बिखरने से होता है, जैसे कि लेंस में सामग्री की खामियों से होने वाले आंतरिकप्रतिबिंब और प्रकीर्णन के माध्यम से। उन लेन्सों में जिनमें बहुत सारी विशेषताएं
(कायक्लेश). आंतरिक तपस्या परिहार (प्रायश्चित), श्रद्धा (विनय), सेवा (वयवृत्ति), अध्ययन (स्वाध्याय), त्याग (व्युत्सर्ग), और ध्यान इन्हें आंतरिक तपस्या कहा
के संघर्ष के अनुरूप होता है, क्योंकि विचारधारा यथार्थ का सच्चा या झूठा प्रतिबिंब भी हो सकता है और वैज्ञानिक या अवैज्ञानिक भी हो सकता है। प्रतिक्रियावादी
आत्मिक विकास द्वितीय महत्व का है। वास्तव में आत्मिक विकास भौतिकी विकास का प्रतिबिंब मात्र है। इसी आधार पर वह यह कहता है कि मनुष्यों की चेतना उनके सामाजिक