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1954 की गुरु दत्त की फ़िल्म विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
आर-पार 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। इसमें गुरु दत्त, श्यामा और शकीला मुख्य भूमिकाओं में हैं। संगीत ओ॰ पी॰ नय्यर का है और मजरुह सुल्तानपुरी के गीत हैं।
आर-पार | |
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निर्देशक | गुरु दत्त |
लेखक | अबरार अलवी (संवाद) |
पटकथा | नबेन्दु घोष |
निर्माता | गुरु दत्त |
अभिनेता |
गुरु दत्त, श्यामा, शकीला, जॉनी वॉकर |
संगीतकार | ओ॰ पी॰ नय्यर[1] |
प्रदर्शन तिथि |
1954 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
कालू बम्बई भारत में एक टैक्सी-चालक है। उसकी दो महिला-मित्र हैं जो उससे प्यार करती हैं और उससे शादी करना चाहती हैं। लेकिन कालू पहले खुद को स्थापित करना चाहता है और अमीर बनना चाहता है।
इससे पहले वह शादी के बारे में नहीं सोचना चाहता है। उन महिलाओं में से एक का पिता गैंगस्टर-प्रकार की गतिविधियों में शामिल है। वह चाहता है कि कालू भी उसके साथ जुड़ जाए ताकि वह जल्द ही अमीर हो सके। कालू को अब जल्दी अमीर बनने या अपने ज़मीर के बारे में सोचना पड़ता है।
सभी गीत मजरुह सुल्तानपुरी द्वारा लिखित; सारा संगीत ओ॰ पी॰ नय्यर द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
---|---|---|---|
1. | "मोहब्बत कर लो जी भर लो" | मोहम्मद रफी, गीता दत्त | 3:38 |
2. | "जा जा जा बेवफ़ा" | गीता दत्त | 3:22 |
3. | "कभी आर कभी पार" | शमशाद बेगम | 3:11 |
4. | "सुन सुन सुन ज़ालिमा" | मोहम्मद रफी, गीता दत्त | 2:52 |
5. | "बाबूजी धीरे चलना" | गीता दत्त | 3:27 |
6. | "ये लो मैं हारी पिया" | गीता दत्त | 3:10 |
7. | "हूँ मैं अभी जवां" | गीता दत्त | 3:20 |
8. | "ना ना ना तौबा तौबा" | मोहम्मद रफी | 3:03 |
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