![cover image](https://wikiwandv2-19431.kxcdn.com/_next/image?url=https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/0/09/Totenkopfaeffchen.jpg/640px-Totenkopfaeffchen.jpg&w=640&q=50)
हैप्लोराइनी
From Wikipedia, the free encyclopedia
हैप्लोराइनी (Haplorhini) या शुष्क-नाक नरवानर (dry-nosed primates) नरवानर गण (प्राइमेट) का एक क्लेड है जिसमें टार्सियर और सिमियन (बंदर व कपि) आते हैं। मानव भी एक प्रकार का महाकपि है इसलिये वह भी हैप्लोराइनी की श्रेणी में आता है। हैप्लोराइनी लगभग ६.३ करोड़ वर्ष पूर्व स्ट्रेपसिराइनी (Strepsirrhini) से क्रमविकास (इवोल्यूशन) द्वारा अलग हो गये थे।[1]
हैप्लोराइनी Haplorhini सामयिक शृंखला: 63–0 मिलियन वर्ष PreЄ
Є
O
S
D
C
P
T
J
K
Pg
N
| |
---|---|
![]() | |
साधारण गिलहरी बंदर | |
वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | जंतु |
संघ: | रज्जुकी (Chordata) |
वर्ग: | स्तनधारी (Mammal) |
गण: | नरवानर (Primate) |
उपगण: | हैप्लोराइनी (Haplorhini) |
उपगण | |
|
स्ट्रेपसिराइनी (जिनमें माडागास्कर के लीमर और भारत व दक्षिणपूर्वी एशिया के लोरिस शामिल हैं) की तुलना में हैप्लोराइनी में कई अंतर आ गये। हैप्लोराइनी क्लेड के प्राणियों में विटामिन सी बना सकने वाला प्रकिण्व (एन्ज़ाइम) नहीं रहा जिस कारणवश उन्हें विटामिन-सी युक्त भोजन खाने की आवश्यकता होती है।[2] उनका ऊपरी होंठ नाक से अलग हो गया जिस से उनके चेहरों पर भाव प्रकट करने की बहुत क्षमता आ गई। अपने शरीर की तुलना में उनका मस्तिष्क भी अधिक बड़ा बन गया और सुनने और सूंघने के स्थान पर दृष्टि उनकी मुख्य बोध शक्ति बन गई।