लोरियाना द्वीप पर बसाया, जल्द ही अक्टूबर 1832 में कुछ शिल्पकार और किसान भी इस द्वीप पर बसने आ गए।
15 सितम्बर 1835 को रॉबर्ट फिट्ज़रॉय की कप्तानी में सर्वेक्षण पोत एचएमएस बीगल गैलापागोस द्वीपों पर पहुँचा, पोत पर युवा प्रकृतिवादी चार्ल्स डार्विन भी थे। 20 अक्टूबर को अपने विश्व अभियान को जारी रखते हुए डार्विन ने इन द्वीपों से विदा ली पर इससे पहले उन्होने चैथम, चार्ल्स, अल्बेमार्ले और जेम्स द्वीपों पर अपने भूवैज्ञानिक और जीववैज्ञानिक अध्ययन का कार्य किया। डार्विन ने पाया कि हर द्वीप के मॉकिंगबर्ड जिसे अब डार्विन फिन्चेस के नाम से जाना जाता है एक दूसरे से अलग और असंबंधित थे और उन्होने इन्हें इनके मातृद्वीप के नाम के अनुसार नामित किया।[2] अंग्रेज निकोलस लॉसन, जो गैलापागोस के गवर्नर थे ने डार्विन से चार्ल्स द्वीप पर भेंट की थी और डार्विन को बताया था कि हर द्वीप पर एक अलग प्रकार का कछुआ पाया जाता है। इस यात्रा के अंत में डार्विन ने अनुमान लगाया कि मॉकिंगबर्ड और कछुओं का वितरण " प्रजाति की स्थिरता को कम कर "सकता है।[3] अपनी इंग्लैंड वापसी पर जब डार्विन ने पक्षियों के नमूनों का विश्लेषण किया तो पाया कि चाहें यह पक्षी प्रत्यक्ष रूप से अलग प्रतीत होते हैं पर यह सभी पक्षी सिर्फ इन्हीं द्वीपों पर पायी जाने वाली फिन्चेस की प्रजातियां थीं। इन तथ्यों के आधार पर डार्विन ने अपने क्रम-विकास से संबंधित, प्राकृतिक चयन के अपने सिद्धांत को अपनी पुस्तक “द ओरीजन ऑफ स्पीसीज़ (प्रजातिओं की उत्पत्ति)" में प्रस्तुत किया।[2]
सितम्बर 1904 से रोलो बेक के नेतृत्व में कैलिफोर्निया की विज्ञान अकादमी का पूरे एक वर्ष का अभियान गैलापागोस पर चला जिसमे, भूविज्ञान, कीटविज्ञान, पक्षीविज्ञान, वनस्पति विज्ञान, जीव विज्ञान और उभयचरों से संबंधित वैज्ञानिक सामग्री इकट्ठा की गयी। 1932 में अकादमी के एक और अभियान (टेम्पलटन क्रोकर अभियान), में मछली, कीड़े, सीपी, जीवाश्म, पक्षियों और पौधों के नमूने एकत्र किए गये।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ईक्वाडोर ने संयुक्त राज्य अमेरिका को बाल्ट्रा द्वीप पर एक नौसेना बेस और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर रडार स्टेशन स्थापित करने के लिए के प्राधिकृत किया। इस समय बाल्ट्रा पर अमेरिकी एयर फोर्स का भी एक आधार स्थापित किया गया था। बाल्ट्रा में तैनात सैनिक यहाँ प्रशांत क्षेत्र में गश्त लगाकर दुश्मन की पनडुब्बियों पर नज़र रखते थे और पनामा नहर को सुरक्षा प्रदान करते थे। युद्ध के बाद इन सुविधाओं को ईक्वाडोर की सरकार को सौंप दिया गया। आज यह द्वीप एक आधिकारिक ईक्वाडोर सैन्य आधार है। अमेरिकी आधार के अवशेषों को आज भी देखा जा सकता है। 1946 में ईसाबेला द्वीप पर एक दंड कॉलोनी स्थापित की गयी, लेकिन 1959 में इसे खत्म कर दिया गया। गैलापागोस 1959 में एक राष्ट्रीय उद्यान बन गया और पर्यटन की शुरुआत 1960 के दशक में हुयी।
