खंडवा

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खण्डवा (Khandwa) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के खण्डवा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2]

सामान्य तथ्य खण्डवा Khandwa, देश ...
खण्डवा
Khandwa
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खण्डवा रेलवे स्टेशन
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खण्डवा
खण्डवा
मध्य प्रदेश में स्थिति
निर्देशांक: 21.82°N 76.35°E / 21.82; 76.35
देश भारत
प्रान्तमध्य प्रदेश
ज़िलाखण्डवा ज़िला
जनसंख्या (2011)
  कुल2,00,738
भाषाएँ
  प्रचलितहिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड450001,450051
दूरभाष कोड+91 - 733
वाहन पंजीकरणMP-12
वेबसाइटwww.khandwa.nic.in
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खंडवा (पूर्वी निमाड़) जिला मुख्य रूप से हिंदुओं और जैनियों के धार्मिक पर्यटन स्थल के लिए जाना जाता है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक "ओंकार ममलेश्वर" ओंकारेश्वर शहर में पवित्र नदी नर्मदा ("माँ नर्मदा" के रूप में सम्मानित) के तट पर स्थित है। दाता धूनीवाले का समाधि स्थल खंडवा शहर में स्थित है। ब्रह्मगीर महाराज का समाधि स्थल खंडवा शहर के पास स्थित है। निमाड़ के कबीर का समाधि स्थल सिंगाजी मुंडी कस्बे के पास पिपलिया सिंगाजी में स्थित है। बुखारदास बाबा का समाधि स्थल नया हरसूद, छनेरा के पास है।

हनुवंतिया में साहसिक पर्यटन उपलब्ध है, जिसे इंदिरा सागर पर्यटक परिसर, हनुवंतिया के नाम से जाना जाता है। सैलानी ओंकारेश्वर के पास साहसिक पर्यटन के लिए द्वीप विकसित कर रहा है।[3]

विवरण

खण्डवा समुद्र तल से 900 मीटर की ऊंचाई पर है। यह जिला नर्मदा और ताप्‍ती नदी घाटी के मध्य बसा है। 6200 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले खण्डवा की सीमाएं बेतूल, होशंगाबाद, बुरहानपुर, खरगोन और देवास से मिलती हैं। ओमकारेश्‍वर यहां का लोकप्रिय और पवित्र दर्शनीय स्‍थल है। इसे भारत के 12 ज्योतिर्लिगों में शुमार किया जाता है। इसके अलावा घण्टाघर, दादा धुनीवाले दरबार, हरसुद,मूँदी, सिद्धनाथ मन्दिर और वीरखाला रूक यहां के अन्य लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं।

ऐतिहासिक तथ्य

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार खण्डवा शहर का प्राचीन नाम खाण्डववन { खाण्डव वन }था जो मुगलों और अंग्रेजो के आने से बोलचाल में धीरे धीरे खण्डवा हो गया . मान्यतानुसार श्रीरामजी के वनवास के समय यहाँ सीता माता को प्यास लगी थी तथा रामजी ने यहाँ तीर मारकर एक कुआ बना दिया और उस कुए को रामेश्वर कुए के नाम से जाना जाता है जो खण्डवा के रामेश्वर नगर में नवचण्डी माता मन्दिर के पास स्थित है अतः खण्डवा मान्यता अनुसार हजारों वर्ष पुराना है जिसका आधुनिक रूप वर्तमान खण्डवा है 12वीं शताब्दी में यह नगर जैन मत का महत्त्वपूर्ण स्थान था। यह नगर पुरातन नगर है, यहाँ पाये जाने वाले अवशेषों से यह सिद्ध होता है, इसके चारों ओर चार विशाल तालाब, नक़्क़ाशीदार स्तम्भ और जैन मन्दिरों के छज्जे स्थित हैं। खण्डवा जिले से ही बुरहानपुर जिला बना है |

आधुनिक नगर

1864 से यह नगर मध्य प्रदेश के नवगठित निमाड़ ज़िले का मुख्यालय रहा। 1867 में इसे नगरपालिका बना दिया गया। भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित खण्डवा एक प्रमुख शहर है। 6200 वर्ग किलोमीटर के विस्तार वाले खण्डवा की सीमा बेतूल, होशंगाबाद, बुरहानपुर, खरगोन और देवास से मिली हुई हैं। ओंकारेश्‍वर यहाँ का बहुत ही लोकप्रिय प्रसिद्ध और पवित्र धार्मिक स्थल है। ओंकारेश्‍वर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

प्रमुख पर्यटन स्थल

माँ तुलजा भवानी माता मन्दिर

खण्डवा का प्रसिद्ध भवानी माता मन्दिर धूनीवाले दादाजी के दरबार के पास स्थित है। यह मन्दिर माता तुलजा भवानी को समर्पित है। यह मन्दिर खण्डवा, मध्य प्रदेश में स्थित है। यह खण्डवा का प्राचीन मन्दिर है जहा प्रतिदिन भक्तो की भीड़ लगी रहती है कहते हैं भगवान राम अपने वनवास के दौरान इस स्थान पर आए थे और यहाँ उन्होंने नौ दिनों तक तपस्या की थी। नवरात्र में यहाँ नौ दिनों तक मेला लगता है, जिसे देखने और माता के दर्शन करने के लिए प्रतिवर्ष हजारों लोग यहाँ आते हैं। ऐसी मान्यता है की माँ भवानी के दर से हर मुराद पूरी होती है

