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पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
14 अगस्त को पाकिस्तान की आज़ादी का दिन कहा जाता है- यौम इस्तिक़लाल (Independence Day) इंतिहाई जोश-ओ-ख़ुरोश से मनाया जाता है। ये वो दिन है जब पाकिस्तान 1947 में बर्तानवी हुकमरानों से आज़ाद हो कर मारज़ वजूद में आया। 14 अगस्त का दिन पाकिस्तान में सरकारी सतह पर क़ौमी तहवार के तौर पर बड़े धूम धाम मनाया जाता है जबकि बच्चे, जवान और बूढ़े सभी उस रोज़ अपना क़ौमी पर्चम फ़िज़ा-ए-में बुलंद करते हुए अपने क़ौमी महसिनों को ख़िराज-ए-तहिसीन पेश करते हैं। पूरे मुलक में हर तरफ़ जशन-ए-चराग़ाँ होता है और एक मेला का सा समां बंध जाता है। ईस्लामाबाद जो कि पाकिस्तान का दारलख़लाफ़ा है, उसको इंतिहाई शानदार तरीक़े से सजाया जाता है, जबकि उसके मुनाज़िर किसी जश्न का सासमां पैदा कर रहे होते हैं। और यहीं एक क़ौमी हैसियत की हामिल तक़रीब में सदर-ए-पाकिस्तान और वज़ीर आ अज़म क़ौमी पर्चम बुलंद करते हुए इस बात का अह्द करते हैं कि हम इस पर्चम कीतरह इस वतन-ए-अज़ीज़ को भी उरूज-ओ-तरक़्क़ी की बुलंदीयों तक पहुंचाएंगे। इन तक़ारीब के इलावा ना सिर्फ़ सदारती और पारलीमानी इमारात पर क़ौमी पर्चम लहराया जाता है बल्कि पूरे मुलक में सरकारी और नियम सरकारी इमारात पर भी सबज़ हिलाली पर्चम पूरी आब-ओ-ता ब से बुलंदी का नज़ारा पेश कर रहा होता है। यौम असक़लाल के रोज़ रेडीयो, बईद नुमा और जालबीन पे बराह-ए-रास्त सदर और वज़ीर आ अज़म पाकिस्तान की तक़ारीर को नशर किया जाता है और इस अह्द की तजदीद की जाती है कि हम सब ने मिल क्रास वतन-ए-अज़ीज़ को तरक़्क़ी, ख़ुशहाली और कामयाबीयों की बुलंद सतह पे लेजाना है। सरकारी तौर पर यौम आज़ादी इंतिहाई शानदार तरीक़े से मनाते हुए आली ओहदादार अपनी हुकूमत की कामयाबीयों और बेहतरीन हिक्मत अमलियों का तज़किरा करते हुए अपने अवाम से ये अह्द करते हैं कि हम अपने तन मन धन की बाज़ी लगाकर भी इस वतन-ए-अज़ीज़ को तरक़्क़ी की राह पर गामज़न रखेंगे और हमेशा अपने रहनुमा क़ाइद-ए-आज़म मुहम्मद अली जिन्नाह के क़ौल "ईमान, इत्तिहाद और तंज़ीम" की पासदारी करेंगे।
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14 अगस्त को पाकिस्तान में सरकारी तौर पर तातील होती है, जबकि सरकारी विनियम सरकारी इमारात में चिराग़ां होता है और सबज़ हिलाली पर्चम लहराया जाता है। इसी तरह तमाम सूबों में मर्कज़ी मुक़ामात पर तक़ारीब का इनइक़ाद किया जाता है और साथ-साथ सक़ाफ़्ती प्रोग्राम का भी एहतिमाम होता है। पाकिस्तान की तमाम शहरों में नाज़िम क़ौमी पर्चम बुलंद करते हैं जबकि कसीर तादाद में निजी इदारों के सरबराहान पर्चमकुशाई की तक़ारीब में पेश पेश होते हैं। स्कूलों और कॉलिजों में भी पर्चमकुशाई की तक़ारीब का इनइक़ाद किया जाता है और इस के साथ साथ रंगारंग तक़ारीब, तक़ारीर और मज़ाकरों का एहतिमाम भी किया जाता है। घरों में बच्चों, जवानों और बूढ़ों का जोश-ओ-ख़ुरोश तो का बिल दीद होता है जहाँ मुख़्तलिफ़ तक़ारीब के इलावा दोपहर और रात के खाने का भी एहतिमाम किया जाता है और बादअज़ां सैरो तफ़रीह से भी लुतफ़ अंदोज़ हुआ जाता है। रिहायशी इलाक़ों, सक़ाफ़्ती इदारों और मुआशरती अंजुमनों के ज़ेर राहतमाम तफ़रीही प्रोग्राम तू इंतिहाई शानदार तरीक़े से मनाए जाते हैं। इलावा अज़ीं मकबरा-ए-क़ाइद-ए-आज़म पर सरकारी तौर पर गार्ड की तबदीली की तक़रीब का इनइक़ाद होता है। इसी तरह वाहगा बाडर पर भी सक़ाफ़्ती तक़ारीब में एहतिरामी मुहाफ़िज़ों की तबदीली का अमल वक़ूअ पज़ीर होता है जबकि ग़लती से वाहगा सरहद पार करने वाले क़ैदीयों की दो तरफ़ा रिहाई भी होती है।
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