1979 में यूनेस्को ने गैलापागोस द्वीप समूह को विश्व धरोहर स्थल के रूप में और छह साल बाद, 1985 में एक आरक्षित जैवमंडल के रूप में मान्यता दी जिसके कारण अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इन द्वीपों की ओर गया।
2007 में यूनेस्को ने इन द्वीपों को पर्यावरण खतरे में पड़े विश्व धरोहर स्थल घोषित किया और गैलापागोस द्वीपों को खतरे में पड़ी विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किया।
गैलापागोस को राष्ट्रपति गिलर्मो रॉड्रिगुएज़ लारा ने एक राष्ट्रपति आज्ञप्ति द्वारा 18 फ़रवरी 1973 को ईक्वाडोर का एक प्रांत घोषित कर दिया। इस आज्ञप्ति में 16 मार्च 1973 को ईसाबेला कैण्टन को शामिल करने के लिए संशोधन किया गया था।
यह प्रांत गैलापागोस द्वीपसमूह के सन्निपतित है। इसकी राजधानी प्यर्टो बाक्वेरिजो़ मोरेनो है। यह प्रांत 3 कैण्टन में विभाजित है।
सैन क्रिस्टोबाल कैण्टन की राजधानी प्यर्टो बाक्वेरिजो़ मोरेनो है। इसके निम्नलिखित पैरिश (हिन्दी में पल्ली: पादरी के इलाके) हैं: प्रोग्रेसो जिसके निम्न सीमाप्रांत हैं: ला सोलेदाद, एल सोकावोन, ट्रेस पलोस और एल चीनो और सांता मारिया द्वीप जिसमे प्यर्टो विलेस्को ईबारा नामक नगर है। निम्नलिखित द्वीप इस कैण्टन के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत हैं: एस्पानोला सांता फे और जेनोवेसा।
सांताक्रूज़ कैण्टन, की राजधानी प्यर्टो अयोरा है। इसके निम्न पैरिश हैं: बेल्लाविस्टा जिसके सीमाप्रांत हैं: एल ओक्सीडेन्टे, एल कारमेन, सांता रोजा और सासाका। इसके अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत निम्नलिखित द्वीप हैं: सैंटियागो, मार्शेना, पिन्टा, पिंजो़न, राबिदा और बाल्ट्रा।
ईसाबेला द्वीप की राजधानी प्यर्टो विलामिल है। इसके निम्न पैरिश हैं: टॉमस डी बर्लांगा जिसके सीमाप्रांत हैं: लास मर्सिडितास, सैन एंटोनियो डे लॉस टिंटोस, सेरो अजु़ल और अलेमानिया। इस कैण्टन के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत द्वीप हैं: फर्नान्दिना, वुल्फ और डार्विन।
एक प्रांतीय न्यायाधीश के साथ ही हर कैण्टन में एक कैण्टन न्यायाधीश और श्रम न्यायाधीश है। लेकिन उन गुनाहों में जिनके लिए कारावास की सजा़ है गैलापागोस प्रांत मुख्य भूमि ईक्वाडोर के प्रांत गुआयास के आपराधिक न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र में है। प्रकरण बिना किसी वकील के भी लड़ा जा सकता है। सभी प्रांतीय और कैण्टन न्यायाधीशों द्वारा दी गयी सजा़ओं की अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है जो गुआयास प्रांत में स्थित है और इसकी एक खंडपीठ गुआयाकिल में है।
यह स्पष्ट है कि द्वीपों के जीवों और वनस्पति की रक्षा का उत्तरदायित्व प्रांतीय अधिकारियों का है जो सक्षम अवयव एवं अधिकारियों जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों हो सकते हैं, के साथ मिलकर यह काम करेंगे।
