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हिन्दी भाषा में प्रदर्शित चलवित्र विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
अग्निपथ 2012 में बनी हिन्दी फ़िल्म है जिसका निर्माण करण जोहर द्वारा किया गया है। यह १९९० में बनी इसी नाम की फ़िल्म का रीमेक है। फ़िल्म में ऋतिक रोशन ने मुख्य किरदार विजय दीनानाथ चौहान की भूमिका में है जिसे पहले अमिताभ बच्चन ने अदा किया था। संजय दत्त मुख्य गुंडे की भूमिका में है। अग्निपथ को २६ जनवरी २०१२ को रिलीज़ किया गया और समीक्षकों द्वारा काफ़ी सराहा गया।
अग्निपथ | |
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पोस्टर | |
निर्देशक | करण मल्होत्रा |
पटकथा |
इला दत्ता बेदी करण मल्होत्रा |
निर्माता | करण जोहर |
अभिनेता |
ऋतिक रोशन प्रियंका चोपड़ा संजय दत्त ऋषि कपूर |
छायाकार |
किरण देओहंस रवि चंद्रन |
संपादक | अकिव अली |
संगीतकार | अजय-अतुल |
वितरक | धर्मा प्रोडक्शंस |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
लागत | ₹62 करोड़ (US$9.05 मिलियन)[1] |
कहानी महाराष्ट्र के मंडवा द्वीप पर शुरू होती है। गाँव के स्कुल मास्टर दीनानाथ चौहान (चेतन पंडित) जिन्हें गांववाले बहुत मानते है, गाँव वालो को अपनी ज़मीन कांचा चीना (संजय दत्त), जों गाँव के मुखिया का बेटा है और नशीली पदार्थों का माफिया शुरू करना चाहता है, के यहाँ गिरवी रखने से मन करते है। वह बादमें दीनानाथ चौहान पर एक शिष्या के साथ बलात्कार करने का आरोप लगाता है और सभी लोगों के सामने उसे बरगद के पेड से लटका कर मार देता है। इसके चलते बारह साल का विजय और उसकी माँ गाँव छोड़ कर मुंबई पहुँच जाते है जहां उसकी माँ एक बेटी को जन्म देती है। मुम्बई में बिजय कांचा को देखता है और कई हालातों के चलते रौफ लाला (ऋषि कपूर) का साथी बन जाता है क्योंकि रौफ और कांचा एक दूसरे के कट्टर दुश्मन है। विजय लाला की मदद से और ताकद्वर बनने की कोशिश करता है।
पन्द्रह साल बाद लाला अकेला ड्रग्स का शहंशाह बन जाता है और लड़कियों को बेचने का धंदा भी जारी रखता है। पुलिस अफसर गायतोंडे (ओम पुरी) कांचा को मुंबई में हस्तक्षेप करने से रोक देता है परन्तु लाला या विजय के खिलाफ पर्याप्त सबूत इकट्ठा नहीं पाता।
लाला का बेटा मज़हर लाला (राजेश टंडन) एक सनकी है जों अपने धंदे और व्यक्तिगत मसलों को हमेशा मिला देता है। मज़हर विजय से नफ़रत करता है क्योंकि उसकी लाला के धंदे पर मज़बूत पकड़ है। वह अपनी नाराजी लाला को बताता है पर लाला उसे समझाता है कि विजय को काम संभालने दे और वह केवल ध्यान रखे और सही वक्त आने पर विजय को मार दे।
विजय उन्हें धोखा देकर गृह मंत्री बोरकर (सचिन खेडेकर), जों कांचा का साथी है, को बंदी बना लेता है और फिरोती की मांग करता है। इसके साथ ही वह कांचा के अन्य एक साथी शांताराम को धमका कर खुदके और कांचा के बीच का आदमी बना देता है ताकि वह मांडवा से कोकेन मुंबई ला सके। वह लाला और मज़हर का भरोसा जितने की कोशिश करता है और मज़हर पर चली गोली खुद पर लेलेता है।
