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2000 की राकेश रोशन की फ़िल्म विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
कहो ना प्यार है 2000 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इस फिल्म के निर्देशक और लेखक राकेश रोशन हैं। इस फिल्म के द्वारा ऋतिक रोशन और अमीषा पटेल ने फिल्मों में अपने अभिनय के सफर को शुरू किया था। इसमें ऋतिक रोशन रोहित और राज की दोहरी भूमिका निभाएँ हैं। यह फिल्म 2000 की सबसे सफल फिल्म थी। इसे बहुत अधिक पुरस्कार भी मिले। इस फिल्म के लिए राकेश रोशन को पहली बार निर्माता और निर्देशक के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेता के लिए ऋतिक रोशन को एक ही फिल्म में यह दोनों पुरस्कार भी मिल गया।
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कहो ना प्यार है | |
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कहो ना प्यार है का पोस्टर | |
निर्देशक | राकेश रोशन |
पटकथा | हनी ईरानी |
निर्माता | राकेश रोशन |
अभिनेता |
ऋतिक रोशन, अमीशा पटेल, अनुपम खेर, दलीप ताहिल, मोहनीश बहल, आशीष विद्यार्थी, सतीश शाह, फरीदा ज़लाल |
संगीतकार | राजेश रोशन |
प्रदर्शन तिथियाँ |
21 जनवरी, 2000 |
लम्बाई |
178 मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
रोहित (ऋतिक रोशन) और उसका छोटा भाई अमित अनाथ हैं, जो लिली (फरीदा ज़लाल) और एंथोनि (सतीश शाह) के यहाँ रहते हैं। रोहित एक बहुत अच्छा गायक बनना चाहता है और कार बेचने वाले दुकान में काम करता है। सक्सेना (अनुपम खेर) एक दिन अपनी बेटी सोनिया सक्सेना (अमीषा पटेल) के लिए कार लेते हैं। जब रोहित कार को उनके घर में देने जाता है तो उसे पता चलता है कि यह उसके जन्मदिन का तोहफा है। किसी को इस बात का पता नहीं होता है कि उस कार के दुकान का मालिक और सक्सेना मिल कर नशीली दवाइयों का गिरोह चला रहे हैं। इसमें दो पुलिस अफसर ([[[मोहनीश बहल]] और आशीष विद्यार्थी) भी शामिल हैं।
सोनिया और उसके दोस्त पार्टी करते रहते हैं और उसी के पास रोहित गाना गाते रहता है। उसके गाने को सुन कर अतुल (राजेश टंडन) उसे अपने पार्टी में बुला लेता है। गलती से रोहित और सोनिया दोनों शराब पी लेते हैं और जीवन रक्षा नौका पर गिर जाते हैं। नाव धीरे धीरे चलने लगती है और बहुत दूर चले जाती है। दोनों एक द्वीप में कुछ समय साथ रहते हैं। इसी दौरान उन्हें प्यार हो जाता है। थोड़ी देर बाद सक्सेना उन्हें बचा लेता है। जब सक्सेना को दोनों के प्यार का पता चलता है तो वह अपने दोस्त को कहता है कि रोहित को काम से हटा दे। इसके बाद भी सोनिया का रोहित के प्रति प्यार कम नहीं होता है। वह रोहित से बात करता है कि यदि वो कुछ बहुत बड़ा काम कर लेता है तो वह उसकी शादी करा देगा। इसके बात रोहित और उसके दोस्त कोन्सेर्ट का आयोजन करते हैं।
कोन्सेर्ट की शाम जब रोहित अमित को उसके विद्यालय से लाता है तो बीच में वो दोनों देखते हैं कि एक भ्रष्टाचारी पुलिसकर्मी और मलिक (दलीप ताहिल) मिल कर कमिश्नर (राम मोहन) को मारते रहे हैं। क्योंकि उसे नशीली दवाइयों के बारे में पता चल चुका रहता है। उसके बाद उन दोनों को रोहित के होने का पता चल जाता है। रोहित वहाँ से भाग जाता है और पुलिया से होते हुए नदी में गिर जाता है। उसे तैरना नहीं आता है। सोनिया और बाकी सब यही सोचते हैं कि उसकी मौत हो गई है।