यह प्रांत UTC-6 समय क्षेत्र में स्थित है जबकि ईक्वाडोर का महाद्वीपीय हिस्सा UTC-5 समय क्षेत्र में आता है।
यह द्वीप दुनिया के उन कुछ स्थानों में से एक हैं जहां पर कोई देशज जनसंख्या नहीं है। यहां का सबसे बड़ा जातीय समूह ईक्वाडोर मेस्टिज़ो हैं, जो स्पेनी उपनिवेशकों और स्थानीय लोगों की मिश्रित संतानें हैं और मुख्य रूप से ईक्वाडोर के महाद्वीपीय भाग से पिछली शताब्दी में यहां आ कर बसे हैं। 1959 में, लगभग 1000 से 2000 लोगों ने खुद को इन द्वीपों का नागरिक बताया था, 1972 में द्वीपसमूह की एक जनगणना के मुताबिक यह संख्या 3488 हो गयी और 1980 के दशक तक यह संख्या 15,000 तक जा पहुंची। 2006 में यह और बढ़ कर लगभग 40,000 के आसपास पहुंच गयी।
पांच द्वीप जिन पर लोग बसे हुए हैं, हैं: बाल्ट्रा, फ्लोरियाना, ईसाबेला, सैन क्रिस्टोबाल और सांताक्रूज।
हालांकि गैलापागोस द्वीपो की स्थानीय वनस्पतिक और जीव प्रजातियों के संरक्षण के लिए पहले सुरक्षा अधिनियम 1934 में और इसका अनुपूरक 1936 में लाया गया, लेकिन इन कानूनों पर वास्तविक अमल 1950 के उत्तरार्ध में ही हो पाया। 1955 में, प्रकृति संरक्षण के अंतर्राष्ट्रीय संध ने एक तथ्यांवेषण मिशन को गैलापागोस भेजा, इसके दो साल बाद, 1957 में, यूनेस्को ने ईक्वाडोर सरकार के सहयोग से एक और अभियान को गैलापागोस में संरक्षण की स्थिति का अध्ययन और अनुसंधान केन्द्र के लिए एक स्थान का चयन करने के लिए भेजा।
1959 में, ईक्वेडोर सरकार ने द्वीपसमूह भूमि क्षेत्र का 97.5% हिस्सा राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया सिर्फ वही हिस्से छोड़ दिये गये जहाँ पहले से ही बस्तियाँ बसाई जा चुकी थीं। उसी वर्ष चार्ल्स डार्विन फाउंडेशन (CDF) की स्थापना भी की गयी। बेल्जियम में गठित, चार्ल्स डार्विन फाउंडेशन एक अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन था, जिसकी मुख्य जिम्मेदारी गैलापागोस के प्रभावी प्रबंधन के लिए, अनुसंधान कार्य कर, उसके शोध निष्कर्षों को ईक्वाडोर सरकार को सौंपना था। चार्ल्स डार्विन फाउंडेशन के अनुसंधान प्रयासों का काम 1964 में चार्ल्स डार्विन अनुसंधान केन्द्र के सांताक्रूज द्वीप पर स्थापना के साथ शुरू हुआ। संरक्षण कार्यक्रम के प्रारंभिक वर्षों के दौरान संरक्षण कार्य जैसे, देशी प्रजातियों का संरक्षण और बाहर से लाई गयी प्रजातियों के उन्मूलन का काम किया गया। चार्ल्स डार्विन फाउंडेशन के शोध निष्कर्षों और संरक्षण के विभिन्न विधियों के विकास की बदौलत गैलापागोस राष्ट्रीय उद्यान सेवा के अधिकतर उद्देश्य अब पूरे हो चुके हैं।
