कोट्टयम
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कोट्टयम (Kottayam) भारत के केरल राज्य के कोट्टयम ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। इसके पूर्व में पश्चिमी घाट की पहाड़ियाँ और पश्चिम में वेम्बनाड झील स्थित है। कोट्टयम मीनाचिल नदी की द्रोणी में राज्य की राजधानी, तिरुवनन्तपुरम, से 150 किमी उत्तर में बसा हुआ है।[1][2]
कोट्टयम Kottayam കോട്ടയം | |
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कोट्टयम के दृश्य | |
निर्देशांक: 9.594°N 76.485°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | केरल |
ज़िला | कोट्टयम ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 3,57,302 |
भाषा | |
• प्रचलित | मलयालम |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 686 001 |
दूरभाष कोड | 0481 |
वाहन पंजीकरण | KL-05 |
लिंगानुपात | 1075 स्त्री/1000 पुरुष |
साक्षरता | 99.66 % |
वेबसाइट | kottayammunicipality |
केरल का कोट्टयम नगर अद्वितीय विशेषताओं को अपने में समेटे एक अनोखा पर्यटन स्थल है। 2204 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला यह शहर प्राकृतिक सुंदरता के अदभूत नजारे पेश करता है। इसके पूर्व में ऊंचे पश्चिमी घाट और पश्चिम में वेम्बानद झील और कुट्टानाद में धान के खेत कोट्टयम की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। इस स्थान को लैंड ऑफ लैटर्स, लेटेक्स और झील की उपाधियां दी जाती है।
कोट्टयम में ही मलयालम की पहली प्रिटिंग प्रेस लगाई गई थी। इस प्रिटिंग प्रेस की स्थापना एक ईसाई बैंजामिन बैली ने 1820 ई. मे की थी। कोट्टयम केरल की सांस्कृतिक, सामाजिक और शैक्षणिक गतिविधियों का सही रूप में चित्रण करता है। कोट्टयम का महत्व द्वितीय चेरा साम्राज्य से बढा। चेरा साम्राज्य का इस जगह पर विशेष प्रभाव था। महाराजा मार्तण्ड वर्मा ने केरल के शासक के रूप में यहां गहरी छाप छोड़ी। अपने पूर्ववर्ती शासकों द्वारा स्थापित वेम्बोलीनाडु पर उसने विजय प्राप्त की। समय के साथ-साथ कोट्टयम का राजनैतिक और अन्य दृष्टियों से महत्व बना रहा।
कोट्टयम से 12 किमी दूर पश्चिम में कुमारकोम गांव में खूबसूरत पक्षी अभयारण्य है। वेम्बानद झील के किनारे बसा यह अभयारण्य पक्षीविज्ञानियों के लिए स्वर्ग है। यह अभ्यारण्य 14 एकड में फैला हुआ है। इग्रेट, डारटरहेरोन्स, टील, वाटरफाउल, कुक्कु, जंगली बत्तख, साइबेरियन स्टोर्क जैसे प्रवासी पक्षी यहां दिखाई पड़ते है।
कोट्टयम में नदियों और नहरों की विस्तृत श्रृंखला है। ये नदियों और नहरें वेम्बानद झील में मिलकर उसका विस्तार करती हैं। झील के ठहरे हुए पानी में बोटिंग, फिशिंग और सैर-सपाटे की उचित व्यवस्था है। ओणम पर्व के मौके पर पर यहां नौकायन प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। इस दौरान झील में एक साथ सैकड़ों लोगों को चप्पू चलाते देखा जा सकता है।
कुरूशुमाला की मुरूगन पहाड़ियों से कुछ कदमों की दूरी पर शानदार गुफाएं हैं। कहा जाता है कि मदुरै की शाही वंश जब पूंजर जाता था जब इन गुफाओं में आराम करता था। गुफा के भीतर पत्थरों को काटकर सीढियों और सोफानुमा आकृति दी गई है। इनमें मदुरै मीनाक्षी, अवयप्पा मुरूगन, कन्नाकी और हथियारों की प्रतिमाएं उकेरी गई हैं।
यह महल अतीत के राजसी ठाठबाट और धन संपदा का जीता जागता प्रमाण है। महल में प्राचीन काल का उत्कृष्ट फर्नीचर विशेषकर एक लकड़ी से बनाई गई सुंदर पालकी को देखा जा सकता है। पत्थरों को काटकर बनाए गए दीप, नटराज की आकर्षक प्रतिमा, हथियारों की आकृतियों के अतिरिक्त अन्य प्राचीन वस्तुओं का संग्रह यहां रखा गया है।
कोट्टयम का यह शिव मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना है। मंदिर की दीवारों पर की गई चित्रकारी आकर्षण का केन्द्र हैं। मंदिर का निजी कमरा महाकाव्यों में प्रस्तुत दृश्यों से सजाया गया है। मार्च के माह में यहां वार्षिक पर्व मनाया जाता है जो बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
यह चर्च 1550 ई. में बनवाया गया था। यह चर्च नगर से 4 किमी दूर उत्तर पश्चिम में थाजहथंगुड़ी में स्थित है। सेन्ट मैरी को समर्पित यह चर्च आठवीं शताब्दी के दो क्रॉस के लिए प्रसिद्ध है जिसमें पहलवी अभिलेख मुद्रित हैं। ये अभिलेख ईसाई धर्म के भारत में आगमन के वक्त का समझा जाता हैं।
अपनी वास्तुकारी के लिए लोकप्रिय यह मस्जिद तीर्थयात्रियों का प्रमुख केन्द्र है। ताजहथंगड़ी में स्थित एक हजार साल पुरानी इस मस्जिद को मलिक दीनार ने बनवाया था।
यह स्थान ईसाई लोगों का प्रमुख केन्द्र है। यहां सेन्ट जोसफ का मठ स्थित है। मन्नानम वह स्थान है जहां भारत की सबसे प्राचीन प्रिंटिंग प्रैस लगाई गई थी। केरल के सबसे प्राचीन अखबार यही से मुद्रित होते हैं।
कोट्टयम-कुमाली रोड़ पर समुद्र तल से 2500 फीट ऊंचाई पर पांचालीमेडू स्थित है। कहा जाता है कि पांडव यहां रहते थे। कहा जाता है कि यहां मंदिर के पास एक तालाब है जहां पाडवों की पत्नी पांचाली स्नान करती थी।
कोट्टयम-कुमाली रूट पर कुट्टकानम और मुरिन्जापुहा के बीच स्थित यह जल प्रपात वलमजामकानम के नाम से भी जाना जाता है। कोट्टयम से तीन घंटे की बस यात्रा के बाद यहां पहुंचा जा सकता है। कुट्टीकानम से केसरी जल प्रपात जाना हो तो ट्रैकिंग के माध्यम से प्रकृति को करीब से देखा जा सकता है।
यहां से सबसे नजदीक कोच्चि एयरपोर्ट है जो 80 किमी दूर है। कोच्चि से बस या टैक्सी के माध्यम से कोट्टयम पहुंचा जा सकता है।
कोट्टयम रेलवे स्टेशन (दूरभाष-0481-2562933, 2563535) भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
कोट्टयम मुख्य केन्द्रीय रोड़ पर स्थित है। जो त्रिवेन्द्रम से अंगामाली तक जुड़ा हुआ है। केरल राज्य सड़क परिवहन निगम की बस द्वारा कोट्टयम पहुंचा जा सकता है। साथ ही कोच्चि, त्रिवेन्द्रम, एलिपे, थेक्काडी, कोलाम, बैंगलोर आदि शहरों से भी कोट्टयम के लिए नियमित रूप से बस चलती हैं।
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