कुपवाड़ा
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कुपवाड़ा जम्मू एवं कश्मीर राज्य का एक नगर है। यह कुपवाड़ा ज़िले का केन्द्र भी है। कुपवाड़ा पीरपंजाल और शम्सबरी पर्वत के मध्य स्थित है। समुद्र तल से 5,300 मीटर ऊंचाई पर स्थित यह नगर ऐतिहासिक दृष्टि से भी स्थान काफी प्रसिद्ध है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता अधिक संख्या में पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। कुपवाड़ा जिले में कई पर्यटन स्थल जैसे मां काली भद्रकाली मंदिर, शारदा मंदिर, जेत्ती नाग शाह आदि विशेष रूप से प्रसिद्ध है।[1][2][3][4]
कुपवाड़ा Kupwara کپواڑہ | |
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कस्बा | |
निर्देशांक: 34.3°N 74.27°E | |
देश | भारत |
राज्य | जम्मू और कश्मीर |
ज़िला | कुपवाड़ा ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 21,771 |
भाषाएँ | |
• आधिकारिक | कश्मीरी, गोजरी, उर्दू |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
वेबसाइट | http://kupwara.gov.in |
यह मंदिर कुपवाड़ा जिले के भद्रकाली से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर है। मां काली भद्रकाली मंदिर ऊंचे पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर के आस-पास की जगह देवदार और चीड़ के वृक्षों से घिरी हुई है। यह मंदिर मां काली को समर्पित है। यह काफी पुराना मंदिर है जो कि अधिक बर्फबारी और वर्षा के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था। कश्मीरी पंडितों के निर्वासन के पश्चात् मंदिर में किसी प्रकार की कोई पूजा नहीं की गई। लेकिन स्थानीय मुसलमानों ने इस मंदिर की देखरेख की और कुछ समय के बाद मंदिर की मरम्मत करवाई। बाद में स्थानीय लोगों के सहयोग से मंदिर का पुर्नर्निमाण करवाया गया और मंदिर को भक्तों के लिए खोल दिया गया। मंदिर में भद्रकाली की एक प्रतिमा स्थापित है। चैत्र नवमी के दौरान मूर्ति की विशेष पूजा की जाती है। यह त्यौहार पूरे उत्तर भारत में राम नवमी के दौरान मनाया जाता है। देश के अलग-अलग राज्यों से काफी संख्या में लोग इस मेले में सम्मिलित होते हैं।
कुपवाड़ा जिले के शारदी गांव स्थित शारदा मंदिर काफी पुराने मंदिरों में से है। मंदिर के समीप ही किशनगंगा और मधुमती नदियों का संगम होता है। यह मंदिर नीलम घाटी के तट पर स्थित है। यह मंदिर देवी शारदा को समर्पित है। मंदिर में देवी की पूजा शारदा, सरस्वती और वेगदेवी तीनों रूपों में की जाती है। ऊंचे पर्वत पर स्थित इस मंदिर में 63 सीढ़ियां है। मंदिर के प्रवेश द्वार का निर्माण कश्मीरी स्थापत्य शैली में किया गया है। मंदिर की उत्तरी दीवार के मध्य में एक छोटा सा छेद है जो कि मंदिर के आंगन में जाकर खुलता है। मंदिर में दो लिंग भी स्थापित है। माना जाता है कि मंदिर में एक बड़ी सी पटिया है जो कि मंदिर में स्थित कुंड को घेरे हुए है। इस स्थान पर देवी शारदा ने तपस्वी शांडिल्य को दर्शन देने के लिए प्रकट हुई थी।
शिव मामेश्वरा मंदिर कुपवाडा जिले के नागमार्ग पर स्थित है। यह काफी पुराना मंदिर है। यह मंदिर लगभग बारहवीं शताब्दी पूर्व का है। इसके अलावा यहां एक वर्ग किलोमीटर के माप में बना पत्थर से बना एक टैंक भी स्थित है।
जेत्ती शाह नाग एक ऐतिहासिक सरोवर के रूप में प्रसिद्ध है। यह जगह कुपवाड़ा जिले के मुक्कम शाह वाली गांव से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्रसिद्ध जेत्ती शाह नाग के समीप ही जेत्ती शाह मस्जिद स्थित है। सभी धर्म के लोग हिन्दू, मुस्लिम और सिख समान रूप से इस सरोवर को पवित्र मानते हैं। माना जाता है कि संत जेत्ती शाह वाली ने एक सूखी मछली को सरोवर में डाल कर उसे जीवन प्रदान किया था। कहा जाता है वर्तमान समय इस मछली की संतान इस सरोवर पर है।
साधु गंगा एक धार्मिक स्थल है। यह जगह कुपवाड़ा जिले के कांदी खास गांव के समीप स्थित है। साधु गंगा कुपवाड़ा से लगभग बारह किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसे सैद मलिन के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान हिन्दू व मुस्लिम दोनों धर्मो के पंडितजी गोस्वामी और सैद मलिक साहिब को समर्पित है। यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि सूखा पड़ने पर सैद मलिक ने इस क्षेत्र कि रक्षा की थी। उन्होंने अपनी आध्यामिक शक्ति के द्वारा यहां एक स्थायी सरोवर खोदा था।
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