1986 में आसपास के लगभग 70,000 वर्ग किलोमीटर (43,496 वर्ग मील) समुद्री क्षेत्र को संरक्षित समुद्री क्षेत्र घोषित कर गया है, जो आकार में ऑस्ट्रेलिया की ग्रेट बैरियर रीफ के बाद आकार में दूसरे स्थान पर है। 1990 में द्वीपसमूह एक व्हेल अभयारण्य बन गया। 1978 में यूनेस्को ने इन द्वीपों को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी और 1985 में एक आरक्षित जैवमंडल के रूप में, जिसका दिसंबर 2001 में विस्तार कर इसमें आरक्षित समुद्री क्षेत्र को भी शामिल कर लिया गया।
मानव द्वारा इन द्वीपों पर गलती या स्वेच्छा से लाये गये पौधे और जानवर, जैसे कि जंगली बकरियाँ, बिल्लियाँ और मवेशी आदि इन द्वीपों की पारिस्थितिकी के लिए मुख्य खतरा साबित हुये हैं। तेजी से प्रजनन करने वाली इन विदेशी प्रजातियों ने यहाँ की मूल प्रजातियों के पर्यावास बरबाद कर दिये हैं। यहाँ की मूल प्रजातियों के जीवों के लिए इन द्वीपों पर कोई प्राकृतिक परभक्षी न होने के कारण वह इन बाहरी जीवों का सामना करने में पूरी तरह असमर्थ थे, यह इन प्रजातियों की संख्या में गिरावट का मुख्य कारण है।
द्वीपों पर बाहर से लाये गये पौधों में अमरूद Psidium guajava, रूचिरा Persea americana, कसकारिला Cinchona pubescens, बाल्सा Ochroma pyramidale, ब्लैकबेरी Rubus glaucus, विभिन्न निम्बू वंशीय फल (जैसे संतरा, चकोतरा और नीबू), फ्लोरीपोन्दियो Datura arborea, हाइगुएरिला Ricinus communis और हाथी घास Pennisetum purpureum इन द्वीपों के मूल पौधों कि लिए सबसे ज्यादा हानिकारक साबित हुये हैं। इन पौधों ने अपना फैलाव द्वीपों के एक बड़े क्षेत्र पर करके सैन क्रिस्टोबाल, फ्लोरियाना, ईसाबेला और सांताक्रूज के नम क्षेत्रों से स्थानीय पौधों का सफाया सा कर दिया है। गैलापागोस द्वीपों पर बाहर से लाये गयी पादप प्रजातियों की कुल संख्या 700 है जबकि मूल और स्थानीय प्रजातियां सिर्फ 500 हैं, संख्या का यह फर्क द्वीपों और इन की मूल (प्राकृतिक) प्रजातियों के अस्तित्व के लिए भयंकर खतरा पेश कर रहा है।
कई प्रजातियों को इन द्वीपों पर समुद्री डाकुओं द्वारा लाया गया था। थॉर हेयेरडाह्ल ने अपने दस्तावेजों में उल्लेख किया है कि पेरू के वायसराय ने यह जानकर कि अंग्रेज जलदस्यु बकरियाँ खाते हैं और उन्होनें इन बकरियों को इन द्वीपों पर छोड़ा है, इन बकरियों के सफाये के लिए इन द्वीपों पर जानबूझकर कुत्तों को छुड़वाया था। इसके अलावा, जब फ्लोरियाना पर बस्ती बसाने के प्रयास असफल हो गये तो जोस डे विल्लामिल ने, द्वीप पर उपस्थित जानवरों जैसे बकरी, गधों, गायों और अन्य पशुओं को अन्य द्वीपों पर स्थानांतरित करने का आदेश दिया, ताकि बाद के बसावत के प्रयासों में सहायता मिले।
गैरस्थानीय सूअर, बकरी, कुत्ते, चूहे, बिल्ली, भेड़, घोड़े, गधे, गाय, मुर्गी, चींटियां, तिलचट्टे और कुछ परजीवी आज इन द्वीपों पर निवास करते हैं। कुत्ते और बिल्लियाँ यहाँ के पक्षियों, भूमि और समुद्री कछुओं पर हमला कर उनके घोंसले उजाड़ देते हैं। वे कभी कभी छोटे गैलापागोस कछुओं और गोहों को मार डालते हैं। सूअर तो और भी हानिकारक हैं, यह बड़े क्षेत्रों में फैले है और कछुओं और गोह के