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गुरमुख सिंह मुसाफिर भारतीय राजनेता और पंजाबी भाषा के साहित्यकार थे। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह उरवरपार के लिये उन्हें सन् 1978 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया।[1]
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ज्ञानी गुरमुख सिंह मुसाफिर | |
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माननीय जठेदार | |
अकाल तख्त के 16वें जठेदार | |
पद बहाल 1930–1931 | |
पूर्वा धिकारी | जवाहर सिंह मट्टु भैके |
उत्तरा धिकारी | वसाखा सिंह डाडेहर |
पद बहाल 11 नवम्बर 1966 – 8 मार्च 1967 | |
पूर्वा धिकारी | पंजाब में राष्ट्रपति शासन |
उत्तरा धिकारी | गुरनाम सिंह |
पद बहाल 1952–1966 | |
उत्तरा धिकारी | यज्ञदत्त शर्मा |
चुनाव-क्षेत्र | अमृतसर, पंजाब |
पद बहाल 1968–1976 | |
चुनाव-क्षेत्र | पंजाब |
जन्म | 15 जनवरी 1899 आधवाल, पंजाब, ब्रितानी भारत वर्तमान पाकिस्तान में |
मृत्यु | 18 जनवरी 1976 77 वर्ष) दिल्ली, भारत | (उम्र
जन्म का नाम | गुरमुख सिंह |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल |
जीवन संगी | रंजीत कौर |
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