सोनिया को उसके पिता न्यूजीलैंड में उसके भाई के पास भेज देते हैं। वहाँ नीता (तनाज़ ईरानी) उसे रोहित को भूलने में मदद करती है। वह उसे अपने दोस्त राज चोपड़ा (ऋतिक रोशन) से मिलाती है। उसका चेहरा बिल्कुल रोहित की तरह होता है और वह अच्छा गायक भी होता है। राज के चेहरे के कारण सोनिया और दुःखी हो जाती है। पूरी कहानी जानने के बाद राज भारत आ जाता है। वहाँ आते साथ एक पुलिस वाला उसे मारने की कोशिश करता है। इसके बाद राज को लगता है कि कोई रोहित को मारना चाहता था। इससे राज और सोनिया को पता चल जाता है कि रोहित की हत्या हुई है।
राज, रोहित के घर जाता है जहाँ उसे पता चलता है कि अमित को रोहित के हत्यारों के बारे में पता है। राज उन हत्यारों को पकड़ने के लिए जाल बनाने के बारे में सोचता है। उसके राज होने की सच्चाई केवल उसे और सोनिया को ही पता थी। वह फिर से कोन्सेर्ट करने की घोषणा करता है ताकि वहाँ हत्यारे भी आयें और अमित उन्हें पहचान ले। वह ये भी बोलता है कि उसे जो मारने की कोशिश कर रहे थे, वह उनका भी नाम लेगा। रोहित को जीवित देख कर उसके हत्यारे डर जाते हैं। सक्सेना को यह सच्चाई सोनिया बता देती है कि वो रोहित नहीं राज है। इसके बाद सक्सेना उसी समय मलिक और उस भ्रष्ट अफसर को सच्चाई बता देता है। मलिक को लगता है कि सक्सेना उन लोगों को फंसा रहा है, क्योंकि रोहित ने सक्सेना को नहीं देखा इसलिए वह उसका नाम नहीं लेगा लेकिन उन दोनों का ले लेगा। इस कारण वह रोहित को गोली मार देता है। लेकिन वह सुरक्षा का इंतजाम पहले से किए रहता है। इस कारण वह बच जाता है।
उसके बाद भ्रष्ट अफसर सोनिया का अपहरण कर लेता है। लेकिन राज उसे बचाने में सफल हो जाता है। मलिक वहाँ आ जाता है और वो सक्सेना के बारे में सोनिया और राज को बताने वाला रहता है कि सक्सेना उसे गोली मार देता है। अमित बताता है कि मलिक किसी सरजी से फोन पर बात कर रहा था। राज मलिक के फोन से सरजी को फोन करता है। उसी समय सक्सेना का मोबाइल बजने लगता है। इसके बाद राज को सब कुछ समझ में आ जाता है। सक्सेना सबसे सामने अपना गुनाह काबुल कर लेता है।
सोनिया और राज, अमित को लेकर न्यूज़ीलैंड चले जाते हैं और वहीं उनकी सगाई भी हो जाती है।
संगीत राजेश रोशन द्वारा दिया गया है और गानों में नृत्य संयोजन फराह खान द्वारा किया गया है। यह एल्बम वर्ष की सबसे ज्यादा बिकने वाली एल्बम थी।
कहो ना प्यार है | ||||
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संगीत राजेश रोशन द्वारा | ||||
जारी | 1 दिसम्बर 1999 | |||
संगीत शैली | ||||
भाषा | हिन्दी | |||
लेबल | सारेगामा | |||
निर्देशक | राकेश रोशन | |||
निर्माता | राकेश रोशन | |||
राजेश रोशन कालक्रम | ||||
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गीत | गायक | अवधि | गीतकार |
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"कहो ना प्यार है" | उदित नारायण, अलका याज्ञिक | 7:01 | इब्राहिम अशक |
"ना तुम जानो ना हम" | लकी अली | 6:18 | इब्राहिम अशक |
"प्यार की कश्ती में" | उदित नारायण, अलका याज्ञिक | 5:54 | सावन कुमार तक |
"जानेमन जानेमन" | आशा भोंसले | 5:11 | सावन कुमार तक |
"चाँद सितारे" | कुमार सानु, अलका याज्ञिक | 6:33 | सावन कुमार तक |
"सितारों की मेहफिल में गूँजेगा ताराना", "दिलवालो दिल मेरा सुनने को बेकरार है" | बाबुल सुप्रियो | 7:56 | इब्राहिम अशक |
"कहो ना प्यार है (दुखद संस्करण)" | उदित नारायण | 1:06 | इब्राहिम अशक |
"एक पल का जीना" | लकी अली | 6:36 | विजय अकेला |
"बीलिव इन लव (थीम संगीत)" | वाद्य संगीत | 3:58 |
कहो ना प्यार है फिल्म में पहले करीना कपूर खान को कास्ट किया गया था। करीना की माँ बबीता का राकेश रोशन से कोई मतभेद हुआ और करीना ने वो फिल्म छोड़ दी। फिर राकेश जी ने एक नयी लड़की को कास्ट कर शुटिँग शुरू की। इस प्रकार ये फिल्म करीना की डेब्यु फिल्म न होकर अमीषा की डेब्यु फिल्म हुई।
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