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उत्तराखण्ड का जिला विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
उधमसिंहनगर भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है। जिले का मुख्यालय रुद्रपुर है। इस जिले के काशीपुर , खटीमा , सितारगंज ,किच्छा, जसपुर ,बाजपुर ,गदरपुर , रुद्रपुर और नानकमत्ता नाम की ९ तहसीलें हैं
उधमसिंह नगर | |||||
— जिला — | |||||
निर्देशांक: (निर्देशांक ढूँढें) | |||||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||||
देश | भारत | ||||
राज्य | उत्तराखंड | ||||
नगर पालिका अध्यक्ष | |||||
जनसंख्या • घनत्व |
9,15,000 (1991) (2001 के अनुसार [update]) | ||||
क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) |
3,055 km² (1,180 sq mi) • 550 मीटर (1,804 फी॰) | ||||
विभिन्न कोड
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आधिकारिक जालस्थल: www.usnagar.nic.in/ |
उधमसिंह नगर पहले नैनीताल जिले में था। लेकिन अक्टूबर १९९५ में इसे अलग जिला बना दिया गया। इस जिले का नाम स्वर्गीय उधम सिंह के नाम पर रखा गया है। उधम सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे। जलियांवाला बाग हत्याकांड के मुख्य अंग्रेज अफ़सर जनरल डायर की हत्या इन्होंने ही की थी
इस जगह को गोविषाण के नाम से भी जाना जाता है। हर्ष काल (606-647 ईसवीं) के दौरान, यून-च्वांग (631-641 ईसवीं) इस जगह घूमने के लिए आए थे। काशीपुर का नाम काशीनाथ अधिकारी के नाम पर रखा गया था। काशीनाथ अधिकारी ने ही इस स्थान की स्थापना की थी। प्रसिद्ध कवि गुमानी ने इसी जगह पर अनेक कविताएं लिखी है। यह जगह गिरीतल और द्रोणा सागर के साथ-साथ पंड़ावों के लिए भी जानी जाती है। काशीपुर में लगने वाला चैती मेला भी काफी प्रसिद्ध है। वर्तमान समय में काशीपुर प्रमुख औद्योगिक शहरों के लिए जाना जाता है। सर्दियों में यहां का नजारा काफी अद्भुत होता है।
पूर्णागिरी मंदिर शक्तिपीठ के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान टनकपुर से 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर पर्वत के सबसे ऊंचे हिस्से में है। हर साल काफी संख्या में श्रद्धालु पूर्णागिरी के दर्शन के लिए आते हैं। नवरात्र के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है।
इस मंदिर में अटरिया माता की पूजा की जाती है। हर साल काफी संख्या में भक्तगण इस मंदिर में आते हैं। नवरात्रों के अवसर पर यहां दस दिनों के मेले का कार्यक्रम होता है। अटरिया मंदिर रुद्रपुर-हल्द्वानी मार्ग से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
गिरी सरोवर बहुत ही खूबसूरत झील है। यह जगह पिकनिक स्थल के रूप में भी जानी जाती है। गिरी सरोवर काशीपुर-रामनगर मार्ग पर स्थित है। जो कि लगभग दो किलोमी. की दूरी पर स्थित है।
चैती मंदिर का नाम माता चैती देवी ने नाम पर रखा गया है। इसे माता बालासुन्दरी मन्दिर भी कहा जाता है और यह इक्यावन शक्तिपीठ में आता है। यह मंदिर उधमसिंह नगर के प्रमुख स्थानों में से एक है। मार्च माह के अवसर पर यहां चैती मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले का आयोजन बहुत बड़े स्तर पर किया जाता है। नवरात्रों के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु चैती देवी के दर्शनों के लिए यहां पर आते हैं। यह मंदिर काशीपुर-बाजपुर मार्ग पर स्थित है जो कि काशीपुर बस स्टैंड से 2.5 किलोमीटर की दूरी पर है।
यह बहुत ही बड़ा धाम है। नानक माता का निर्माण सरयू नदी पर किया गया है। नानक माता धाम केवल धाम नहीं है बल्कि यह जगह पिकनिक स्थल के रूप में जानी जाती है। यहां का शांत वातावरण और झीलों से बहता पानी इस स्थान की खूबसूरती को ओर अधिक बढ़ाता है। यहां बोटिंग का भी मजा लिया जा सकता है। यह धाम रुद्रपुर से 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी इस जगह पर घूमने के लिए आए थे। उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम नानक माता रखा गया। नानक माता सिखों के प्रमुख धार्मिक स्थानों में से एक है। यह बहुत ही खूबसूरत गुरूद्वारा है। इसके सामने ही नानक माता धाम है। प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में भक्तगण इस जगह पर आते हैं। नानक माता में ही टूरिंस्ट रेस्ट हॉउस की सुविधा भी उपलब्ध है। इसके अलावा श्रद्धालुओं के लिए गुरूद्वार में रहने की सुविधा भी उपलब्ध है। नानक माता रुद्रपुर - टनकपुर मार्ग पर स्थित है। यह स्थान रुद्रपुर से 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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