गंगासागर
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गंगासागर (सागर द्वीप या गंगा-सागर-संगम भी कहते हैं) बंगाल की खाड़ी के कॉण्टीनेण्टल शैल्फ में कोलकाता से १५० कि॰मी॰ (८०मील) दक्षिण में एक द्वीप है। यह भारत के अधिकार क्षेत्र में आता है और पश्चिम बंगाल सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में है। इस द्वीप का कुल क्षेत्रफल ३०० वर्ग कि॰मी॰ है। इसमें ४३ गांव हैं, जिनकी जनसंख्या १,६०,००० है। यहीं गंगा नदी का सागर से संगम माना जाता है।[1]
गंगासागर द्वीप | |
— city — | |
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |
देश | भारत |
राज्य | पश्चिम बंगाल |
ज़िला | दक्षिण २४ परगना |
इस द्वीप में ही रॉयल बंगाल टाइगर का प्राकृतिक आवास है। यहां मैन्ग्रोव की दलदल, जलमार्ग तथा छोटी छोटी नदियां, नहरें हीं। इस द्वीप पर ही प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ है। प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर लाखों हिन्दू श्रद्धालुओं का तांता लगता है, जो गंगा नदी के सागर से संगम पर नदी में स्नान करने के इच्छुक होते हैं। यहाँ एक मंदिर भी है जो कपिल मुनि के प्राचीन आश्रम स्थल पर बना है। ये लोग कपिल मुनि के मंदिर में पूजा अर्चना भी करते हैं। पुराणों के अनुसार कपिल मुनि के श्राप के कारण ही राजा सगर के ६० हज़ार पुत्रों की इसी स्थान पर तत्काल मृत्यु हो गई थी। उनके मोक्ष के लिए राजा सगर के वंश के राजा भगीरथ गंगा को पृथ्वी पर लाए थे और गंगा यहीं सागर से मिली थीं। कहा जाता है कि एक बार गंगा सागर में डुबकी लगाने पर 10 अश्वमेध यज्ञ और एक हज़ार गाय दान करने के समान फल मिलता है।[2] जहां गंगा-सागर का मेला लगता है, वहां से कुछ दूरी उत्तर वामनखल स्थान में एक प्राचीन मंदिर है। उसके पास चंदनपीड़िवन में एक जीर्ण मंदिर है और बुड़बुड़ीर तट पर विशालाक्षी का मंदिर है।[3]
कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का यहां एक पायलट स्टेशन तथा एक प्रकाशदीप भी है।[1] पश्चिम बंगाल सरकार सागर द्वीप में एक गहरे पानी के बंदरगाह निर्माण की योजना बना रही है। गंगासागर तीर्थ एवं मेला महाकुंभ के बाद मनुष्यों का दूसरा सबसे बड़ा मेला है। यह मेला वर्ष में एक बार लगता है।
यह द्वीप के दक्षिणतम छोर पर गंगा डेल्टा में गंगा के बंगाल की खाड़ी में पूर्ण विलय (संगम) के बिंदु पर लगता है।[4] बहुत पहले इस ही स्थानपर गंगा जी की धारा सागर में मिलती थी, किंतु अब इसका मुहाना पीछे हट गया है। अब इस द्वीप के पास गंगा की एक बहुत छोटी सी धारा सागर से मिलती है।[3] यह मेला पांच दिन चलता है। इसमें स्नान मुहूर्त तीन ही दिनों का होता है। यहां गंगाजी का कोई मंदिर नहीं है, बस एक मील का स्थान निश्चित है, जिसे मेले की तिथि से कुछ दिन पूर्व ही संवारा जाता है। यहां स्थित कपिल मुनि का मंदिर सागर बहा ले गया, जिसकी मूर्ति अब कोलकाता में रहती है और मेले से कुछ सप्ताह पूर्व पुरोहितों को पूजा अर्चना हेतु मिलती है। अब यहां एक अस्थायी मंदिर ही बना है।[3] इस स्थान पर कुछ भाग चार वर्षों में एक बार ही बाहर आता है, शेष तीन वर्ष जलमग्न रहता है। इस कारण ही कह जाता है:
बाकी तीरथ चार बार, गंगा-सागर एक बार॥[2]
वर्ष २००७ में मकर संक्रांति के अवसर पर लगभग ३ लाख लोगों ने यहां स्नान किया। यह संख्या अगले वर्ष घटकर २ लाख रह गई। ऐसा कुंभ मेले के कारण हुआ। शेष वर्ष पर्यन्त ५० हजार तीर्थयात्रियों ने स्नान किए।[5] २००८ में पांच लाख श्रद्धालुओं ने सागर द्वीप में स्नान किया।[6] यहां आने वाले श्रद्धालुओं से १० भारतीय रुपए कर लिया जाता है।[2]
आवागमन
प्रायः यात्री कोलकाता से नाव से गंगा सागर जाते हैं। कोलकाता से ३८ मील दक्षिण में डायमंड हार्बर स्टेशन है। वहां से नावें और जहाज भी गंगा सागर जाते हैं। कोलकता से गंगासागरद्वीप लगभग ९० मील दक्षिण में है।[3]
इन्हें भी देखें
विकियात्रा पर गंगासागर के लिए यात्रा गाइड |
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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