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एचएएल हल्का लड़ाकू हेलीकाप्टर (एल सी एच) एक बहु भूमिका हेलीकाप्टर है जिसे हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा भारत में भारतीय वायु सेना और भारतीय थलसेना द्वारा इस्तेमाल के लिए विकसित किया जा रहा है।
एचएएल हल्का लड़ाकू हेलीकाप्टर | |
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प्रकार | हल्का लड़ाकू हेलीकाप्टर |
उत्पत्ति का देश | भारत |
उत्पादक | हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड |
प्रथम उड़ान | 29 मार्च 2010 |
आरंभ | विकास जारी है (उड़ान परीक्षण) |
स्थिति | विकास जारी है (उड़ान परीक्षण) |
प्राथमिक उपयोक्ता | भारतीय थलसेना, भारतीय वायुसेना |
निर्मित इकाई | 2 |
से विकसित किया गया | ध्रुव हैलीकॉप्टर |
२००६ में एचएएल ने हलके लड़ाकू हेलीकाप्टर बनाने की योजना की प्रारंभिक घोषणा की। भारतीय थलसेना और भारतीय वायु सेना की जरूरतों को पूरा करने हेतु रूप-रेखा और विकास के लिए कोष को अक्तूबर २००६ में मंजूर किया गया। चूंकि यह एक सफल और सिद्ध ध्रुव डिजाइन पर आधारित है, लड़ाकू हेलीकाप्टर की परियोजना लागत मात्र १९४.५ करोड़ डॉलर (रु ३.७६ अरब) होने की संभावना है।[1]
इसके पहले प्रोटोटाइप का, ४ फ़रवरी २०१० को, सफलतापूर्वक उडान परीक्षण किया गया। एचएएल भारतीय वायु सेना को ६५ और भारतीय थलसेना को ११४ हल्के लड़ाकू हेलीकाप्टरों की आपूर्ति करेगा। एचएएल ने अपने स्वदेश निर्मित और विकसित एल सी एच की पहली उड़ान का प्रदर्शन एचएएल हेलीकाप्टर परिसर से किया। एल सी एच के पहले प्रौद्योगिकी प्रदर्शक (Technology Demonstrator) TD-1 ने २९ मार्च २०१० को बंगलौर में २० मिनट की उड़ान भरी। चालक दल की रिपोर्ट है कि हेलिकॉप्टर और प्रणालियों का प्रदर्शन उत्तम था।
हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड ध्रुव मञ्च पर आधारित हल्के लड़ाकू हेलीकाप्टरों को भारतीय सशस्त्र बलों के लिए विकसित कर रहा है। इसमे ठूंठ पंख होन्गे जो आठ कवच विरोधी मिसाइलों, चार हवा से हवा मारक मिसाइलों या चार ७० या ६८ एमएम रॉकेट बजिकोष ले जाने के लिये उपयुक्त होगा। ध्रुव (अग्रेषित इन्फ्रारेड तलाश), सीसीडी (प्रभारी युग्मित डिवाइस) कैमरा और थर्मल दृष्टि और लेजर रेंज फाइंडर से युक्त होगा। इसमें उड़ान गोपनीयता विशेषताओं, रात्रि संचालन और उच्च दुर्घटना उत्तरजीविता की क्षमता है।[1] इसे धीमी गति से उड़ते हवाई लक्ष्य, दुश्मन वायु रक्षा संचालन के विनाश, पैदल सेना विध्वंसक और कवच (टैंक) रोधी भूमिका में तैयार किया जा रहा है और इसके हथियार उच्च ऊंचाई (१६३०० फीट) पर काम कर सकेंगे। एचएएल ६५ हल्के लड़ाकू हेलीकाप्टरों की आपूर्ति भारतीय वायुसेना और ११४ की आपूर्ति भारतीय थलसेना को करेगा[2][3]. यह एचएएल Turbomeca Shakti turboshaft इंजन द्वारा संचालित है। हेलीकाप्टर को हेलमेट (शिरस्राण) निर्देशित लक्ष्यीकरण प्रणाली, इलेक्ट्रानिक युद्ध प्रणाली और उन्नत हथियार प्रणालियों से लैस किया जाएगा.
एल सी एच ने अपनी पहली उड़न २९ मार्च २०१० को एवं दूसरी उडान अप्रैल २८ २०१० को ३:३० बजे भरी। [4] अधिकारिक सुचना के अनुसार २० से ज्यादा उड़ाने सफलतापूर्वक भरी जा चुकी हैं और हेलीकाप्टर को विभिन्न मापदंडो पर विस्तारपूर्वक परखा जा चूका है। प्रथम प्रोटोटाइप का ५० घंटो से ज्यादा का परीक्षण उड़ान हो चुका है एवं दुसरे का हथियार एवं सहयोगी प्रणाली परीक्षण चल रहा है। दो प्रोटोटाइप और बनाये जा रहें है ताकि इसका भारतीय वायुसेना में २०१२ तक अधिष्ठापन हो जाये.
Defense Update[5] से डेटा
सामान्य लक्षण
प्रदर्शन
अस्र-शस्र
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