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2003 की डेविड धवन की फ़िल्म विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
एक और एक ग्यारह 2003 में बनी हिन्दी भाषा की कॉमेडी फ़िल्म है। इसके निर्देशक डेविड धवन हैं और इसमें गोविन्दा और संजय दत्त जैसे दिग्गज कलाकार हैं।[1] यह बॉक्स ऑफिस पर औसत कारोबार दर्ज की थी।
एक और एक ग्यारह | |
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एक और एक ग्यारह का पोस्टर | |
निर्देशक | डेविड धवन |
लेखक |
संवाद: अमन जाफरी भोलू ख़ान |
निर्माता | सुभाष घई |
अभिनेता |
गोविन्दा, संजय दत्त, जैकी श्रॉफ, अमृता अरोरा, नंदिनी सिंह, गुलशन ग्रोवर |
संगीतकार | शंकर-एहसान-लॉय |
प्रदर्शन तिथियाँ |
28 मार्च, 2003 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
सितारा (संजय दत्त) और तारा (गोविन्दा) दोनों भाई रहते हैं और एक दूसरे से बहुत प्यार करते रहते हैं। बचपन में ही उनकी माँ उन्हें सिखाती है कि दो लोग आपस में मिल जाएँ तो वे लोग ग्यारह के बराबर हो जाते हैं। वे लोग इसे ही अपना नियम बना लेते हैं और छोटे-मोटे अपराध करते रहते हैं। एक दिन पुलिस उन दोनों का पीछा करते रहती है और उसी दौरान वे लोग एक बहुत ही बड़े अपराधी कोबरा (आशीष विद्यार्थी) को अनजाने में पकड़ कर पुलिस वालों से बोलते हैं कि वो उन्हें जाने दें, नहीं तो इसे मार देंगे। इसी बीच उन लोगों से गलती से गोली चल जाती है और वो गोली कोबरा के पैर पर लग जाती है, जिससे पुलिस वाले कोबरा को पकड़ लेते हैं और जेल में डाल देते हैं।
वे लोग पुलिस से बचते हुए मेजर राम सिंह (जैकी श्रॉफ) के घर तक आ जाते हैं। वे लोग उसके घर में काम करने वाले नौकर को पैसे का लालच देकर घर की सारी जानकारी ले लेते हैं और किसी तरह अपने रहने का इंतजाम कर लेते हैं। कोबरा का भाई, पैंथर (गुलशन ग्रोवर) अपने चेहरे को मेजर राम सिंह की तरह बना कर कोबरा के साथ नए आधुनिक गन की चोरी करने आता है, पर गन लेकर जाते समय ही असली मेजर राम वहाँ आ जाता है। वो किसी तरह पैंथर को पकड़ लेता है और अपनी निगरानी में रख लेता है। जब तारा और सितारा के बारे में मेजर राम सिंह को पता चलता है तो वो उन्हें रुकने की अनुमति नहीं देता है और तारा सितारा जाने लगते हैं।
पैंथर को छुड़ाने के लिए कोबरा अपने आदमियों से मेजर राम के बेटे का अपहरण करने को कहता है। जब उसका बेटा अपने गाड़ी में बैठ कर स्कूल जाते रहता है कि तभी कोबरा के गुंडे आ जाते हैं और जब वे लोग अपहरण करने वाले होते हैं कि तभी तारा और सितारा भी वहाँ आ जाते हैं और वे लोग उन गुंडों से राम के बेटे को बचा लेते हैं। जब ये बात राम को पता चलती है तो वो उन दोनों को अपने घर में रहने की अनुमति दे देता है।
उस घर में रहते हुए उन दोनों को प्रीति और पिंकी से प्यार हो जाता है। प्रीति और पिंकी को भी उन दोनों से प्यार हो जाता है। पर इसके बाद उन्हें टीवी से पता चलता है कि कोबरा फरार हो चुका है। जल्द ही उन्हें पता चलता है कि उनकी माँ को कोबरा ने अपहरण कर कहीं छुपा दिया है। वो अब उन दोनों से किसी तरह पैंथर को बाहर करने में मदद करने बोलता है। वे दोनों उसकी मदद करते हैं और पैंथर जेल से बाहर हो जाता है। बदले में कोबरा उनकी माँ को वापस कर देता है।
राम सिंह को लगता है कि तारा और सितारा ने उसे बेवकूफ बनाया है। तारा और सितारा टीवी में देखते हैं कि राम सिंह और उनका पूरा परिवार दुःखी है कि उन लोगों ने अनजान लोगों पर इतना विश्वास कर लिया। उन दोनों को अपनी भूल का एहसास होता है और वे दोनों राम सिंह के घर चले जाते हैं और उसे बताते हैं कि उनकी माँ का कोबरा ने अपहरण कर लिया था और बदले में पैंथर को छुड़ाने को कहा था। राम सिंह उन दोनों को माफ कर देता है। वे लोग अब उन अपराधियों को पकड़ने चले जाते हैं और अंत में सफल भी हो जाते हैं।
सभी गीत समीर द्वारा लिखित; सारा संगीत शंकर-एहसान-लॉय द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "तेरी मोहब्बत बेईमान मोहब्बत" | शंकर महादेवन, केके, गायत्री गांजावाला | 4:50 |
2. | "एक और एक ग्यारह" | शंकर महादेवन, सोनू निगम | 5:02 |
3. | "एक और एक ग्यारह" (रीमिक्स) | सोनू निगम, शंकर महादेवन | 6:05 |
4. | "एक और एक ग्यारह" (दुखी) | उदित नारायण | 1:00 |
5. | "मैं जोगिया मैं जोगिया" | उदित नारायण, स्नेहा पंत, शंकर महादेवन | 5:32 |
6. | "ओ दुश्मना ओ दुश्मना" | सौम्या राव, गोविन्दा, सोनू निगम | 6:40 |
7. | "थोड़ा थोड़ा सोने का रंग" | स्नेहा पंत, उदित नारायण | 5:42 |
8. | "ये मन मेरा बड़ा ही छलिया" | अभिजीत, बाबुल सुप्रियो | 5:30 |
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