केन्दुझर या केउंझर भारत के ओड़िशा राज्य का एक जिला है। इसका मुख्यालय केन्दुझर या केन्दुझरगड शहर है। इस जिला का भौगोलिक क्षेत्रफल ८२४० वर्ग कि.मि. है | यह जिला के उत्तरी दिशा में झारखण्ड राज्य कि पूर्व सिंहभूम जिला, पूर्व में मयुरभंज जिला एवं भद्रक जिला, दक्षिण में जाजपुर जिलाएवं पश्चिम में ढेन्कानाल जिला और सुन्दरगड जिला अवस्थित है।[1][2][3]

अधिक जानकारी केन्दुझर ज़िलाKendujhar districtକେନ୍ଦୁଝର ଜିଲ୍ଲା, सूचना ...
केन्दुझर ज़िला
Kendujhar district
କେନ୍ଦୁଝର ଜିଲ୍ଲା
मानचित्र जिसमें केन्दुझर ज़िलाKendujhar districtକେନ୍ଦୁଝର ଜିଲ୍ଲା हाइलाइटेड है
सूचना
राजधानी :केन्दुझर
क्षेत्रफल :8,240 किमी²
जनसंख्या(2011):
  घनत्व :
18,02,777
 217/किमी²
उपविभागों के नाम:तहसील
उपविभागों की संख्या:13
मुख्य भाषा(एँ):ओड़िया
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इतिहास

ओडिशा में संयुक्त होने के पूर्व केन्दुझर एक रियासती राज्य था। राज्य के प्रारंभिक इतिहास पर्याप्त रूप से ज्ञात नहिं है | यह सम्भवत: पूरातन खिज्जिंग राज्य का एक अंश है जिसका राजधानी खिज्जिंग कोटा में था। सांप्रतिक समय में खिज्जिंग कोटा खिचिं के नाम से जाना जाता है | १२ वीं शताब्दी के प्रथमार्द्ध में, राजा ज्योति भंज के नेतृत्व में यह एक स्वतंत्र राज्य बना था। ज्योति भंज के राजा वनने के अनेक पहले से केन्दौझर कि सीमारेखा वर्त्तमान राज्य के केवल उत्तरी भाग तक हि सीमित था। १५ वीं शताब्दी के शेषभाग में राजा गोविन्द भंज ने दक्षिण भाग अधिकार किया। इनके शासन में केन्दुझर कि सीमा उत्तर में सिंहभूम से लेकर दक्षिण में सुकिन्दा (जो कि तत्कालिन कटक का एक जमिंदारी था) एवं पूर्व में मयुरभंज से लेकर पश्चिम में बणाइ, पाललहडा एवं अनुगुल पर्यन्त विस्तृत था। राजा प्रताप बलभद्र भंज (१७६४ सन-१७९२ सन) के समय में टिल्लो एवं जुझपडा नामक दो क्षुद्र प्रान्त, कन्टाझरी के जमिंदार से क्रय कर के केन्दुझर में सामिल किया गया | यह दो अंचल सन १८०४ में इष्टैइन्डिया कम्पानी द्वारा राजा जनार्द्दन भंज को दिए गये सनद में केन्दुझर के अन्तर्गत अंचल के रूप में दर्शाया गया था। उसके उपरान्त स्वतन्त्र ओडिशा प्रदेश मे सम्मिलित होने तक केन्दुझर के सीमा में कोइ परिवर्त्तन नहिं हुआ | परन्तु ओडिशा में सम्मिलित होने के उपरान्त, प्रशासनिक व्यवस्थाओं के सुविधा के कारण टिल्लो एवं जुझपडा को क्रमान्वय रूप से बालेश्वर एवं कटक जिला के अधीन किया गया और आम्बो के नाम से बालेश्वर जिला का एक ग्राम-समुदाय केन्दुझर में सम्मिलित हुआ |

शासकों का नाम

समयानुक्रम में केन्दुझर के शासक बने राजाओं का नाम इस प्रकार है।

  • श्री जगन्नाथ भंज (१६८८-१७००)
  • श्री रघुनाथ भंज (१७००-१७१९)
  • श्री गोपिनाथ भंज (१७१९-१७३६)
  • श्री नरसिंह नारायण भंज (१७३६-१७५७)
  • श्री धनेश्वर नारायण भंज (१७५७-१७५८)
  • श्री जगतेश्वर नारायण भंज (१७५८-१७६२)
  • श्री प्रताप बलभद्र भंज (१७६२-१७९७/१७६४-१७९२)
  • श्री जनार्द्दन भंज (१७९४-१८२५/१७९७-१८३२)
  • श्री गदाधर नारायण भंज देव (१८२५-१८६१/१८३२-१८६१)
  • श्री धनुर्ज्जय नारायण भंज देव (१८६१-१९०५)
  • श्री गोपिनाथ नारायण भंज देव (१९०५-१९२६)
  • श्री बलभद्र नारायण भंज देव (१९२६-१९४८)

भूगोल

चारो ओर से से स्थलभाग द्वारा घिरे हुए इस जिले का क्षेत्रफल ८२४० वर्ग किलोमीटर है | केन्दुझर जिला ओडिशा के उत्त्तरी दिशा मे २१°१'-२२°१' अक्षांश एवं ८५°११'-८६°२२ देशान्तर के वीच में अवस्थित है। यह जिला कि सर्वोत्तम लंबाइ उत्तर-दक्षिण दिशा में लगभग १४५ किमि एवं औसत चौड़ाई पूर्व-पश्चिम दिशा में लगभग ६५ किमि है। भुमि कि औसत उचाइ ४८० मिटर एवं सामान्य ढलान उत्तर से दक्षिण दिशा कि और है |

राष्ट्रीय राजमार्ग-२१५ केन्दुझर जिला को उत्तर से दक्षिण तक लगभग दो प्राकृतिक क्षेत्रों में विभाजित करता है | इसके पूर्वी भाग में आनन्दपुर और सदर उपखंड (सब्डिव्हिजन) के कुछ भाग का मैदानी क्षेत्र है | एवं इस राजमार्ग के पश्चिमी क्षेत्र उत्तंग पहाडिओं से भरा हुआ है जिनमे गंधमार्द्दन (३४७७ फिट), मांकडनचा (३६३९ फिट), गोनासिका (३२१९ फिट) एवं ठाकुराणी (३००३ फिट) आदि राज्य के कुछ उच्च पर्वत शिखर भि अन्तर्गत है | केन्दुझर जिला के प्राय: अर्द्ध प्रतिशत (४०४३ वर्ग किमि) क्षेत्र उत्तरी उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती वन (Northern tropical moist deciduous forest) से भरा है, जिसमें शाल, असन, पिआशाल आदि बृक्ष पाए जाते हैं | इस जिला का अधिकांश क्षेत्र लाल मिट्टी से ढका हुआ है; परन्तु, दक्षिण के कुछ क्षेत्रों में काली मिट्टी भी पाइ जाति है। केन्दुझर जिला प्राकृतिक खणिज पदार्थों से भरा हुआ है | यहां देश के उच्च मान के लौह, मांगानीज, क्रोमाइट अयस्क पाए जाते हैं |

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

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