शादी की रात को मज़हर को जानकारी मिलती है कि गोली शांताराम ने चलाई थी और वह विजय को अपने साथ लेकर उसे मारने निकल पड़ता है। शांताराम मज़हर को मार देता है और बाद में विजय शांताराम को क्योंकि अब वह उसके किसी काम का नहीं रहा। लाला अपने बेटे को मरा देख कर बीमार पड़ जाता है और उसे अस्पताल में बेहोशी की हालत में भर्ती किया जाया है और विजय उसकी जगह ले लेता है। कांचा विजय को मांडवा में धंदे की बात करने के लिए बुलाता है। मांडवा में विजय कांचा के सामने अपना प्रस्ताव रखता है जिसके तहत वह मुंबई का अपना काम कांचा को देगा और बदले में मांडवा को रख लेगा। शुरुआत में कांचा हिचकिचाता है परन्तु बाद में कमिश्नर गायतोंडे को मारने की शर्त पर राज़ी हो जाता है।
दूसरी ओर मुंबई में लाला ठीक हो जाता है और उसे अपने बेटे की मौत की असलियत पता चल जाती है।। वह विजय की बहन शिक्षा (कनिका तिवारी) को बंदी बना लेता है और उसकी सरे आम बिकवाली करता है। विजय को कांचा इस बात की सुचना दे देता है और विजय मुंबई जा कर लाला और उसके आदमियों को हिजडों की मदद से मार देता है। ऐसा करके वह अपने परिवार के वापस करीब आ जाता है जिसने उसे लाला के साथ हाथ मिलाने पर रिश्ता तोड़ लिया था। कांचा अपने एक आदमी को (वही आदमी जिसने १५ साल पहले विजय के मांडवा वाले घर को आग लगा दी थी और शिष्या का बलात्कार करने वाला असली गुनाहगार) विजय पर नज़र रखने के लिए भेजता है और विजय को कमिश्नर के प्रति मुड़ता देख उसे कमिश्नर को मारने के लिए कहता है। जब वह आदमी कमिश्नर को मारने की कोशिश करता है तब विजय उसे गणपति विसर्जन के समय मार देता है। विजय की माँ सुहासिनी अखबार में खबर पढकर बताती है कि वह उस आदमी मांडवा के रहने वाले के रूप में को जानती थी और पुलिस के पास जाकर अपने और विजय को मांडवा वाला बताती है। पुलिस के बीच एक गद्दार यह बात कांचा को बता देता है। कमिश्नर विजय को कांचा के प्रति सचेत करता है। विजय अपने प्यार काली (प्रियंका चोपड़ा) से शादी कर लेता है जिसे उनकी शादी के दिन की कांचा के आदमी मार देते है।
विज्जु / विजय दीनानाथ चौहान ((हृतिक रौशन)) विजय अपने पिता और पत्नी के खून का बदला लेने मांडवा पहुँच जाता है पर कांचा उसकी माँ और बहन को पकड़ कर मांडवा ले आता है। एक आखरी लड़ाई में विजय घायल होने के बाद अपने पिता की बताई हुई कविता "अग्नीपथ" का उच्चारण करता है और कांचा को उसी बरगद के पेड से लटका कर मार देता है जिस पर उसके पिता को लटकाया गया था। आखिर में विजय अपनी माँ की गोद में दम तोड़ देता है और अपने बचपन की आखरी झलकियां देखता है।
फ़िल्म के सरे गाने अजय-अतुल की जोड़ी ने बनाए है जिनके बोल अमिताभ भट्टचार्य ने लिखे है।[2] "चिकनी चमेली" गाना मराठी फ़िल्म जत्रा के गाने "कोम्बडी पळाली (कोम्बडी पलाली) का हिन्दी रूपांतरण है जिसे अजय-अतुल ने ही बनाया था। इस गाने में कटरीना कैफ ने नृत्य किया है।[3]
गानों की सूचि | |||
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क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
1. | "गुन गुन गुना" | उदित नारायण, सुनिधि चौहान | 04:35 |
2. | "शाह का रुतबा" | सुखविंदर सिंह, आनंद राज आनंद, कृष्ण बुरा | 05:23 |
3. | "चिकनी चमेली" | श्रेया घोषाल | 05:05 |
4. | "अभी मुझ मैं कहीं" | सोनू निगम | 06:04 |
5. | "देवा श्री गणेशा" | अजय गोगावाले | 05:56 |
6. | "ओ सैय्याँ" | रूप कुमार राठोड | 04:38 |
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