अर्जुन दास
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अर्जुन दास १६वीं शताब्दी के ओड़िया कवि थे। उन्होंने "रामबिबाह" नामक प्रथम ओड़िया छन्दोबद्ध काव्य की रचना की।
जीवनी
आर्त्तबल्लभ महान्ति के मत से अर्जुन दास का आबिर्भाब १५२० ई० से १५३० ई० के मध्य हुआ होगा।
रचनाबली
काव्य
रामबिभा ओड़िया भाषा का प्रथम काव्य है जो छन्दबद्ध है।
काव्य | छन्द संख्या | बाणी |
---|---|---|
रामबिभा | ४ | मङ्गळ धनाश्री मेढ़तोळा |
रामबिभा | १० | पिअर गमन |
रामबिभा | ८ | मेढ़तोळा |
कल्पलता | ३ | जय दामोदर |
कल्पलता | ४ | बसन्त भइरब |
कल्पलता | ८ | मुनिबर |
कल्पलता | १० | श्रीरामचन्द्र बरिले |
कल्पलता | १२ | पिअर जननी निज मन्दिरे मिळिले |
कल्पलता | १३ | दशरथ राये घरे मिळिले |
सन्दर्भ
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