घोंसले को नष्ट करने के अलावा उनका स्थानीय आहार भी चट कर जाते हैं। सूअर स्थानीय वनस्पति को उनकी जड़ों और वहाँ पाये जाने वाले कीटों को खाने के लिए खोद कर नष्ट कर देते हैं। सूअरों की समस्या सेरो अज़ूल ज्वालामुखी और ईसाबेला में अत्यंत विकट है। सैंटियागो से तो सूअरों ने स्थलीय गोहों का पूरी तरह से सफाया ही कर दिया है जो डार्विन की यात्रा के दौरान इस द्वीप पर प्रचुर मात्रा में विचरण करते थे। काले चूहे (Rattus rattus) छोटे गैलापागोस कछुओं पर उनके घोंसले से निकलने पर आक्रमण करते थे, जिसके कारण पिंज़ोन द्वीप पर पिछले 50 से अधिक वर्षों से इन कछुओं ने प्रजनन करना बंद कर दिया है और द्वीप पर केवल वयस्क कछुए ही पाए जाते हैं। इसके अलावा जहां काले चूहे पाये जाते है, वहाँ से स्थानीय चूहे गायब हो गये हैं। गाय और गधे सारी उपलब्ध वनस्पति खा जाते हैं और द्वीपों पर दुर्लभ पीने के पानी के लिए स्थानीय प्रजातियों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं। 1959 में मछुआरे पिंटा द्वीप पर एक नर और दो मादा बकरियों को लाये थे और राष्ट्रीय उद्यान सेवा के एक अनुमान के अनुसार जिनकी संख्या 1973 में बढ़ कर 30,000 हो गयी थी। 1967 में मार्शेना और 1971 में राबिदा पर भी बकरियाँ लाई गयी थीं। हालाँकि, हाल ही में चले एक बकरी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत ईसाबेला से बकरियों की अधिकतर आबादी का सफाया कर दिया गया है। बसे हुए द्वीपों पर तेजी से बढ़ रहा पॉल्ट्री उद्योग, स्थानीय संरक्षणवादियों के लिए चिंता का विषय है, उन्हें डर है कि इन पॉल्ट्री पक्षियों की बीमारियाँ स्थानीय और जंगली पक्षियों में फैल सकती हैं।
विकास की अन्य समस्याओं के अलावा अवैध रूप से मछली पकड़ने की गतिविधियों से गैलापागोस समुद्री अभयारण्य को खतरा है। अवैध रूप से मछली पकड़ने वालों की गतिविधियां समुद्री संरक्षित क्षेत्र के लिए बड़ा खतरा पेश करती हैं, क्योकि यह हाँगुर (हैमरहैड और अन्य प्रजातियों) का शिकार को उसके पंखों के लिए और समुद्री खीरों को बेमौसम में एकत्र करते हैं। विकास संबंधी गतिविधियां और बढ़ती मानव जनसंख्या स्थलीय और समुद्री दोनों प्रजातियों के लिए खतरा है। बढ़ते पर्यटन उद्योग और अवैध आव्रजन की वृद्धि ने भी द्वीपसमूह के वन्य जीवन को खतरे में डाल दिया है। तेल टैंकर जेसिका से बहे तेल ने फैल कर दुनिया का ध्यान इस खतरे की ओर खींचा है।
सन् 2007 में यूनेस्को ने गैलापागोस द्वीप समूह को खतरे में पड़ी विश्व धरोहर की सूची में डाल दिया है।
28 जनवरी 2008 को, गैलापागोस राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारी विक्टर कैरियन ने घोषणा की थी, कि पिंटा द्वीप पर 53 जलसिंहों (13 शावक, 25 युवा, 9 नर और 6 मादा) को मारा गया है। 2001 में अवैध शिकारियों ने 35 नर जलसिंहों को मार डाला था।
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