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2017 में बांग्लादेश, पाकिस्तान, भारत और नेपाल में मानसूनी बाढ़ विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
2017 में अत्यधिक मानसून की बारिश के कारण दक्षिण एशियाई देशों भारत, नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान में 4.1 करोड़ लोग विस्थापित हुए। कई हेक्टेयर कृषि भूमि बर्बाद हो गई। अकेले भारत में 600 लोगों की और कुल 1,200 लोगों की मौत हो गई।
मानसूनी वर्षा दक्षिण एशिया में हर वर्ष जून से सितम्बर के बीच आती है। यह इलाके के कई किसानों के लिये सिंचाई का मुख्य स्रोत है और इन देशों में अच्छी वर्षा बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन 2017 का मानसून अनियमित रहा और कई जगह भारी वर्षा के कारण नदियाँ उफान पर आ गई। इन इलाकों में अभी तक 1,200 लोगों की मौत हो चुकी है और कई हेक्टेयर कृषि भूमि बर्बाद हो चुकी है।[1] यूनिसेफ के अनुसार 4.1 करोड़ लोग अपने क्षेत्र से विस्थापित हो गए जिसमें से अकेले 3.21 करोड़ भारत से है।[2]
1 सितम्बर को आईएफ़आरसी और आरसीएस ने इसे चार सदियों का सबसे खतरनाक बाढ़ कहा है। जिसने बांग्लादेश के एक तिहाई भाग को अपने चपेट में ले लिया है। इस बाढ़ से उत्तरी, उत्तर-पूर्वी इलाका सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। चक्रवात जिस समय सबसे ज्यादा ताकतवर था, उस दौरान कई सप्ताह में लगातार गिरने वाला पानी कुछ ही घंटों में गिर गया।[3] इसके बाद आगे भी बारिश के जारी रहने और बाढ़ आने की संभावना है। इन प्रभावित जगहों में देश की राजधानी, ढाका भी शामिल है। यूनिसेफ के अनुसार इसके कारण लगभग साठ लाख लोग प्रभावित हुए हैं। इसके 85 लाख तक बढ़ने की संभावना है।[3][4] इसके कारण लगभग सात लाख घर तबाह हो गए।
इस बाढ़ के कारण लगभग 140 लोगों की मौत हो गई और पचास हजार लोगों को अपने जगहों से हटाया गया है।[5]
भारत के उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार में भारी वर्षा के कारण भूस्खलन से 50 से अधिक लोग मारे गए।[6] बिहार में बाढ़ से 400 से अधिक लोग मारे गए।[7] गुजरात राज्य में 25,000 से ज्यादा लोग बेघर हुए और 70 लोगों की मौत हो गई।[8] उत्तर-पूर्वी राज्य असम में बाढ़ से 10 लाख से ज्यादा लोग बेघर हुए और 61 लोगों की मौत हो गई। काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भी बाढ़ से प्रभावित रहा और कई जीव मारे गए।[9] 104 जानवरों सहित लुप्तप्राय एक सींग वाले गैंडे के कई शावक मारे गए और कई जीवों ने पहाड़ी कार्बी आंगलोंग जिले की ओर रुख किया।[10] पश्चिम बंगाल राज्य में 39 लोगों की मौत हो गई और 27 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए।[11]
अगस्त 2017 में मुम्बई में भी भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात हो गए। 2005 मुंबई बाढ़ के बाद पहली बार इतनी बारिश शहर में हुई। भिंडी बाजार में सौ साल पुरानी इमारत ढह गई जिससे 10 लोगों की मीत हो गई।[12]
नेपाल में 24 अगस्त तक बाढ़ से 143 लोगों की मौत हो गई। इसके कारण 17 लाख लोग प्रभावित हुए और 4 लाख, 61 हजार लोगों को मजबूरी में अपने घर से दूर जाना पड़ा। इस बाढ़ से लगभग 34 हजार घर बह गए और एक हजार घर तबाह हो गए।[13]
31 अगस्त को पाकिस्तान के कराची शहर में मानसूनी बारिश के कारण 130 मिलीमीटर तक वर्षा हुई थी, इस कारण शहर में बाढ़ आ गया। इस बाढ़ ने 23 लोगों की जान ले ली, जिसमें सात बच्चे थे। इन लोगों के मरने का सबसे बड़ा कारण बिजली लगना था, बाकियों की मौत इमारत के टुकड़े गिरने से या पानी में डूबने से हुई। सिन्ध के कश्मोरे और जम्शोरों जिले में दो और लोगों की मौत हुई।[14][15]
बाढ़ आने से लगभग सप्ताह भर पहले 21 और 22 अगस्त को कराची में लगभग 41 मिलीमीटर की बारिश हुई थी। बचाव कार्य में लगे लोगों के अनुसार वहाँ बारिश से जुड़ी घटनाओं की वजह से 19 लोगों की मौत हो गई, जिसमें मौत के कारणों में बिजली लगना, पेड़ का उखड़ना, बोर्ड गिरना आदि शामिल है।[16]
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