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आधुनिक संस्कृत लेखक

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दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत का प्राचीन साहित्य तो विपुल रूप से समृद्ध है ही, किन्तु आधुनिक काल में भी संस्कृत कवियों और लेखकों की संख्या कम नहीं है। जहाँ एक ओर संस्कृत पत्र-पत्रिकाएँ, यहाँ तक कि दैनिक समाचार पत्र तक संस्कृत में प्रकाशित हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अनेकानेक कवि-लेखक इस भाषा में निरन्तर कविता, नाटक, कहानी, उपन्यास आदि लिख कर संस्कृत को 'मातृभाषा' कहने वालों को रचनात्मक स्तर पर चुनौती दे रहे हैं।

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संस्कृत लेखन की अजस्र परम्परा

आसाम और दक्षिण भारत के कुछ गांवों में तो संस्कृत ही आम-बोलचाल की भाषा है। अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं और व्यक्तियों के प्रयासों से सुव्यवस्थित संस्कृत संभाषण प्रशिक्षण के बाद अनेक गाँवों में लोगों की आपसी बोलचाल की भाषा संस्कृत बन चुकी है। ऐसे गाँव यकीनन कम हैं पर इन अपवाद गाँवों में दैनिक जीवन का सम्पूर्ण वार्तालाप सिर्फ संस्कृत में ही किया जा रहा है। ऐसे ही ग्रामों में सबसे महत्वपूर्ण नाम है कर्नाटक के मुत्तुर व होसहल्ली और मध्यप्रदेश के झिरी गाँव का, जहाँ सही अर्थों में संस्कृत जन-जन की भाषा बन चुकी है। इन ग्रामों में लगभग 95 प्रतिशत लोग संस्कृत में ही वार्तालाप करते हैं। मुतरु, होसहल्ली व झिरी के अलावा मध्यप्रदेश के मोहद और बधुवार तथा राजस्थान के गनोडा भी ऐसे ग्राम हैं, जहाँ दैनिक जीवन का अधिकांश वार्तालाप संस्कृत में ही किया जाता है।

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संस्कृत साहित्य : वर्तमान परिदृश्य

वर्तमान समय में भारत के सभी प्रदेशों में समान रूप से संस्कृत के ग्रन्थ लिखे और पढ़े जा रहे हैं। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली ने जो सूची प्रकाशित की है, अकेले उसमें १६८० से ज्यादा आधुनिक संस्कृत कृतियाँ उल्लेखित हैं।[1]

सारांश
परिप्रेक्ष्य

संस्कृत की पुस्तकें

संस्कृत के आधुनिक साहित्यकारों द्वारा लिखित सभी पुस्तकों का परिचय यहां देना संभव नहीं है पर कुछ बहुचर्चित कृतियों की जानकारी निम्नानुसार है:

अधिक जानकारी क्रमांक, साहित्यकार का नाम ...
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इन्हें भी देखें

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