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कर्नाटक के उपन्यासकार, कवि, नाटककार, आलोचक और विचारक विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा (कन्नड़: ಕುಪ್ಪಳ್ಳಿ ವೆಂಕಟಪ್ಪಗೌಡ ಪುಟ್ಟಪ್ಪ) (२९ दिसम्बर १९०४ - ११ नवम्बर १९९४)[1] एक कन्नड़ लेखक एवं कवि थे, जिन्हें २०वीं शताब्दी के महानतम कन्नड़ कवि की उपाधि दी जाती है। ये कन्नड़ भाषा में ज्ञानपीठ सम्मान पाने वाले आठ व्यक्तियों में प्रथम थे।[2] पुटप्पा ने सभी साहित्यिक कार्य उपनाम 'कुवेम्पु' से किये हैं। उनको साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९५८ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इनके द्वारा रचित एक महाकाव्य श्रीरामायण दर्शनम् के लिये उन्हें सन् १९५५ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[3]
के.वी.पुटप्पा ಕೆ.ವಿ. ಪುಟ್ಟಪ್ಪ | |
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जन्म | 29 दिसम्बर 1904 कुपल्ली, तीर्थहल्ली ताल्लुक, शिवमोगा जिला, कर्नाटक |
मृत्यु | 11 नवम्बर 1994 89 वर्ष) मैसूर, कर्नाटक | (उम्र
उपनाम | कुवेम्पू |
व्यवसाय | लेखक, प्राध्यापक |
राष्ट्रीयता | भारत |
शैली | फिक्शन |
साहित्यिक आन्दोलन | नवोदय |
प्रभावित किया
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आधिकारिक जालस्थल |
अंग्रेजी काव्यसंकलन
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