अक्साई चिन
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अक्साई चिन या अक्सेचिन (उईग़ुर: ﺋﺎﻗﺴﺎﻱ ﭼﯩﻦ, सरलीकृत चीनी: 阿克赛钦, आकेसैचिन) चीन, पाकिस्तान और भारत के संयोजन में तिब्बती पठार के उत्तरपश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है। यह कुनलुन पर्वतों के ठीक नीचे स्थित है।[1] ऐतिहासिक रूप से अक्साई चिन भारत को रेशम मार्ग से जोड़ने का ज़रिया था और भारत और हज़ारों साल से मध्य एशिया के पूर्वी इलाकों (जिन्हें तुर्किस्तान भी कहा जाता है) और भारत के बीच संस्कृति, भाषा और व्यापार का रास्ता रहा है। POK का 5180 बर्ग किलोमीटर क्षेत्र पाकिस्तान ने चीन को गिफ्ट में दे दिया और चीन 38000 हज़ार बर्ग किलोमीटर क्षेत्र पहले से ही कब्ज़ा कर के बैठा है तो इस हिसाब से 43180 बर्ग किलोमीटर हो गया, तो अब भारत चीन से इतना ही एरिया वापस लेगा।
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अक्साई चिन
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पारम्परिक चीनी: | 阿克賽欽 | ||||||
सरलीकृत चीनी: | 阿克赛钦 | ||||||
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भारत से तुर्किस्तान का व्यापार मार्ग लद्दाख़ और अक्साई चिन के रास्ते से होते हुए काश्गर शहर जाया करता था।[2] १९५० के दशक से यह क्षेत्र चीन क़ब्ज़े में है पर भारत इस पर अपना दावा जताता है और इसे जम्मू और कश्मीर राज्य का उत्तर पूर्वी हिस्सा मानता है। अक्साई चिन जम्मू और कश्मीर के कुल क्षेत्रफल के पांचवें भाग के बराबर है। चीन ने इसे प्रशासनिक रूप से शिनजियांग प्रांत के काश्गर विभाग के कार्गिलिक ज़िले का हिस्सा बनाया है।
'अक्साई चिन' (ﺋﺎﻗﺴﺎﻱ ﭼﯩﻦ) का नाम उईग़ुर भाषा से आया है, जो एक तुर्की भाषा है। उईग़ुर में 'अक़' (ﺋﺎق) का मतलब 'सफ़ेद' होता है[3] और 'साई' (ﺴﺎﻱ) का अर्थ 'घाटी' या 'नदी की वादी' होता है।[4] उईग़ुर का एक और शब्द 'चोअल' (ﭼﯚل) है, जिसका अर्थ है 'वीराना' या 'रेगिस्तान', जिसका पुरानी ख़ितानी भाषा में रूप 'चिन' (ﭼﯩﻦ) था।[5][6] 'अक्साई चिन' के नाम का अर्थ 'सफ़ेद पथरीली घाटी का रेगिस्तान' निकलता है।[7] चीन की सरकार इस क्षेत्र पर अधिकार जतलाने के लिए 'चिन' का मतलब 'चीन का सफ़ेद रेगिस्तान' निकालती है, लेकिन अन्य लोग इसपर विवाद रखते हैं।
अक्साई चिन एक बहुत ऊंचाई (लगभग ५,००० मीटर) पर स्थित एक नमक का मरुस्थल है। इसका क्षेत्रफल ४२,६८५ किमी² (१६,४८१ वर्ग मील) के आसपास है। भौगोलिक दृष्टि से अक्साई चिन तिब्बती पठार का भाग है और इसे 'खारा मैदान' भी कहा जाता है। यह क्षेत्र लगभग निर्जन है और यहां पर स्थायी बस्तियां नहीं है। इस क्षेत्र में 'अक्साई चिन' (अक्सेचिन) नाम की झील और 'अक्साई चिन' नाम की नदी है। यहां वर्षा और हिमपात ना के बराबर होता है क्योंकि हिमालय और अन्य पर्वत भारतीय मानसूनी हवाओं को यहां आने से रोक देते हैं।
चीन ने जब १९५० के दशक में तिब्बत पर क़ब्ज़ा किया तो वहाँ कुछ क्षेत्रों में विद्रोह भड़के जिनसे चीन और तिब्बत के बीच के मार्ग के कट जाने का ख़तरा बना हुआ था। चीन ने उस समय शिंजियांग-तिब्बत राजमार्ग का निर्माण किया जो अक्साई चिन से निकलता है और चीन को पश्चिमी तिब्बत से संपर्क रखने का एक और ज़रिया देता है। भारत को जब यह ज्ञात हुए तो उसने अपने इलाक़े को वापस लेने का यत्न किया। यह १९६२ के भारत-चीन युद्ध का एक बड़ा कारण बना। वह रेखा जो भारतीय कश्मीर के क्षेत्रों को अक्साई चिन से अलग करती है 'वास्तविक नियंत्रण रेखा' के रूप में जानी जाती है। अक्साई चिन भारत और चीन के बीच चल रहे दो मुख्य सीमा विवाद में से एक है। चीन के साथ अन्य विवाद अरुणाचल प्रदेश से संबंधित है।
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