श्री श्री १००८ श्री दादाजी धूनीवाले

श्री श्री १००८ श्री दादाजी धूनीवाले (श्री केशवानान्दजी महाराज) भारत के एक महान सन्त थे ज़िनेः दादाजी डण्डे वाले के नाम से भी जाना जाता था| उन्हो ने १९वी और २०वी शताब्दी मे भारत, ख़ास कर मध्य भारत मे, यात्राएँ की| दुनिया भर मे उनके लाखों भक्त उन्हे शिव भगवान का रूप मानते हैं और उन्होने कई भक्तो को तो साक्षात शिवजी के रूप मे दर्शन दिए| १८वी सदी मे एक बहुत बड़े साधु, श्री गौरी शंकर जी महाराज, अपनी टोली के साथ, नर्मदा मईया की परिक्रमा कीया करते थे| वह शिव जी के बहुत बड़े भक्त थे, उन्होने मा नर्मदा की घोर तपस्या की और उनसे प्रार्थना की कि उन्हे भोलेनाथ के दर्शन हों| जब उनकी १२ कठिन परिक्रमाएँ पूर्ण हुई, तो माँ नर्मदा जी ने उनसे प्रसन्न होकर उन्हे दर्शन दिए और कहा की उन्ही की जमात मे केशव नाम के युवा के रूप मे भोलेनाथ मौजूद हैं| भगवान शिवजी के दर्शन के लिए व्याकुल गौरी शंकर जी महाराज जब वापिस लौटे तो उन्होने सच मे उस लड़के (दादाजी) मे भगवान शिवजी का रूप देखा| जब उन्हे अपनी आँखों पर विश्वास नही हुआ तो भोलेनाथ ने उन्हे कहा की अगर अपनी आँखों पे यकीन नही होता तो मुझे छू कर आज़माले| दादाजी महाराज हमेशा अपने साथ एक डण्डा रखा करते थे और जहाँ भी विराजमान होते वहाँ धूनी रमाते थे| दिगाम्बर रूप दादाजी महाराज के दर्शन के लिए हर रोज़ हज़ारो लोग आया करते थे| जन कल्याण करने का दादाजी का बहुत ही विचित्रा तरीका था, वे भक्तों को गाली देते व डण्डा मारते| हर तरह के लोग, अमीर से अमीर और ग़रीब से ग़रीब दादाजी के आशीर्वाद के लिए आते| दादाजी ने कई चमत्कार दिखाए, जैसे, जिनके बच्चे ना हों उनको सन्तान देना, बीमार लोगों को ठीक करना और मुर्दों को ज़िन्दा करना| इन्ही महान सन्त जिन्हें दादाजी धुनी वाले के नाम से पुकारा जाता है की समाधि खण्डवा में है जहा निरन्तर धुनी जलती रहती है जिसे धुनी मैया कहते है तथा दादाजी की समाधि दर्सन और धुनी मैया की भभूती का प्रसाद लेने दूर दूर से भक्त्त आते है

माँ नवचण्डी देविधाम मन्दिर

यह मन्दिर खण्डवा खण्डवा रामेश्वर छेत्र में स्थापति नवीनतम मन्दिर है जो माँ नवचण्डी माता को समर्पित है जहा माता के मन्दिर के साथ ही भगवान शिव का मन्दिर कालीमाता मन्दिर स्थापित है यह एक मनोहर धार्मिक मन्दिर है जो रेलवे स्टेशन से लगभग ३ किलोमीटर की दुरी पर स्थापित है जहा महाशिवरात्रि पर विशाल मेले का भी आयोजन किया जाता है

गौरी कुंज ऑडिटोरियम

यह ऑडिटोरियम संगीत का सांस्कृतिक हॉल है, जो खण्डवा रेलवे स्टेशन से 1 किलोमीटर की दूरी पर है। यह ऑडिटोरियम जाने माने गायक किशोर कुमार गांगुली की याद में बनवाया गया था। शहर के प्रमुख सांस्कृतिक कार्यक्रम यहीं आयोजित किए जाते हैं। देवी नव चण्डी धाम और तुरजा भवानी माता मन्दिर रेलवे स्टेशन के निकट ही स्थित हैं।

नागचून तालाब

नागचून गांव में बना तालाब यहां का जाना माना पिकनिक स्थल है। तालाब खंडवा से लगभग 5 किलोमीटर दूर है। यह बान्ध खण्डवा की सिचाईं का प्रमुख स्रोत है। इसके चारों ओर की हरियाली तालाब को और आकर्षक बना देती है।

