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विज्ञापनों में केरल को 'ईश्वर का अपना घर' (God's Own Country) कहा जाता है, यह कोई अत्युक्ति नहीं है। जिन कारणों से केरल विश्व भर में पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बना है, वे हैं : - उष्ण मौसम, समृद्ध वर्षा, सुंदर प्रकृति, जल की प्रचुरता, सघन वन, लम्बे समुद्र तट और चालीस से अधिक नदियाँ। भौगोलिक दृष्टि से केरल उत्तर अक्षांश 8 डिग्री 17' 30" और 12 डिग्री 47' 40" के बीच तथा पूर्व रेखांश 74 डिग्री 7' 47" और 77 डिग्री 37' 12" के बीच स्थित है। यह सह्याद्रि तथा अरब सागर के बीच एक हरित मेखला की तरह खूबसूरत लगता है। केरल की उत्पत्ति के संबन्ध में परशुराम की कथा प्रसिद्ध है। किंवदन्ती है कि महाविष्णु के दशावतारों में से एक परशुराम ने अपना फरसा समुद्र में फेंक दिया, उससे जो स्थान उभरकर निकला वही केरल बना।
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (सितंबर 2014) स्रोत खोजें: "केरल का भूगोल" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
केरल के कृषि-पारिस्थितिक क्षेत्र (agroecological zones) | |
जैवक्षेत्र के अनुसार केरल के ज़िले, हर प्रकार की मृदा अलग रंग में दी गई है। | |
भौगोलिक प्रकृति के आधार पर केरल को अनेक क्षेत्रों में विभक्त किया जाता है। सर्वप्रचलित विभाज्य प्रदेश हैं:
अधिक स्पष्टता की दृष्टि से इस प्रकार विभाजन किया गया है - पूर्वी मलनाड (Eastern Highland), अडिवारम (तराई - Foot Hill Zone), ऊँचा पहाडी क्षेत्र (Hilly Uplands), पालक्काड सुरंग, तृश्शूर-कांजगाड समतल, एरणाकुलम - तिरुवनन्तपुरम रोलिंग समतल और पश्चिमी तटीय समतल। केरल का सह्याद्रि से जुडा हुआ दक्षिण-उत्तर की ओर वाला भाग हिंसक वन्य जीवों से भरा बीहड वन है। यहाँ उष्ण क्षेत्र में पाये जाने वाले सदैव हरित छायादार वन हैं। केरल की प्रमुख नदियों का उद्रम स्थान भी मलनाड अर्थात् यह पर्वतीय प्रदेश है, ही है। सर्वाधिक प्रसिद्ध सदा बहार वन साइलेन्टवेली है जो पालक्काड जिले के मण्णार्काड के पास स्थित है। साइलेन्टवेली तथा इरविकुलम दोनों राष्ट्रीय उद्यान है। केरल का सबसे ऊँचा पर्वत शृंग आनमुडी (2695 मीटर) है। केरल के दक्षिणी छोर का सबसे ऊँचा शृंग अगस्त्यकूट (1869 मीटर) है। दक्षिण से उत्तर की ओर फैला हुआ पश्चिमी समुद्र तटीय समतल सह्याद्रि के समानान्तर में है। मलनाडु और तटीय क्षेत्र के बीच वाले भाग को इटनाडु या मध्यक्षेत्र कहा जाता है। यहाँ की भौगोलिक प्रकृति में पहाड और समतल दोनों का समावेश है।
केरल को जल समृद्ध बनाने वाली 41 नदियाँ पश्चिमी दिशा में स्थित समुद्र अथवा झीलों में जा मिलती हैं। इनके अतिरिक्त पूर्वी दिशा की ओर बहने वाली तीन नदियाँ, अनेक झीलें और नहरें हैं।
केरल में 44 नदियाँ हैं जिनमें 41 नदियाँ पश्चिम की ओर बहती हैं, 3 नदियाँ पूरब की ओर बहती हैं। जो नदियाँ पश्चिम की ओर बहती हैं वे या तो अरब सागर में या झीलों अथवा अन्य नदियों में जा मिलती हैं। इन नदियों में हज़ारों झरने और नहरें बह कर आती हैं। सन् 1974 में राज्य सरकार के लोक निर्माण विभाग ने जो जल संसाधन रपट प्रस्तुत की है उसमें उन जल प्रवाहों को नदियाँ माना गया है जिनकी दूरी 15 किलो मीटर से अधिक हो।
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