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क़ाराक़ोरम दर्रा काराकोरम पर्वतमाला में भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य और जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रदेश के बीच ४,६९३ मीटर (१५,३९७ फ़ुट) की ऊँचाई पर स्थित एक पहाड़ी दर्रा है। यह लद्दाख़ के लेह शहर और तारिम द्रोणी के यारकन्द क्षेत्र के बीच के प्राचीन व्यापिरिक मार्ग का सबसे ऊँचा स्थान है।
क़ाराक़ोरम दर्रा |
क़ाराक़ोरम दर्रा Karakoram Pass | |
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ऊँचाई | ४,६९३ मीटर |
चक्रमण | रॉबर्ट शॉ (१८६८); फ़्रान्सिस ई यंगहस्बन्ड (१८८९); थेओडोर जूनियर और कर्मिट रूज़वॅल्ट (१९२६). |
स्थान | चीन / भारत |
पर्वतमाला | काराकोरम पर्वतमाला |
निर्देशांक | 35°30′48″N 77°49′23″E |
तुर्की भाषाओं में 'क़ारा क़ोरम' का मतलब 'काला बाजरा (छोटे कंकड़)' होता है।[1]
यह दर्रा अत्यंत ऊँचाई पर है और दूर-दूर तक कोई वनस्पति नहीं उगता जिस से यहाँ से गुज़रते कारवानों में बहुत से जानवर दम तोड़ देते थे।[2] इस कारण राह पर जानवरों की हड्डियाँ बिखरी रहती थीं। लेह जाते हुए इस दर्रे से दक्षिण में लगभग ५,३०० मीटर (१७,४०० फ़ुट) की ऊँचाई पर देपसंग मैदान है। यह मैदान भी वनस्पति रहित है और इसे पार करने में तीन दिन लग जाया करते थे। उत्तर में रास्ता थोड़ा कम कठिन था और कम ऊँचाई वाले सुगेत दावन दर्रे को पार करके काराकाश नदी के किनारे स्थित शायदुल्ला पहुँचा जाता था जहाँ जानवरों के चरने के लिये बहुत घास थी।
कराकोरम दर्रे पर एक संभावित चीन-भारत-पाकिस्तान त्रिबिन्दु को 1963 में चीन और पाकिस्तान के बीच ट्रांस काराकोरम ट्रैक्ट के संबंध में संदर्भित किया गया है, लेकिन भारत उस संधि के पक्ष में नहीं था और न ही किसी त्रिबिन्दु समझौते पर।[3] संपूर्ण सियाचिन ग्लेशियर, सॉल्टोरो रिज (सिया ला, बिलाफोंड ला, ग्योंग ला, याराम ला (6,100 मी), और चुलुंग ला (5,800 मी।[4]) सहित सभी प्रमुख दर्रे और ऊंचाइयों के साथ, 1984 से भारत का प्रशासन (वर्तमान में लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश के हिस्से के रूप में) के अंतर्गत रहा है।[5][6][7][8] वर्तमान डे फैक्टो त्रिबिन्दु सियाचिन मुज़ताग़ में इंदिरा कोल के पास से लगभग 100 किमी पश्चिम में है, जहां भारतीय और पाकिस्तानी सेना के बीच एक्चुअल ग्राउंड पोजिशन लाइन चीन के साथ सीमा पर मिलती है।
क़ाराक़ोरम दर्रा दो पहाड़ो के बीच के कन्धे पर स्थित है। यहाँ तापमान बहुत गिरता है और तेज़ हवाएँ चलती हैं लेकिन यही तीव्र हवाएँ यहाँ हिम नहीं टिकने देती, जिस वजह से यह अधिकतर बर्फ़मुक्त रहता है। फिर भी समय-समय पर बर्फ़बारी होती रहती है। इसकी चढ़ाई कठिन नहीं मानी जाती और हिममुक्त होने से इसे सालभर प्रयोग में लाया जा सकता है। भारत-चीन तनाव के कारण यह दर्रा वर्तमान में आनेजाने के लिए बंद है। वर्तमान डे फैक्टो यात्रा सियाचिन मुजतघ में इंदिरा कॉल के पास से लगभग 100 किमी पश्चिम में है, जहां भारतीय और पाकिस्तानी सेना के बीच वास्तविक ग्राउंड पोजिशन लाइन चीन के साथ सीमा पर मिलती है।
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