ओमकारेश्‍वर का गुरूद्वारा

इस गुरूद्वारे को नानकदेव के ओमकारेश्‍वर आने के पश्चात् बनवाया गया था। नानकदेव के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए बना यह गुरूद्वारा सिख और हिन्दू धर्म के अनुयायियों से भरा रहता है। ओमकारेश्‍वर रेलवे स्टेशन यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन है।

सिगांजी धाम

सिगांजी धाम एक धार्मिक एवं दर्शनिक स्थल है। खण्डवा जिले के मूँदी नगर से 16 कि.मी की दूरी पर इन्दिरा सागर परियोजना के बैकवाटर में स्थित है। चारों और से पानी में घिरे इस समाधी स्थल का सौन्दर्य अति सुन्दर है।

मान्धाता हिल

यह पवित्र पहाड़ी नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। यह पहाड़ी धार्मिक दृष्टि से जिले का महत्वपूर्ण स्थल है। देश में 12 शिव ज्योतिर्लिगों में एक यहीं स्थित है। ओमकारेश्‍वर और ममलेश्वर यहां के प्रमुख मन्दिर हैं। पहाड़ी के चारों ओर से बहती हुई नर्मदा नदी इसे ओम के आकार का बनाती है। यह पहाड़ी खण्डवा से करीब 75 किलोमीटर दूर है।

भगवान सम्भवनाथ मन्दिर

सिद्धवरकूट स्थित भगवान सम्भवनाथ का यह मन्दिर बारा मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि जैन धर्म के तीसरे र्तींथकर का यह मन्दिर भूमि को खोदकर निकाला गया था। मुख्य मन्दिर के अलावा यहां चार अन्य मन्दिर भी देखे जा सकते हैं जिसमें भगवान चन्द्रप्रभु, अजीतनाथ, पार्श्‍वनाथ और सम्भवनाथ की मूर्तियां स्थापित हैं।

घण्टाघर

खण्डवा रेलवे स्टेशन से 1 किलोमीटर की दूरी पर घण्टाघर एक स्थल है। सूरजकुण्ड, पद्मकुण्ड, भीमाकुण्ड और रामेश्वर यहां के चार पवित्र कुण्ड हैं। दादा धुनी वाले की समाधि, तुरजा भवानी मन्दिर और नव चण्डी देवी घाम भी यहां के लोकप्रिय पवित्र स्थल हैं।

वीरखाला रूक

ओमकारेश्‍वर की पहाड़ियों की पूर्वी दिशा में स्थित वीरखाला एक प्राचीन मन्दिर है। माना जाता है कि प्राचीन काल से ही यहां शिव के अवतार भैरव को प्रसन्न करने के लिए मानव बलि दी जाती थी जिसे ब्रिटिश काल में समाप्त किया गया था। पहाड़ी के निकट ही कुन्ती माता का मन्दिर है।

काजल रानी गुफा

ओमकारेश्‍वर से लगभग 9 किलोमीटर दूर यह एक खूबसूरत पिकनिक स्थल है। यहां से आसपास के क्षेत्र का सुन्दर नजारा देखा जा सकता हैं। काजल रानी गुफा के निकट ही सतमत्रिका गुफा स्थित है। जुलाई से मार्च की अवधि यहां आने के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।

देवझिरी भूतेश्वर महादेव मन्दिर

खण्डवा से लगभग १५ किलोमीटर दूरी पर भोजाखेडी गाँव के पास पहाड़ी छेत्र में स्थित एक प्राचीन शिवलिंग है जिसपर प्राकृतिक रूप से निरन्तर जलधारा प्रवाहित होती रहती है

सूरजकुण्ड, पदमकुण्ड, रामेश्वर कुण्ड और प्रसिद्ध भीमकुण्ड

प्राचीन काल में खाण्डववन के नाम से प्रचलित शहर के चारों दिशाओं में चार कुण्डों ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विराजमान है। पूर्व में सूरजकुण्ड, पश्चिम में पद्मकुण्ड, उत्तर में रामेश्वर कुण्ड और दक्षिण में प्रसिद्ध भीमकुण्ड स्थापित है। यहां पर भोले बाबा विराजित हं।

आवागमन

वायु मार्ग

इन्दौर विमानक्षेत्र खण्डवा का निकटतम एयरपोर्ट है, जो यहां से करीब 130 किलोमीटर दूर है। इन्दौर देश के अनेक शहरों से नियमित फ्लाइट्स के माध्यम से जुड़ा हुआ है।

रेल मार्ग

खण्डवा रेलवे स्टेशन दिल्ली-मुम्बई रूट का प्रमुख रेलवे स्टेशन है। यह रेलवे स्टेशन विभिन्न ट्रेनों के माध्यम से देश के अनेक शहरों से जुड़ा है।

सड़क मार्ग

खण्डवा सड़क मार्ग द्वारा राज्य और पड़ोसी राज्यों से द्वारा जुड़ा है। राज्य के अधिकांश जिलों से यहां के लिए नियमित बसों की व्यवस्था है।

जनसंख्या

2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या 2,00,738 नगर निगम क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। 2024 में खंडवा शहर की वर्तमान अनुमानित जनसंख्या 283,000 है |[4]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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