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Vigyan aur praudyogiki paper 2 विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
उपग्रह प्रक्षेपण यान या एसएलवी (SLV) परियोजना भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा 1970 के दशक में शुरू हुई परियोजना है जो उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए की गयी थी। उपग्रह प्रक्षेपण यान परियोजना एपीजे अब्दुल कलाम की अध्यक्षता में की गयी थी। उपग्रह प्रक्षेपण यान का उद्देश्य 400 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचना और 40 किलो के पेलोड को कक्षा में स्थापित करना था।[2] अगस्त 1979 में एसएलवी-3 की पहली प्रायोगिक उड़ान हुई, परन्तु यह विफल रही।[3]
उपग्रह प्रक्षेपण यान | |
कार्य | छोटा प्रक्षेपण यान |
---|---|
निर्माता | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन [1] |
मूल देश | भारत[1] |
आकार | |
ऊंचाई | 22 मीटर (72 फीट) |
व्यास | 1 मीटर (3.3 फीट) |
द्रव्यमान | 17,000 किलोग्राम (37,000 पौंड) |
क्षमता | |
400km LEO का पेयलोड |
40 किलोग्राम (88 पौंड)[1] |
संबंधित रॉकेट | |
व्युत्पत्तियां | संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (ASLV),
ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV), भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV) भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान एम.के. 3 (GSLV MK3) |
लॉन्च इतिहास | |
वर्तमान स्थिति | अवकाश प्राप्त[1] |
लॉन्च स्थल | सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र[1] |
कुल लॉन्च | 4 |
सफल लॉन्च | 2 |
असफल परीक्षण | 1 |
आंशिक असफल परीक्षण | 1 |
प्रथम उड़ान | 10 अगस्त 1979[1] |
अंतिम उड़ान | 17 अप्रैल 1983[1] |
उल्लेखनीय पेयलोड | रोहिणी (उपग्रह)[1] |
प्रथम चरण | |
इंजन | 1 ठोस |
दबाव | 502.6 किलोन्यूटन (113,000 पौंड-बल) |
स्पेसिफ़िक इंपल्स | 253 सेकंड |
बर्न समय | 49 सेकंड |
ईंधन | ठोस |
द्वितीय चरण | |
इंजन | 1 ठोस |
दबाव | 267 किलोन्यूटन (60,000 पौंड-बल) |
स्पेसिफ़िक इंपल्स | 267 सेकंड |
बर्न समय | 40 सेकंड |
ईंधन | ठोस |
तीसरा चरण | |
इंजन | 1 ठोस |
दबाव | 90.7 किलोन्यूटन (20,400 पौंड-बल) |
स्पेसिफ़िक इंपल्स | 277 सेकंड |
बर्न समय | 45 सेकंड |
ईंधन | ठोस |
चौथा चरण | |
इंजन | 1 ठोस |
दबाव | 26.83 किलोन्यूटन (6,030 पौंड-बल) |
स्पेसिफ़िक इंपल्स | 283 सेकंड |
बर्न समय | 33 सेकंड |
ईंधन | ठोस |
यह चार चरण वाला ठोस प्रणोदक रॉकेट था।[3]
उपग्रह प्रक्षेपण यान का पहला प्रक्षेपण 10 अगस्त 1979 को श्रीहरिकोटा से हुआ। उपग्रह प्रक्षेपण यान का चौथे और अंतिम प्रक्षेपण 17 अप्रैल 1983 को हुआ।
सभी चार उपग्रह प्रक्षेपण यान को शार(SHAR) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के उपग्रह प्रक्षेपण यान लॉन्च पैड से लॉन्च किया गया।
उड़ान | लॉन्च की तारीख / समय (यूटीसी) | लांच पैड | पेलोड | पेलोड वजन | परिणाम | |
---|---|---|---|---|---|---|
ई1 | 10 अगस्त 1979 | उपग्रह प्रक्षेपण यान लॉन्च पैड | रोहिणी (उपग्रह)[4] | 35 किलोग्राम (77 पौंड) | असफलता[1] | |
दोषपूर्ण वाल्व के कारण वाहन लांच के 317 सेकंड के बाद बंगाल की खाड़ी में दुर्घटनाग्रस्त।[5] [6] | ||||||
ई2 | 18 जुलाई 1980 02:33 |
उपग्रह प्रक्षेपण यान लॉन्च पैड | रोहिणी (उपग्रह) | 35 किलोग्राम (77 पौंड) | सफलता[1] | |
डी1 | 31 मई 1981 | उपग्रह प्रक्षेपण यान लॉन्च पैड | रोहिणी (उपग्रह) | 38 किलोग्राम (84 पौंड) | असफलता[1] | |
व्यर्थ कम कक्षा में होने के कारण 9 दिनों के बाद नष्ट हुआ।[5] [तथ्य वांछित] [6] | ||||||
डी2 | 17 अप्रैल 1983 | उपग्रह प्रक्षेपण यान लॉन्च पैड | रोहिणी (उपग्रह) | 41.5 किलोग्राम (91 पौंड) | सफलता | |
अपनी आखिरी उड़ान के 33 साल बाद उपग्रह प्रक्षेपण यान की पांचवीं उड़ान 23 मई 2016 को हुई। इसके पहले चरण के लॉन्चर का एक संशोधित संस्करण का प्रयोग हेक्स-1 पुन: प्रयोज्य लॉन्च वाहन टेक्नोलॉजी प्रदर्शक को 10 मिनट में 70 किलोमीटर की ऊंचाई पर ले जाने में किया गया।
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