उपकार (1967 फ़िल्म)

हिन्दी भाषा में प्रदर्शित चलवित्र विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश

उपकार (1967 फ़िल्म)

उपकार 1967 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है जिसका निर्देशन मनोज कुमार ने किया है। इसी फ़िल्म से मनोज कुमार की भारत कुमार की छवि बनी थी। इस फ़िल्म को छ: फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।

सामान्य तथ्य उपकार, निर्देशक ...
उपकार
Thumb
उपकार का पोस्टर
निर्देशक मनोज कुमार
लेखक मनोज कुमार
निर्माता हरकिशन आर. मीरचंदानी
आर. ऍन. गोस्वामी
अभिनेता आशा पारेख,
मनोज कुमार,
प्रेम चोपड़ा,
कन्हैया लाल,
प्राण,
डेविड अब्राहम,
मनमोहन कृष्णा,
मदन पुरी,
अरुणा ईरानी,
सुन्दर,
असित सेन,
मोहन चोटी,
शम्मी,
लक्ष्मी छाया,
महेश,
मनमोहन,
छायाकार वी. ऍन. रेड्डी
संपादक बी. ऍस. ग्लाड
संगीतकार

कल्याणजी-आनन्दजी

(संगीतकार)
गुलशन बावरा, इन्दीवर, प्रेम धवन एवं क़मर जलालाबादी (गीतकार)
निर्माण
कंपनियां
राजकमल कलामंदिर
गुरुदत्त कमल स्टूडियोज़
महबूब स्टूडियोज़
प्रदर्शन तिथि
1967
देश भारत
भाषा हिन्दी
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संक्षेप

फिल्म की कहानी राधा (कामिनी कौशल) और उसके दो पुत्रों भारत (मनोज कुमार) व पूरन (प्रेम चोपड़ा) की कहानी है। कहानी शुरू होती है हरियाणा के गांव अटाली (बल्लभगढ़) से , राधा ग्रामीण महिला है जो अपने परिवार को खुशहाल देखना चाहती है। उसकी इच्छा अपने पुत्रों को पढ़ा-लिखा कर बड़ा आदमी बनाने की है। परन्तु वह दोनों की पढ़ाई का भार वहन नहीं कर पाती है। भारत ख़ुद की पढ़ाई रोक कर पूरन को पढ़ने के लिए शहर भेजता है। पूरन जब शिक्षा पूरी करके वापस आता है तो उसे आसान पैसा कमाकर खाने की आदत पड़ जाती है और इसमें उसका भागीदार होता है चरणदास (मदन पुरी), जो उसके परिवार में फूट डालने का कार्य भी करता है। वह चरणदास ही था जिसने उनके पिता को मारा था। चरणदास आग में घी का काम करता है और पूरन को जायदाद के बँटवारे के लिए उकसाता है। पापों की गर्त तले धँसा पूरन जायदाद के बँटवारे की माँग करता है। भारत स्वेच्छा से सारी सम्पत्ति छोड़ कर भारत-पाक युद्ध में लड़ने चला जाता है, जबकि पूरन एक ओर तो अनाज की कालाबाजारी तथा तस्करी का धंधा करता है और दूसरी ओर सीधे सादे गाँव वालों को मूर्ख बनाता है।
लड़ाई में भारत दुश्मन के हाथों ज़ख़्मी हो जाता है और पकड़ा जाता है लेकिन किसी तरह दुश्मन को चकमा देकर अपने गाँव की तरफ़ ज़ख़्मी हालत में है निकल पड़ता है। रास्ते में चरणदास ज़ख़्मी भारत को मारने का षड्यंत्र रचता है, परन्तु मलंग चाचा (प्राण), जो कि विकलांग है, उसको बचा लेता है और ख़ुद घायल हो जाता है। घायल भारत और मलंग चाचा को बचाने में डॉक्टर कविता (आशा पारेख) महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उधर पूरन को भी गिरफ़्तार कर लिया जाता है। उसको  अपनी ग़लती का अहसास हो जाता है और वह गोरख धंधा करने वालों को पकड़वाने में सरकार की सहायता करता है।

चरित्र

मुख्य कलाकार

दल

संगीत

इस फ़िल्म के संगीतकार कल्याणजी-आनन्दजी हैं और गीतकार गुलशन बावरा, इन्दीवर, प्रेम धवन एवं क़मर जलालाबादी हैं।

अधिक जानकारी गीत, गायक/गायिका ...
फ़िल्म उपकार के गीत
गीतगायक/गायिकागीतकार
आई झूमके बसन्तआशा भोंसले, मन्ना डे, महेन्द्र कपूरप्रेम धवन
दीवानों से ये मत पूछोमुकेशक़मर जलालाबादी
गुलाबी रात गुलाबी गुलाबीआशा भोंसलेइन्दीवर
हर ख़ुशी हो वहाँलता मंगेशकरगुलशन बावरा
कसमें वादे प्यार वफ़ामन्ना डेइन्दीवर
मेरे देश की धरतीमहेन्द्र कपूरगुलशन बावरा
पीली पीली सरसोंआशा भोंसले, शमशाद बेगम, मन्ना डे, महेन्द्र कपूर, मोहन चोटी, सुन्दरप्रेम धवन
ये कैसी रातमोहम्मद रफ़ीइन्दीवर
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रोचक तथ्य

देश भक्ति के अा

इस फिल्म की ज्यादातर शूटिंग हरियाणा के गांव अटाली (बल्लभगढ़) में हुई. फिल्म यूनिट ने फिल्मांकन के लिए गढ़खेड़ा गांववासियों (अटाली गांव के पास) से बैलगाड़ी और हल उधार लिए थे.

परिणाम

बौक्स ऑफिस

यह फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस में सुपर हिट रही थी।

समीक्षाएँ

नामांकन और पुरस्कार

फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार

जीते

नामांकित

===राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार

  • वर्ष की दूसरी सबसे अच्छी फ़िचर फ़िल्म (हिन्दी) - हरकिशन आर. मीरचंदानी
  • सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार - महेन्द्र कपूर (मेरे देश की धरती गीत के लिए)

बाहरी कड़ियाँ

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