किशनगंज
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किशनगंज (Kishanganj) भारत के बिहार राज्य के किशनगंज ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2]
किशनगंज Kishanganj | |
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किशनगंज का दृश्य | |
निर्देशांक: 26.315°N 88.177°E | |
ज़िला | किशनगंज ज़िला |
प्रान्त | बिहार |
देश | भारत |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 1,05,782 |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी, मैथिली |
किशनगंज बिहार की राजधानी पटना से 425 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित यह जगह पहले कृष्णाकुंज के नाम से जाना जाता था। बंगाल, नेपाल और बंगलादेश की सीमा से सटा किशनगंज पहले पुर्णिया जिले का अनुमंडल था। बिहार सरकार ने 14 जनवरी 1990 को इसे पूर्ण रूप से जिला घोषित कर दिया। पर्यटन की दृष्टि से यहां पर पर्यटक खगरा मेला, नेहरु शांति पार्क, चुर्ली किला जैसी जगहें घूम सकते है। यहां से पानीघाट, गंगटोक, कलिंगपोंग, दाजर्लिंग जैसे पर्यटन स्थल भी कुछ ही दूरी पर स्थित हैं।
इस मेला की शुरुआत स्थानीय निवासी सैयद अट्टा हुसैन ने 1950 में की थी। हरेक साल जनवरी-फरवरी में लगने वाले इस मेले की शुरुआत एक कृषि प्रदर्शनी के तौर पर किया था। लेकिन आगे चल कर यह प्रदर्शनी खगरा मेला मे तब्दील हो गया। लगातार 58 वर्षो से लग रहे इस मेले को किसी समय में भारत का सबसे बड़ा दूसरा मेला माना जाता था और पूरे देश से व्यापारीगण इस मेले मे भाग लेने आते थे। दैनिक उपभोग की वस्तुओं के लिए प्रसिद्ध इस मेले का उदघाटन हरेक साल यहां के जिलाघिकारी करते हैं। मेले के समय हजारों की संख्या में लोग खरीददारी करने यहां आते हैं।
किशनगंज रेलवे स्टेशन से मात्र 1 किमी की दूरी पर स्थित इस पार्क में फूलों के सैकड़ों किस्म के पौधे लगे हुए है। जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते है। इस पार्क मे बच्चों के मनोरंजन का खास ध्यान रखा गया है। यहां पर भगवान बुद्व की एक प्रतिमा लगी हुई है जो इस पार्क की आर्कषण का केन्द्र बिन्दू है। आधा किमी की दूरी पर कारगिल पार्क भी स्थित है जोकि कारगिल में शहीद हूए सैनिकों की याद में बनाया गया है।
खगरा में स्थित यह स्टेडियम रेलवे स्टेशन से 2 किमी की दूरी पर है। यहां पर विभिन्न प्रकार के खेल जैसे क्रिकेट, फुटबाल, वालीबाल, कबड्डी का राज्य स्तरीय टूर्नामेन्ट का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही अनेक सांस्कृतिक गतिविधि के अलावा यहां पर हरेक वर्ष स्वतंत्रता व गणतंत्र दिवस के दिन झंडा फहराया जाता है। इसके नजदीक ही एक इन्डोर स्टेडियम का निर्माण किया गया है जहां पर स्पोट्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया का कार्यालय है।
अंग्रेजी हुकूमत के समय किशनगंज की शान रहे इस रियासत का नाम लेने वाला भी अब कोई नहीं रहा। कुंदन लाल सिंह इस रियासत के जमींदार हुआ करते थे। उनकी जमींदारी बंगाल से लेकर नेपाल तक फैली हुई थी। उनकी हवेली को देखने दूर-दूर से लोग आया करते थे। लेकिन आज यह हवेली खण्डहर में तब्दील हो चुकी है। आज भी पर्यटक इस खण्डहर को देखने यहां आते हैं।
ठाकुरगंज प्रखण्ड में स्थित इस मंदिर को 100 साल पुराना माना जाता है। इसका निर्माण टैगोर रियासत के जमींदार द्वारा किया गया था। इस मंदिर के निर्माण के संबंध में एक कथा प्रचलित है कि यहां के जमींदार को एक ही पत्थर पर शिव और पार्वती की निर्मित मूर्ति मिली थी। वह उसे बनारस ले गया लेकिन रात को ही जमींदार के सपने में भगवान शिव ने कहा कि इस प्रतिमा को वही स्थापित किया जाए जहां पर वह मिली है। वह दूसरे दिन ही वापस आ गया और बड़ी धूमधाम से इस मूर्ति की स्थापना की। शिवरात्रि के दिन इस मंदिर मे दूर-दूर से लोग शिवलिंग पर जल चढ़ाने आते है। MP Board 12th Blueprint 2023 Archived 2022-12-09 at the वेबैक मशीन Bihar Board 12th Model Paper 2023 Archived 2022-12-09 at the वेबैक मशीन MP Board 10th Blueprint 2023 Archived 2022-12-09 at the वेबैक मशीन
किशनगंज से 40 किमी की दूरी पर स्थित इस प्राकृतिक झील पर सैकड़ों की संख्या में अप्रवासी पक्षी प्रवास करने आते है। नववर्ष के मौके पर स्थानीय पर्यटकों की यहां भारी भीड़ रहती है। इसकी सुन्दरता और स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार की पर्यटन विभाग ने योजनाबद्ध तरीके से इसका निर्माण कार्य आरंभ कर दिया है।
इसके अलावा पर्यटक यहां से पानीघाट (50किमी), उद्रघाट (15 किमी), दाजर्लिंग (150किमी), कलिंगपोंग (130किमी), गंगटोक (170किमी) आदि जगह भी घूम सकते हैं।
यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा बागडोगरा है जो यहां से 90 किमी की दूरी पर स्थित है।
किशनगंज रेलवे स्टेशन यहां का मुख्य रेलवे स्टेशन है। यह हावड़ा-दिल्ली रेल लाईन द्वारा जुड़ा हुआ है।
यहां से प्रतिदिन राजधानी पटना के लिए बसें खुलती है तथा बंगाल, सिक्किम के लिए भी यहां से बसें उपलब्ध है।
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